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लोहिया में नहीं मिलेगी निशुल्क दवा, मरीजों ने कहा- इलाज के अभाव में गरीब तोड़ देंगे दम

लखनऊ के डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में 1 रुपये के मिलने वाला पर्चा 100 रुपये का हो गया है. साथ ही निशुल्क मिलने वाली दवा का भी मरीजों को शुल्क चुकाना पड़ेगा. ऐसे में मरीज काफी परेशान हैं. क्या कहते हैं मरीज जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर.

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डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल
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Published : Jul 10, 2022, 6:25 PM IST

लखनऊ: लोहिया अस्पताल ने एकल पॉलिसी लागू करके मरीजों के लिए इलाज महंगा कर दिया है. अब एक रुपये का पर्चा खरीदने वाले मरीज वही पर्चा 100 रुपये की कीमत में खरीदने को मजबूर हैं. इतना ही नहीं अब निशुल्क मिलने वाली दवाओं का भी शुल्क लगेगा. साथ ही अगर किसी मरीज को कोई जांच करानी है तो उसका भी अतिरिक्त शुल्क मरीज को भरना पड़ेगा. इसके बाद मरीज की जांच होगी. जबकि पहले मरीज का पूरा इलाज लोहिया अस्पताल में मुफ्त होता था. यही कारण है कि प्रदेश के अन्य जिलों से गरीब मरीज लोहिया अस्पताल में इलाज के लिए आते रहते हैं.

लोहिया संस्थान और हॉस्पिटल ब्लॉक के 2019 में विलय के बाद संस्थान ब्लॉक में हॉस्पिटल इनफार्मेशन सिस्टम के तहत मरीजों को ओपीडी पंजीकरण से लेकर जांच और भर्ती के लिए शुल्क भरना पड़ रहा था. स्वास्थ्य विभाग के अधीन होने के कारण लोहिया अस्पताल में एक रुपये के पंजीकरण शुल्क पर इलाज मिल रहा था. दो वर्ष पूरा होने के बाद शासन के आदेश पर लोहिया संस्थान प्रशासन शनिवार से हॉस्पिटल ब्लॉक में भी संस्थान की दरें लागू कर रहा है. संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विक्रम सिंह ने बताया कि एचआइएस को हॉस्पिटल ब्लॉक में जोड़ने के लिए अपडेट किया जा रहा है.

मरीज

मरीज को होगी खास दिक्कत

लोहिया संस्थान में दूरदराज से लोग इलाज के लिए आते हैं. ऐसे में मरीजों को काफी गहरा झटका लगा है. जो मुफ्त इलाज के नाम पर 500 किलोमीटर की दूरी तय करके इलाज के लिए आते थे. सरकारी अस्पतालों में गरीब वर्ग के लोग इलाज के लिए इसलिए पहुंचते हैं, ताकि वह एक रुपये के पर्चे से इलाज प्राप्त कर लें. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.

पढ़ेंः लखनऊ: डिप्टी सीएम के निर्देश पर निजी अस्पतालों के दलालों पर कार्रवाई, छापेमारी में 10 से ज्यादा पकड़े गए

मरीज अस्पताल की दहलीज पर ही दम तोड़ देगा

मरीजों का कहना है कि अस्पताल प्रशासन को ऐसा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए था. सरकार को गरीब वर्ग के लोगों के बारे में सोचना चाहिए कि वह इलाज के लिए कहां जाएंगे. जिसकी जेब में एक रुपया न हो वह 100 रुपये का पर्चा कैसे बनवा पाएगा. इसके बाद दवा का पैसा कहां से लाएगा. ऐसे में गरीब वर्ग के लोगों को बहुत दिक्कत होगी. वहीं, बाराबंकी से इलाज के लिए आए एक मरीज ने कहा कि वैसे भी मरीज सरकारी अस्पताल में एक जगह से दूसरी जगह चक्कर लगाते-लगाते थक जाता है. लेकिन उसे बढ़िया इलाज नहीं मिल पाता. अब इतना पैसा लगेगा तो गरीब मरीज अस्पताल की दहलीज पर ही दम तोड़ देगा.

