लखनऊः अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा है कि फार्मेसी शिक्षा के सम्बंध में फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) फाइनल अथॉरिटी है. उसका निर्णय सभी सम्बंधितों पर लागू होता है. न्यायालय ने कहा कि यदि एक बार पीसीआई ने फार्मेसी संस्थान खोलने के नियमों के बारे में या पहले से चल रहे संस्थानों में नए फार्मेसी कोर्स को शामिल करने के सम्बंध में कोई नीतिगत निर्णय ले लिया है, तो इसके प्रतिकूल आदेश पारित करना राज्य सरकार या उसकी किसी कमेटी के क्षेत्राधिकार में नहीं है।
इन संस्थानों ने दायर की थी याचिका
जी कॉलेज ऑफ फार्मेसी उन्नाव, एसबीएस दद्दु जी कॉलेज ऑफ फार्मेसी, रक्षपाल बहादुर फार्मेसी संस्थान, जेबीएस इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मेसी, श्री साईं आरआर इंस्टिट्यूट अलीगढ़, राजेश्वरी अनिल कुमार फार्मेसी महाविद्यालय, दिलीप किशोर इंस्टिट्यूट, जेपी फार्मेसी कॉलेज और संत भीखादास फार्मेसी कॉलेज ने अलग-अलग याचिकाएं दायर की थी. इन सभी याचिकाओ पर एक साथ सुनवाई करते हुए यह निर्णय न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकल सदस्यीय पीठ ने पारित किया है।
याचिका में इस निर्णय का किया गया था विरोध
याचिकाओं में राज्य सरकार के रिव्यू एफिलेशन कमेटी के 15 मई 2020 के निर्णय को चुनौती दी गई थी. इस निर्णय के तहत कमेटी ने इन संस्थानों को बैचलर ऑफ फार्मेसी के अतिरिक्त कोर्स चलाने के लिए एनओसी देने से इंकार कर दिया था। बाद में कमेटी के इस निर्णय को राज्य सरकार ने भी मंजूर कर लिया था। याचियों का कहना था कि वे पहले से डिप्लोमा कोर्स चला रहे हैं और उनके आवेदन पर पीसीआई ने उन्हें बैचलर ऑफ फार्मेसी के अतिरिक्त कोर्स चलाने की अनुमति दे दी है. ऐसे में सरकार या उसकी किसी कमेटी का एनओसी से इंकार करना मनमाना निर्णय है।
सरकार ने कोर्ट में ये कहा
याचिका का विरोध करते हुए सरकार की ओर से कहा गया कि प्रदेश में पहले से ही फार्मेसी संस्थान पर्याप्त मात्रा में हैं. ऐसे में सिर्फ उन जनपदों में संस्थानों को अनुमति देना उचित है, जहां ऐसे संस्थान नहीं हैं या फिर जिन जनपदों के कॉलेजों में 80 प्रतिशत या अधिक सीटें भर चुकी हैं। न्यायालय सरकार के इस तर्क से सहमत नहीं हुआ. उसने कहा कि फार्मेसी कोर्स के सम्बंध में पीसीआई सर्वोच्च वैधानिक संस्था है।