लखनऊ : ट्रेनों की तर्ज पर उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की बसों की लाइव लोकेशन, आपातकालीन परिस्थितियों में सहायता पहुंचाने को पैनिक बटन लगाने के लिए सात कंपनियां आगे आईं हैं, हालांकि इसके पहले तीन बार बिड खोली गई, लेकिन मानकों पर बार-बार कंपनियां अनफिट ही साबित हुईं. इस बार परिवहन निगम प्रशासन को उम्मीद है कि कंपनियां फाइनेंशियल बिड में भी क्वालीफाई करेंगी. अगर इस बार भी बिड में अगर ये कंपनियां फेल होती हैं तो निर्भया फंड के तहत मिला लाखों का बजट परिवहन निगम को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को वापस करना पड़ेगा.
परिवहन निगम ने निर्भया फंड के तहत एसी और नॉन एसी 10,800 बसों में व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम (वीटीएस) लगाने का प्रयास कर रहा है. इसके लिए केंद्र सरकार की तरफ से निर्भया फंड के तहत करीब 50 लाख का बजट है. वीटीएस की सहायता से रूटों पर चल रही बसों की लाइव लोकेशन ऑनलाइन मिल सकेगी. अगर बस तेज गति से चल रही है या कहीं बेवजह रुकी है तो उसकी भी डिटेल मुख्यालय स्थित सेंट्रल कंट्रोल एंड कमांड सेंटर को मिल सकेगी. आपात परिस्थितियों में बस पर मौजूद यात्रियों को तत्काल सहायता मुहैया करवाने में मदद मिलेगी. इसके अलावा पैनिक बटन के माध्यम से आपातकालीन सहायता भी मिलेगी. बता दें कि पहले भी रोडवेज बसों में व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम डिवाइस लगी हुई थी, जिससे बसों की लोकेशन मिलती थी, तब बीटीएस का ठेका ट्राईमैक्स कंपनी के पास था, लेकिन ठेका खत्म होने के बाद यह सभी डिवाइस बेकार हो गई. अब बसों की लोकेशन मिलना संभव नहीं है.
परिवहन निगम के प्रवक्ता अजीत सिंह ने बताया कि 'परिवहन निगम ने बिड खोली है और सात कंपनियों ने फाइनेंशियल बिड के लिए क्वालीफाई किया है. अनुभव, टर्न ओवर और पिछले रिकॉर्ड के मानकों पर पूरी तरह खरी उतरने वाली कंपनी को ही पैनिक बटन लगाने की जिम्मेदारी दी जाएगी. एक सप्ताह में सभी काम पूरे होने की उम्मीद है.'
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Transport Department : ट्रेनों की तर्ज पर बसों में लगेंगे पैनिक बटन, मिलेगी लाइव लोकेशन - बसों की लाइव लोकेशन
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (Transport Department) की बसों की भी अब लाइव लोकेशन मिल सकेगी. ट्रेनों की तर्ज पर बसों में भी पैनिक बटन लगाए जाएंगे.
लखनऊ : ट्रेनों की तर्ज पर उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की बसों की लाइव लोकेशन, आपातकालीन परिस्थितियों में सहायता पहुंचाने को पैनिक बटन लगाने के लिए सात कंपनियां आगे आईं हैं, हालांकि इसके पहले तीन बार बिड खोली गई, लेकिन मानकों पर बार-बार कंपनियां अनफिट ही साबित हुईं. इस बार परिवहन निगम प्रशासन को उम्मीद है कि कंपनियां फाइनेंशियल बिड में भी क्वालीफाई करेंगी. अगर इस बार भी बिड में अगर ये कंपनियां फेल होती हैं तो निर्भया फंड के तहत मिला लाखों का बजट परिवहन निगम को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को वापस करना पड़ेगा.
परिवहन निगम ने निर्भया फंड के तहत एसी और नॉन एसी 10,800 बसों में व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम (वीटीएस) लगाने का प्रयास कर रहा है. इसके लिए केंद्र सरकार की तरफ से निर्भया फंड के तहत करीब 50 लाख का बजट है. वीटीएस की सहायता से रूटों पर चल रही बसों की लाइव लोकेशन ऑनलाइन मिल सकेगी. अगर बस तेज गति से चल रही है या कहीं बेवजह रुकी है तो उसकी भी डिटेल मुख्यालय स्थित सेंट्रल कंट्रोल एंड कमांड सेंटर को मिल सकेगी. आपात परिस्थितियों में बस पर मौजूद यात्रियों को तत्काल सहायता मुहैया करवाने में मदद मिलेगी. इसके अलावा पैनिक बटन के माध्यम से आपातकालीन सहायता भी मिलेगी. बता दें कि पहले भी रोडवेज बसों में व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम डिवाइस लगी हुई थी, जिससे बसों की लोकेशन मिलती थी, तब बीटीएस का ठेका ट्राईमैक्स कंपनी के पास था, लेकिन ठेका खत्म होने के बाद यह सभी डिवाइस बेकार हो गई. अब बसों की लोकेशन मिलना संभव नहीं है.
परिवहन निगम के प्रवक्ता अजीत सिंह ने बताया कि 'परिवहन निगम ने बिड खोली है और सात कंपनियों ने फाइनेंशियल बिड के लिए क्वालीफाई किया है. अनुभव, टर्न ओवर और पिछले रिकॉर्ड के मानकों पर पूरी तरह खरी उतरने वाली कंपनी को ही पैनिक बटन लगाने की जिम्मेदारी दी जाएगी. एक सप्ताह में सभी काम पूरे होने की उम्मीद है.'
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