संस्थान में सुविधाओं की दरें

सुविधा शुल्क
ओपीडी 100
बेड 250
सिटी स्कैन 1000-7000
एमआरआई 3500-9000
एक्स-रे 200-600
सीबीसी 175
ईएसआर 75
ईसीजी 40
विटामिन-बी 800
विटामिन बी-12 320
एलएफटी 125
केएफटी 55
थायराइड 360
यूरिन कल्चर 250

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लखनऊ: लोहिया अस्पताल ने एकल पॉलिसी लागू करके मरीजों के लिए इलाज महंगा कर दिया है. अब एक रुपये का पर्चा खरीदने वाले मरीज वही पर्चा 100 रुपये की कीमत में खरीदने को मजबूर हैं. इतना ही नहीं अब निशुल्क मिलने वाली दवाओं का भी शुल्क लगेगा. साथ ही अगर किसी मरीज को कोई जांच करानी है तो उसका भी अतिरिक्त शुल्क मरीज को भरना पड़ेगा. इसके बाद मरीज की जांच होगी. जबकि पहले मरीज का पूरा इलाज लोहिया अस्पताल में मुफ्त होता था. यही कारण है कि प्रदेश के अन्य जिलों से गरीब मरीज लोहिया अस्पताल में इलाज के लिए आते रहते हैं.

लोहिया संस्थान और हॉस्पिटल ब्लॉक के 2019 में विलय के बाद संस्थान ब्लॉक में हॉस्पिटल इनफार्मेशन सिस्टम के तहत मरीजों को ओपीडी पंजीकरण से लेकर जांच और भर्ती के लिए शुल्क भरना पड़ रहा था. स्वास्थ्य विभाग के अधीन होने के कारण लोहिया अस्पताल में एक रुपये के पंजीकरण शुल्क पर इलाज मिल रहा था. दो वर्ष पूरा होने के बाद शासन के आदेश पर लोहिया संस्थान प्रशासन शनिवार से हॉस्पिटल ब्लॉक में भी संस्थान की दरें लागू कर रहा है. संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विक्रम सिंह ने बताया कि एचआइएस को हॉस्पिटल ब्लॉक में जोड़ने के लिए अपडेट किया जा रहा है.

मरीज

मरीज को होगी खास दिक्कत

लोहिया संस्थान में दूरदराज से लोग इलाज के लिए आते हैं. ऐसे में मरीजों को काफी गहरा झटका लगा है. जो मुफ्त इलाज के नाम पर 500 किलोमीटर की दूरी तय करके इलाज के लिए आते थे. सरकारी अस्पतालों में गरीब वर्ग के लोग इलाज के लिए इसलिए पहुंचते हैं, ताकि वह एक रुपये के पर्चे से इलाज प्राप्त कर लें. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.

पढ़ेंः लखनऊ: डिप्टी सीएम के निर्देश पर निजी अस्पतालों के दलालों पर कार्रवाई, छापेमारी में 10 से ज्यादा पकड़े गए

मरीज अस्पताल की दहलीज पर ही दम तोड़ देगा

मरीजों का कहना है कि अस्पताल प्रशासन को ऐसा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए था. सरकार को गरीब वर्ग के लोगों के बारे में सोचना चाहिए कि वह इलाज के लिए कहां जाएंगे. जिसकी जेब में एक रुपया न हो वह 100 रुपये का पर्चा कैसे बनवा पाएगा. इसके बाद दवा का पैसा कहां से लाएगा. ऐसे में गरीब वर्ग के लोगों को बहुत दिक्कत होगी. वहीं, बाराबंकी से इलाज के लिए आए एक मरीज ने कहा कि वैसे भी मरीज सरकारी अस्पताल में एक जगह से दूसरी जगह चक्कर लगाते-लगाते थक जाता है. लेकिन उसे बढ़िया इलाज नहीं मिल पाता. अब इतना पैसा लगेगा तो गरीब मरीज अस्पताल की दहलीज पर ही दम तोड़ देगा.

संस्थान में सुविधाओं की दरें

सुविधा शुल्क
ओपीडी 100
बेड 250
सिटी स्कैन 1000-7000
एमआरआई 3500-9000
एक्स-रे 200-600
सीबीसी 175
ईएसआर 75
ईसीजी 40
विटामिन-बी 800
विटामिन बी-12 320
एलएफटी 125
केएफटी 55
थायराइड 360
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