लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मीडिया सेल में कार्यरत पार्थ श्रीवास्तव सुसाइड केस में आरोपी पुष्पेंद्र सिंह व शैलजा की अभी तक गिरफ्तारी तो दूर बयान तक दर्ज नहीं हो सका. पुलिस का दावा है कि आरोपी शैलजा संक्रमित हैं, जिसकी वजह से उनसे पूछताछ नहीं हो सकी है. दूसरे आरोपी पुष्पेंद्र को बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस दी गई है लेकिन, अभी तक उसने अपना बयान दर्ज नहीं कराया है. पुलिस टीम मंगलवार दोपहर उसके घर पहुंची, हालांकि पुष्पेंद्र घर पर नहीं मिला. इंस्पेक्टर इंदिरानगर का कहना है कि बयान दर्ज कर सबूत एकत्र किए जा रहे हैं, बहुत जल्द मामले में कार्रवाई की जाएगी.
परिवारीजनों ने दो और नाम बताए
इंदिरानगर पुलिस ने पार्थ श्रीवास्तव की खुदकुशी के मामले में उसके परिवारीजनों के बयान दर्ज किए. पुलिस टीम पार्थ के वैशाली एनक्लेव स्थित घर गई थी, जहां मुकदमा के वादी पिता रविन्द्रनाथ श्रीवास्तव, मां और बहन शालिनी ने सीएम सोशल मीडिया टीम के सीनियर पुष्पेंद्र सिंह और शैलजा को ही दोषी ठहराया है. साथ ही सुसाइड नोट में शामिल दो और नाम भी बताए हैं. पुलिस उनकी भूमिका की भी जांच शुरू कर दी है. परिवारीजनों ने दो पन्ने के मिले सुसाइड नोट में लिखे बिन्दुओं की गंभीरता से जांच कराने की मांग की है. पुलिस टीम करीब 3 घंटे तक पार्थ के घर में रही, उसके कमरे का मौका मुआयना भी किया. पुलिस ने सुसाइड स्थल का नक्शा भी तैयार किया है.
पुष्पेंद्र के घर से पुलिस टीम बैरंग लौट आई
पुष्पेंद्र के घर पहुंचे पुलिस इंस्पेक्टर इंदिरानगर अजय प्रकाश त्रिपाठी के मुताबिक, पार्थ को खुदकुशी के लिए उकसाने के मामले में सोशल मीडिया एजेंसी के संविदा कर्मचारी पुष्पेंद्र सिंह और शैलजा आरोपी हैं. पुलिस ने दोनों से संपर्क करने की कोशिश की. इस दौरान शैलजा ने खुद को कोविड पॉजीटिव होने की बात पुलिस को बताई. उसने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से अपनी रिपोर्ट भी पुलिस को उपलब्ध कराई है. जिसे अपने वकील के जरिए थाने में प्रस्तुत करने की बात कही है. पुलिस अफसर शैलजा की नेगेटिव रिपोर्ट आने पर पूछताछ करेगी. वहीं, आरोपी पुष्पेंद्र सिंह के मोबाइल नंबर से लोकेशन निकाली गई और पुलिस की एक टीम पुष्पेंद्र के चिनहट स्थित घर पहुंची. हालांकि, पुष्पेंद्र घर पर नहीं मिला. पुलिस टीम वहां से बैरंग लौट आई.
इनसे भी नहीं हुई पूछताछ
पार्थ द्वारा डाइंग डिक्लेरेशन में टैग किए गए लोग छह लोगों और पुलिस कस्टडी में ट्वीट डिलीट करने वाले से भी कोई पूछताछ नहीं की गई. अब सवाल है, कहने को तो राजधानी कमिश्नरी बन गई लेकिन, लखनऊ पुलिस नहीं बदली. पूरे मामले को पुलिस द्वारा दबाने का प्रयास किया जा रहा है. सूत्रों की मानें तो कई बड़े अफसरों का पुलिस पर दबाव है. ठीक से जांच हो गई तो कई बड़े लोगों के नाम सामने आएंगे. हालांकि, पुलिस ने पार्थ के मोबाइल की डिटेल भी निकाली है. वहीं, उसके मोबाइल में मिले साक्ष्य को पुलिस ने सुरक्षित कर दिया है.
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सुसाइड नोट में इन पर है आरोप
पार्थ श्रीवास्तव के 2 पेज के सुसाइड नोट में कई नाम दर्ज हैं. इनमें पार्थ ने पुष्पेंद्र सिंह और अन्य सहकर्मियों पर आरोप लगाए हैं. पार्थ के सुसाइड नोट में अभय, प्रणय, महेंद्र और शैलजा नाम की महिलाकर्मी के नाम का भी जिक्र किया है. पार्थ श्रीवास्तव ने आत्महत्या से पहले ट्वीट किया था, जिसमें उसने अपनी मौत के लिए कुछ लोगों को जिम्मेदार ठहराया था. लेकिन, पार्थ की खुदकुशी करने के बाद उसके ट्वीट को डिलीट कर दिया गया. पार्थ के दोस्तों ने सोशल मीडिया पर पार्थ के ट्विटर और फेसबुक पोस्ट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए "जस्टिस फॉर पार्थ" कैंपेन चलाया है.