लखनऊ: इन दिनों प्रदूषण के कारण कई बीमारियां हो रही हैं. इसी बीच अब सर्जरी विभाग में ऑपरेशन करवाने वाले लोगों को दिक्कत हो रही है. आमतौर पर पथरी या अपेंडिक्स का ऑपरेशन लेजर विधि या ऑपरेशन से हुआ है तो दो से तीन दिन में वह अस्पताल से डिस्चार्ज करा लेते हैं. इन दिनों शहर में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है, जिसके कारण नॉर्मल छींक और खांसी आने के कारण भी कांटे पर असर पड़ता है. इसी कारण बहुत से लोग अपना ऑपरेशन कैंसिल कर रहे हैं, ताकि कुछ दिनों बाद प्रदूषण का स्तर कम होगा तब सर्जरी कराएंगे. सर्दियों के मौसम में सर्जरी दिक्कत कर देती है, क्योंकि जब भी पेट पर चीरा लगाया जाता है उसके बाद काफी बचाव करना पड़ता है. जरा सा भी अगर टांके पर प्रेशर पड़ता है तो वह घातक साबित हो सकता है.
बीते दिनों हजरतगंज स्थित डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी अस्पताल में राजाजीपुरम निवासी 32 वर्षीय युवक ने पेट में पथरी होने पर एक निजी अस्पताल में सर्जरी करवाई थी. दो दिनों के बाद तीमारदार मरीज को अस्पताल से डिस्चार्ज करके घर वापस ले गए. शहर में बढ़ रहे प्रदूषण से युवक को खांसी की समस्या हो गई. सर्जरी के बाद खांसी आने से टांकों पर जोर पड़ा और ठीक होने की जगह उसके टांके पक गए. दरअसल बढ़ते प्रदूषण की धुंध लोगों की सेहत खराब कर रही है. हर तीसरे व्यक्ति को खांसी, सांस फूलना और जुकाम की समस्या हो रही है. जिन्होंने अभी सर्जरी करवाई है उन्हें इस बात का डर बना हुआ है कि अगर खांसी आने लगी तो टांके ठीक नहीं हो पाएंगे. खांसी आने पर सीने से लेकर पेट तक हिल जाता है, ऐसे में टांकों पर बहुत जोर पड़ेगा. यही वजह है कि डॉक्टर मौसम साफ होने तक सर्जरी टाल रहे हैं.
वीरांगना झलकारी बाई अस्पताल की सीएमएस डॉ अंजना खरे ने बताया कि इस समय अगर हम नवंबर की बात करें तो नवंबर में सिजेरियन विधि से कम ऑपरेशन कराया गया था और हम पूरी कोशिश करते हैं कि ऑपरेशन करने की हमें जरूरत न पड़े. लेकिन जब प्रसूता की स्थिति क्रिटिकल होती है उसी स्थिति में हम ऑपरेशन करते हैं. इन दिनों तो वैसे भी लोग ऑपरेशन कराने से कतराते हैं.
हमारे यहां पर इस समय जितनी भी गर्भवती महिलाएं आ रही हैं. वह टांका नहीं लगवाना चाह रही हैं, क्योंकि इस समय सर्दियों का मौसम तो है ही. साथ ही प्रदूषण स्तर भी तेजी से फैला है. प्रदूषण के कारण लोगों को नॉर्मल ही खांसी और छींक आ ही जाती है तो इससे बहुत बचना होता है. ऑपरेशन के बाद कुछ चीजों का बहुत ख्याल रखना होता है, क्योंकि टांकों पर अगर जरा भी प्रेशर पड़ता है तो वह पक जाता है.
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केस-1
डालीबाग निवासी रामचंद्र ने बताया कि उनके बेटे को पथरी है, लेकिन हाल ही में हमने अपने पड़ोस में सुना कि उन्होंने पथरी का ऑपरेशन कराया था. इसके बाद टांका पक गया. अब आए दिन वह अस्पताल के चक्कर लगाते रहते हैं. ऐसे में काफी ज्यादा डर बना हुआ है कि ऑपरेशन करवाएं या न करवाएं. अगर करवा लेते हैं तो उसके बाद टांका पकने का चांस बढ़ जाता है और अगर ऑपरेशन नहीं करवा रहे हैं तो 19 एमएम की पथरी घातक साबित हो सकती है. जिनके साथ यह हादसा हुआ उनका साफ कहना है कि दो दिन बाद उन्होंने अस्पताल से खुद को डिस्चार्ज कर लिया था. अचानक से खांसी, छींक आई जिसके बाद पेट पर प्रेशर पड़ा एक दिन बाद ही टांके पक गए.
केस-2
गोमती नगर निवासी कैलाश गुप्ता सिविल अस्पताल में शनिवार को अपनी 23 वर्षीय लड़की को दिखाने आए. पता चला कि लड़की को अपेंडिक्स है और ऑपरेट कराना पड़ेगा. लेकिन कैलाश ने इस समय ऑपरेशन कराने से मना कर दिया है. उन्होंने यह बात स्पष्ट तौर से कहीं कि सर्दियों के मौसम में वैसे भी ऑपरेशन नहीं कराना चाहिए और इन दिनों प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा बढ़ गया है. हम अपने बच्चे को कहीं बाहर ले जाते हैं एक दिन बाद अगर हम घर ले जाएंगे और जिस जगह पर हम रहते हैं गोमती नगर में वहां का एक्यूआई 300 के पार रहता है. अगर कोई इंफेक्शन हो गया तो लेने के देने पड़ जाएंगे, इसलिए इस समय हम ऑपरेशन नहीं करा रहे हैं. मार्च महीना ऑपरेशन के लिए बढ़िया रहेगा उस समय प्रदूषण भी कम रहेगा और मौसम भी ठीक रहेगा.
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