लखनऊ : सिविल अस्पताल में एक्सीडेंट में घायल बुजुर्ग की मौत हो गई. आरोप है कि उन्हें समय पर इलाज नहीं मिल सका और न ही गंभीर होने पर उन्हें दूसरे अस्पताल के लिए रेफर किया गया. करीब एक घंटे तक बुजुर्ग को केवल प्राथमिक इलाज पर रखा गया, वहीं अस्पताल प्रशासन ने सीसीयू न होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया. बुजुर्ग के मकान मालिक का कहना है कि उन्हें समय पर इलाज मिल जाता तो उन्हें बचाया जा सकता था.
एक्सीडेंट में घायल बुजुर्ग को अस्पताल पहुंचाया : हजरतगंज स्थित डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल) अस्पताल में बुधवार को आलमबाग स्थित गढ़ी कनौरा निवासी कृष्णनंद उपाध्याय (75) की मौत हो गई. एक्सीडेंट में घायल बुजुर्ग को करीब 11 बजे सिविल अस्पताल में 108 के माध्यम से पहुंचाया गया था, जिसके बाद इमरजेंसी में उन्हें प्राथमिक इलाज देकर भर्ती कर दिया गया, जबकि बुजुर्ग की हालत काफी गंभीर थी. उनके सिर और नाक से ब्लड आ रहा था. आरोप है कि आनन-फानन में फिर से इमरजेंसी में लेकर एक बजे तक मरीज को न तो आईसीयू में शिफ्ट किया गया न ही उनका इलाज शुरु किया गया. करीब 1:15 पर इमरजेंसी के डॉक्टर ने आकर उनका ईसीजी करने को कहा जिसके बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.
रेलवे के रिटायर कर्मचारी थे : बुजुर्ग के पड़ोसी विजय कनौजिया ने बताया कि 'वह रेलवे के रिटायर कर्मचारी थे, पेंशन लेने वह गढ़ी कनौरा से हजरतगंज स्थित एसबीआई बैंक जा रहे थे. वह अकेले ही किराये के मकान में रहते थे. उनकी एक बेटी है जो प्रयागराज में रहती है. पत्नी की मौत हो चुकी है. इतना ही नहीं मकान मालिक के घर पर ही खाना खाते थे. अस्पताल में उनके इलाज में लापरवाही की गई है. समय पर इलाज मिल जाता तो उनकी मौत नहीं होती.'
'गंभीर मरीजों के लिए होना चाहिए सीसीयू' : इस मामले को लेकर अस्पताल के निदेशक डॉ. नरेंद्र अग्रवाल का कहना है कि 'आईसीयू में केवल हार्ट के मरीज ही भर्ती किये जाते हैं. एक्सीडेंट के गंभीर मरीजों के लिए सीसीयू होना चाहिए, जिसके लिए हमने प्रस्ताव दे रखा है. मरीज को भर्ती करने के समय हालत स्थिर थी, तभी प्राथमिक इलाज देकर इंजेक्शन लगाकर इमरजेंसी में रखा गया था. यदि वह जीवित रहते तो उन्हें दूसरे अस्पताल के लिए रेफर कर दिया जाता. रेफर करने से पहले ही मरीज की मौत हो गई.'