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बच्चों की PUBG Game की लत ऐसे छुड़वाएं, ये हैं Gaming Disorder के लक्षण

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Published : Jun 19, 2022, 5:59 PM IST

लखनऊ में पबजी गेम के लती बेटे ने मां की हत्या कर दी. इस मामले के सामने आने के बाद मां-बाप मोबाइल फोन पर लगे रहने वाले बच्चों को लेकर चिंतित हो गए हैं. यह लत छुड़वाने के लिए वे मनोरोग चिकित्सक से सलाह लेने पहुंच रहे हैं. चलिए जानते हैं कि आखिर बच्चों की PUBG Game की लत छुड़वाने के लिए क्या सलाह दी जा रही है और गेमिंग डिसआर्डर के आखिर लक्षण क्या हैं?

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बच्चों की PUBG Game की लत ऐसे छुड़ाएं, ये हैं गेमिंग डिसआर्डर के लक्षण

लखनऊः लखनऊ में पबजी गेम के लती बेटे ने मां की हत्या कर दी. इसके बाद गेमिंग डिसआर्डर (Gaming Disorder) को लेकर मां-बाप की चिंता सामने आने लगी है.लखनऊ में सिविल अस्पताल के मनोरोग विभाग की डॉ. दीप्ति सिंह के पास ऐसे कई अभिभावक बच्चों की यह समस्या लेकर पहुंच रहे हैं. इसे लेकर उन्होंने कुछ सलाह दी है चलिए जानते हैं उस बारे में.

डॉ. दीप्ति के मुताबिक अब बच्चे 10 साल के बाद सोचने-समझने लगे हैं. अपनी बातों को अहमियत देने लगे हैं. 10 साल के बाद मां-बाप को बच्चों को समझाने में काफी दिक्कत होती है. बच्चों की मोबाइल की लत ने मां-बाप को चिंता में डाल दिया है. इसके चलते उनमें गेमिंग डिसआर्डर हो रहा है.

मनोचिकित्सक ने दी यह सलाह.

गेमिंग डिसआर्डर के लक्षण

  • चिड़चिड़ापन या गुस्सा करना.
  • दैनिक क्रियाकलापों में बदलाव आ जाना.
  • होमवर्क और अन्य काम नहीं करना.
  • अकेले रहना, मिलना-जुलना कम कर देना.

मनोचिकित्सक की सलाह

  • घर का माहौल अच्छा रखें.
  • छोटी-छोटी बातों पर बच्चों पर गुस्सा न करें, घर का माहौल खुशनुमा रखें.
  • बच्चों को मारने के बजाय प्यार से समझाएं.
  • बच्चों की परेशानी और उलझन को प्यार से जानने की कोशिश करें.
  • कोशिश करके एक वक्त का खाना पूरा परिवार साथ में खाएं.
  • मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रानिक गैजेट का कम से कम इस्तेमाल करें.
  • परिवार के साथ घूमने-फिरने और बाहर खाने-पीने जाएं.
  • बच्चों की हर गतिविधि पर नजर बनाए रखें.
  • बच्चों की हॉबी को बढ़ावा दें.
  • पुरानी और पसंदीदा चीजों को फिर से शुरू करें.

डॉ. दीप्ति के मुताबिक ऐसे केस में हम दवा नहीं देते हैं बल्कि बच्चों की काउंसिलिंग करते हैं. माता-पिता घर पर ही अपने बच्चों को सुधार सकते हैं. उन्हें एक काम से हटाकर दूसरे काम में बिजी करके उनका मन बहला सकते हैं. अभिभावकों का ऐसी स्थिति में अहम रोल हो जाता है. उन्होंने कहा कि जबसे पबजी वाला केस सामने आया है, कई अभिभावक अपने बच्चों को लेकर चिंतिंत हैं. उनको लग रहा है कि कहीं उनके बच्चे किसी मेंटल डिसऑर्डर का शिकार तो नहीं हो रहे है. ओपीडी में रोजाना चार से पांच ऐसे केस आ रहे हैं. उन्होंने सलाह दी है कि बच्चे की स्मार्ट फोन की लत छुड़वाने के लिए कोशिश करके कीपैड वाले फोन का इस्तेमाल करें. इससे बच्चे की लत छुड़वाने में काफी मदद मिलेगी.

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लखनऊः लखनऊ में पबजी गेम के लती बेटे ने मां की हत्या कर दी. इसके बाद गेमिंग डिसआर्डर (Gaming Disorder) को लेकर मां-बाप की चिंता सामने आने लगी है.लखनऊ में सिविल अस्पताल के मनोरोग विभाग की डॉ. दीप्ति सिंह के पास ऐसे कई अभिभावक बच्चों की यह समस्या लेकर पहुंच रहे हैं. इसे लेकर उन्होंने कुछ सलाह दी है चलिए जानते हैं उस बारे में.

डॉ. दीप्ति के मुताबिक अब बच्चे 10 साल के बाद सोचने-समझने लगे हैं. अपनी बातों को अहमियत देने लगे हैं. 10 साल के बाद मां-बाप को बच्चों को समझाने में काफी दिक्कत होती है. बच्चों की मोबाइल की लत ने मां-बाप को चिंता में डाल दिया है. इसके चलते उनमें गेमिंग डिसआर्डर हो रहा है.

मनोचिकित्सक ने दी यह सलाह.

गेमिंग डिसआर्डर के लक्षण

  • चिड़चिड़ापन या गुस्सा करना.
  • दैनिक क्रियाकलापों में बदलाव आ जाना.
  • होमवर्क और अन्य काम नहीं करना.
  • अकेले रहना, मिलना-जुलना कम कर देना.

मनोचिकित्सक की सलाह

  • घर का माहौल अच्छा रखें.
  • छोटी-छोटी बातों पर बच्चों पर गुस्सा न करें, घर का माहौल खुशनुमा रखें.
  • बच्चों को मारने के बजाय प्यार से समझाएं.
  • बच्चों की परेशानी और उलझन को प्यार से जानने की कोशिश करें.
  • कोशिश करके एक वक्त का खाना पूरा परिवार साथ में खाएं.
  • मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रानिक गैजेट का कम से कम इस्तेमाल करें.
  • परिवार के साथ घूमने-फिरने और बाहर खाने-पीने जाएं.
  • बच्चों की हर गतिविधि पर नजर बनाए रखें.
  • बच्चों की हॉबी को बढ़ावा दें.
  • पुरानी और पसंदीदा चीजों को फिर से शुरू करें.

डॉ. दीप्ति के मुताबिक ऐसे केस में हम दवा नहीं देते हैं बल्कि बच्चों की काउंसिलिंग करते हैं. माता-पिता घर पर ही अपने बच्चों को सुधार सकते हैं. उन्हें एक काम से हटाकर दूसरे काम में बिजी करके उनका मन बहला सकते हैं. अभिभावकों का ऐसी स्थिति में अहम रोल हो जाता है. उन्होंने कहा कि जबसे पबजी वाला केस सामने आया है, कई अभिभावक अपने बच्चों को लेकर चिंतिंत हैं. उनको लग रहा है कि कहीं उनके बच्चे किसी मेंटल डिसऑर्डर का शिकार तो नहीं हो रहे है. ओपीडी में रोजाना चार से पांच ऐसे केस आ रहे हैं. उन्होंने सलाह दी है कि बच्चे की स्मार्ट फोन की लत छुड़वाने के लिए कोशिश करके कीपैड वाले फोन का इस्तेमाल करें. इससे बच्चे की लत छुड़वाने में काफी मदद मिलेगी.

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