लखनऊ: पीस पार्टी के स्थापना दिवस के मौके पर राजधानी में उलमा कॉन्फ्रेंस का आयोजन हुआ. इस कांफ्रेंस की अध्यक्षता पीस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अयूब ने की. इस मौके पर देश या प्रदेश का कोई बड़ा मुस्लिम धर्मगुरु शामिल नहीं हुआ, लेकिन डॉ. अयूब की अध्यक्षता में होने वाली उलेमा कॉन्फ्रेंस में मुस्लिम महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.
पीस पार्टी का स्थापना दिवस
उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मुसलमानों का वोट हासिल करने के लिए तमाम छोटी-बड़ी पार्टियां जद्दोजहद में लग गई हैं. इसमें से एक पीस पार्टी भी शामिल है. स्थापना दिवस के मौके पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अयूब ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि राजनीति इस्लाम का एक महत्वपूर्ण अध्याय है, लेकिन मुसलमानों की राजनीति से दूरी के कारण आज हम हर मोर्चे पर विफल हैं. आज समय की सबसे बड़ी आवश्यकता उलमा को राजनीति में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की है.
डॉ अयूब ने कहा कि इस्लाम ने अन्य आवश्यकता के अनुसार राजनीतिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भी महिलाओं को घर से बाहर निकलने की इजाजत दी है. अब वह समय आ गया है कि मुस्लिम महिलाएं भी संवैधानिक आधार पर एहकाम-ए-इलाही और निजाम-ए-मुस्तफा के आदेशों की पूर्ति के लिए राजनीति की बागडोर संभालें. डॉ अयूब ने कहा कि यह पहला मौका है, जब महिलाओं की राजनीति में भागीदारी बढ़ाने के लिए इस उलमा कॉन्फ्रेंस में महिला धर्मगुरुओं को भी आमंत्रित किया गया है.
प्रियंका गांधी के खानकाह पहुंचने की तारीफ की
उलमा कॉन्फ्रेंस में डॉक्टर अय्यूब ने कांग्रेस पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी के सहारनपुर दौरे की सराहना करते हुए कहा कि अगर प्रियंका गांधी खानकाह जाती हैं और किसी धर्म का आदर होता है तो यह अच्छी बात है. इसके अलावा उत्तर प्रदेश में असदुद्दीन ओवैसी की एंट्री को लेकर भी डॉक्टर अयूब ने कहा कि असदुद्दीन ओवैसी 2017 और 2019 के उत्तर प्रदेश के चुनाव में अपनी किस्मत आजमा चुके हैं. उनकी यूपी में एंट्री कोई नई नहीं है और कभी भी वह चुनाव में पीस पार्टी से ज्यादा वोट प्राप्त नहीं कर सके हैं.
कृषि कानून के साथ सीएए और एनआरसी का भी करेंगे विरोध
डॉ अयूब ने कृषि कानून का विरोध जताते हुए कॉन्फ्रेंस में कहा कि कृषि कानून देश के किसानों के खिलाफ है. साथ ही सीएए और एनआरसी भी देश की जनता के खिलाफ है. इसका पीस पार्टी विरोध करती आई है और 2022 के विधानसभा चुनाव में इसका मुद्दा जनता के बीच ले जाएगी.