लखनऊ: डॉ. एमसी सक्सेना मेडिकल कॉलेज में मान्यता को लेकर कई कारनामे किए गए. यहां से संबद्ध डॉ. आरआर सिन्हा मेमोरियल हॉस्पिटल के एजेंट गांव में चिकित्सा शिविर लगाते थे और वहां पैसे देकर गरीब किसानों और श्रमिकों को वार्ड में मरीज के तौर पर भर्ती कर रिकॉर्ड मेनटेन करते थे. गत मंगलवार को डॉ. आरआर सिन्हा मेमोरियल हॉस्पिटल में मजदूरों को जबरन मरीज बनाकर इलाज करने का खुलासा हुआ था. जिसके बाद कार्रवाई करते हुए स्वास्थ्य विभाग ने हॉस्पिटल का लाइसेंस रद्द कर दिया. वहीं, अभी पुलिस और स्वास्थ्य विभाग मामले की जांच कर रहे हैं.
अधिकारियों के मुताबिक अस्पताल ने 40 से अधिक एजेंट तैनात कर रखे थे. ये गांव में चिकित्सा शिविर लगाते थे. शिविर में आने वाले मरीजों का ओपीडी में पंजीकरण किया जाता है. इससे अस्पताल में ओपीडी की संख्या बढ़ाकर रिकॉर्ड दुरुस्त किया जा रहा था. इसके अलावा अस्पताल में भर्ती मरीजों को 12 से 24 घंटे के लिए भर्ती किया जाता था. इन्हें तीन वक्त का भोजन, चाय, नाश्ता और डिस्चार्ज के वक्त मजदूरी भी दी जाती थी. सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल के मुताबिक मामले की गहनता से जांच जारी है. अस्पताल पर अभी और सख्त कार्रवाई होगी.
अस्पताल गेट पर नोटिस चस्पा
डॉ. एमसी सक्सेना मेडिकल कॉलेज व उससे संबद्ध कॉलेज की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. अब बैंक ने कॉलेज पर शिकंजा कस दिया है. बैंक ने हॉस्पिटल गेट पर नोटिस चस्पा कर लोन का भुगतान करने को कहा है. बैंक ऑफ इंडिया से कॉलेज ने 19 करोड़ 27 लाख 23 हजार 827 रुपये का लोन ले रखा है. मजदूरों को जबरन मरीज बनाए जाने की घटना सामने आई. इसके बाद कई तरह के खुलासे हो रहे हैं। सोमवार को बैंक ने कॉलेज गेट पर नोटिस चस्पा की.
हॉस्पिटल गेट से हटा शुगर फ्री आलू की बिक्री का बोर्ड
हॉस्पिटल में अब आलू की बिक्री नहीं होगी. अस्पताल प्रशासन ने शुगर फ्री बिक्री का बोर्ड हटा लिया है. सोमवार को चार से पांच सुरक्षा गार्ड अस्पताल गेट पर मुस्तैद रहे. अस्पताल में इलाज संग शुगर फ्री आलू की बिक्री की धंधा भी चल रहा था. इसके लिए बाकायदा अस्पताल प्रशासन ने गेट पर बोर्ड लटका रखा था. यहां हर महीनों हजारों रुपये का कारोबार सिर्फ आलू से होता है. पांच किलो आलू की कीमत 60 रुपये तय थी.
125 से ज्यादा मजदूर बनाए गए थे बंधक
गत मंगलवार को दुबग्गा स्थित डॉ. आरआर सिन्हा मेमोरियल हॉस्पिटल में मान्यता के लिए दिहाड़ी मजदूरों को बंधक बनाया गया था. 125 से अधिक मजदूरों को भर्ती कर मरीज दर्शाया गया था. इनमें 13 से ज्यादा मजदूरों को वीगो व इंजेक्शन लगाए गए थे. मामला पकड़ में आने पर स्वास्थ्य विभाग ने हॉस्पिटल प्रशासन को नोटिस भेजकर जवाब-तलब किया था. इसमें घटना के वक्त भर्ती मरीज, इलाज का ब्यौरा तलब किया है. कई दिन का वक्त बीतने के बाद भी हॉस्पिटल प्रशासन का कोई जवाब नहीं आया है.
ऐसे हुआ था भंडाफोड़
डॉ. आरआर सिन्हा मेमोरियल हॉस्पिटल में मजदूरों को बंधक बना लिया गया था. मान्यता के लिए मजदूरों को पैसा देकर मरीज दर्शाया गया. मजदूरों को वीगो व इंजेक्शन लगाए गए. घबराए मजदूरों ने हंगामा किया था. एक मजदूर किसी तरह जान बचाकर भागने में कामयाब हुआ. उसने पुलिस को सूचना दी। मजदूरों की जान से खेलने वाले अस्पताल पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
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