लखनऊ: सिविल अस्पताल में बीते चार महीने से डायरेक्टर का पद खाली पड़ा था. इस कारण अस्पताल की सारी जिम्मेदारी अस्पताल के सीएमएस डॉ एसके नंदा के ऊपर थी. चार महीने बाद जब डायरेक्टर के पद पर डॉ आनंद ओझा नियुक्त हुए तो सीएमएस का पद खाली है. अस्पताल की इमरजेंसी में जिन डॉक्टरों की ड्यूटी सुबह 8 बजे से है वह 10 बजे पहुंच रहे हैं.
इवनिंग शिफ्ट में जिनकी ड्यूटी 2 बजे से 10 बजे तक है. वह भी समय पर इमरजेंसी में मौजूद नहीं हैं. ऐसे में मरीज को दिखाने आए तीमारदार परेशान रहे. सिविल अस्पताल से कई तीमारदार अपने मरीज को केजीएमयू व बलरामपुर अस्पताल ले गए, क्योंकि यहां पर इमरजेंसी वार्ड में डॉक्टर नहीं बैठे थे.
अस्पताल की इमरजेंसी में शाम को हुसैनाबाद से सिविल अस्पताल में मरीज को लेकर आए जावेद ने बताया कि अस्पताल की इमरजेंसी में कोई डॉक्टर मौजूद नहीं है और जो कर्मचारी यहां पर हैं वह बात सुन नहीं रहे हैं. जब से मरीज को लेकर आए हैं तब से उसको एक इंजेक्शन और मेडिसिन दिया गया. उसके बाद अभी कोई भी मरीज को देखने नहीं आया है. मरीज को काफी दिक्कतें हो रही हैं. ऐसे में वह सिविल अस्पताल से केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर लेकर जा रहे हैं, ताकि कोई डॉक्टर अच्छे से मरीज को देख सके.
एक और तीमारदार प्रियांशी गुप्ता ने बताया कि वह अपने पिता को लेकर अस्पताल की इमरजेंसी में आईं, लेकिन यहां पर अभी फिलहाल कोई बैठा नहीं है. ऐसे में समस्या यह है कि हम दिखाएं भी तो किस डॉक्टर को दिखाएं. इमरजेंसी में अगर कोई बैठा होता तो हमें किसी और अस्पताल जाने की नौबत नही आती. अभी मरीज को लेकर बलरामपुर अस्पताल जा रहे हैं.
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इस समय सीएमएस के पद पर कोई भी तैनात नहीं है, जिसकी वजह से अस्पताल के काम में भी ढिलाई आई है. सोमवार से शनिवार तक सुबह 10 बजे से ओपीडी सेवा चालू होती है जोकि दोपहर 2 बजे तक चलती है. हर स्थिति में 2 बजे तक डॉक्टर को ओपीडी में रहना अनिवार्य है, ताकि तीमारदार जो मरीज को दिखाने के लिए पहुंच रहे हैं 2 बजे तक डॉक्टर से मिल सके.
मौजूदा समय में जब से सीएमएस का पद खाली हुआ है और अभी हाल ही में नए डायरेक्टर भी नियुक्त हुए हैं तो ऐसे में अस्पताल के डॉक्टर व कर्मचारियों में किसी बात का डर नहीं है. सुबह 10 बजे से ओपीडी चालू होती है, लेकिन डॉक्टर 11 बजे पहुंचते हैं और 2 बजे से पहले डॉक्टर ओपीडी छोड़कर चले जाते हैं. मनमाने तरीके से मौजूदा समय में अस्पताल की ओपीडी चल रही है.
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