लखनऊ: एलडीए की आवासीय योजनाओं के तहत मिलने वाले प्लॉट के लिए भले ही मारा मारी रहती हो, लेकिन एलडीए द्वारा बनाए गए फ्लैट एलडीए की साख पर बट्टा लगा रहे हैं. वर्ष 2010 में आवासीय योजना के तहत शुरू की गई पारिजात अपार्टमेंट योजना के बड़ी संख्या में आवंटियों को अब तक बिल्डिंग में पजेशन नहीं मिल सका है. वहीं जिन लोगों को पजेशन मिला है वह बिल्डिंग की अव्यवस्थाओं से परेशान हैं. कई फ्लैट मालिकों ने एलडीए से शिकायत की थी. एलडीए की शिकायत के बाद चीफ इंजीनियर इंदु शेखर से इस बारे में ईटीवी भारत ने बातचीत की.
एलडीए चीफ इंजीनियर इंदु शेखर ने बताया कि यह योजना वर्ष 2010 में शुरू की गई थी. वर्ष 2012-13 में फ्लैटों का आवंटन किया गया था. कार्यदाई संस्था ने नियमों के तहत काम पूरा नहीं किया, जिसको लेकर कार्यदायी संस्था पर कार्रवाई की गई है. हम लगातार पारिजात अपार्टमेंट के कार्य को पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं, जो आवंटी रजिस्ट्री करवा कर पजेशन लेना चाह रहे हैं, उन्हें 10 से 12 दिनों में फ्लैट को फिनिश कर पजेशन दिया जा रहा है. हमारी प्राथमिकता है कि हम आवंटी को आधारभूत सुविधा उपलब्ध करा सकें.
पारिजात अपार्टमेंट में 450 फ्लैट हैं, जिनमें से ज्यादातर फ्लैट अलॉट किए जा चुके हैं. 150 की रजिस्ट्री हुई है और वर्तमान में लगभग 40 फ्लैटों में लोग रह रहे हैं. फिलहाल हमारी प्राथमिकता आधारभूत सुविधा उपलब्ध कराने की है. समय के साथ शर्तों के तहत सभी सुविधाएं आवंटी को उपलब्ध कराई जाएंगी. प्रोजेक्ट को बीच में छोड़ने वाली कार्यदाई संस्था पर विभागीय कार्रवाई के साथ एफआईआर भी दर्ज कराई जाएगी.