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ऑक्सीजन का संकट, अस्पतालों के चक्कर काट रहे मरीज

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Published : Apr 24, 2021, 9:48 PM IST

Updated : Apr 24, 2021, 10:12 PM IST

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ट्रेन से आया एक ऑक्सीजन टैंकर शहर के लिए नाकाफी साबित हुआ. कई अस्पतालों में ऑक्सीजन की किल्लत लगातार बनी हुई है.

लखनऊ
लखनऊ

लखनऊ: निजी कोविड अस्पतालों में सीएमओ के लेटर की अनिवार्यता खत्म हो गई है, इसके बावजूद मरीजों को राहत नहीं मिली है. शनिवार को ट्रेन से आया एक ऑक्सीजन टैंकर शहर के लिए नाकाफी रहा. ऐसे में कई अस्पतालों में ऑक्सीजन की किल्लत रही. मरीजों को बेड नहीं मिला. कुछ की मौत हो गई, कई की हालत गंभीर है.


अस्पतालों ने नहीं चस्पा की खाली बेड की जानकारी
सरकार ने कोविड अस्पतालों को खाली बेड का ब्योरा चस्पा करने का निर्देश दिया. इसमें निजी तो दूर केजीएमयू, बलरामपुर, लोकबंधु समेत कई सरकारी निजी कोविड अस्पतालों ने बेड का ब्योरा चस्पा नहीं किया है. ऐसे में तीमारदार मरीज को लेकर एक से दूसरे अस्पताल की दौड़ लगा रहे हैं. उन्हें अस्पताल का चयन करने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

अस्पतालों में चार घंटे का बैकअप
राजधानी के निजी कोविड अस्पतालों में ऑक्सीजन सिस्टम चरमरा रहा है. 90 फीसद अस्पतालों में दो से चार घंटे का बैकअप चल रहा है. ऐसे में नए मरीजों की भर्ती भी नहीं हो पा रही है. ऐसे में निजी अस्पतालों में नए मरीजों को भर्ती में आनाकानी की जा रही है.

इसे भी पढ़ेंः यूपी में कोरोना वायरस के म्यूटेशन का खतरा, लखनऊ से पुणे भेजे गए सैंपल


इनकी उखड़ी सांस
1. फैजुल्लागंज श्याम बिहार काॅलोनी निवासी प्रिया पटेल (45 ) को करीब दस दिन से बुखार आ रहा था. पहले नजदीकी नाॅन कोविड अस्पताल में भर्ती होकर इलाज करा रही थीं. कोविड रिपोर्ट पाॅजिटिव आने बाद निजी अस्पताल ने इलाज से मना कर दिया. करीब तीन दिन से तीमारदार निजी कोविड अस्पताल में भर्ती कराने के लिए दौड़ लगाते रहे मगर मरीज भर्ती न होने से शनिवार सुबह उनकी जान चली गई.

2. फैजुल्लागंज निवासी नासिर (50) को चार दिन पहले बुखार आया. रिपोर्ट पाॅजिटिव होने पर परिजनों ने बंधा रोड निजी कोविड अस्पताल में ले जाकर भर्ती कराया. आरोप है वहां पर ऑक्सीजन खत्म होने बाद मरीज को घर भेज दिया गया. परिजन जिला प्रशासन से लेकर कई अधिकािरयों से निजी कोविड अस्पताल में भर्ती कराने के लिए गुहार लगाते रहे मगर भर्ती न होने से शनिवार को इनकी भी जान चली गई.

प्रतिदिन सैकड़ों अंतिम संस्कार
स्थिति की भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि राजधानी लखनऊ के श्मशान घाटों पर प्रतिदिन 150 से 200 डेड बॉडी का अंतिम संस्कार किया जा रहा है. ऐसे में समझा जा सकता है कि राजधानी में कोरोना का संक्रमण किस कदर खौफनाक हो चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को सभी प्रदेश के मुख्यमंत्रियों के साथ बात कर उन्हें ऑक्सीजन की आपूर्ति करने के निर्देश भी दिए. इस क्रम में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राजधानी लखनऊ के मरीजों को ऑक्सीजन की आपूर्ति करने के लिए पंचम तल पर कंट्रोल रूम की स्थापना भी कराई. इसके साथ ही तीन क्षेत्राधिकारियों को यहां पर तैनात भी कर दिया गया है. अपर मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि इन तीनों अधिकारियों को तीन पारियों में तैनात किया जाएगा और इसके साथ ही राजधानी के अस्पतालों और मरीजों को ऑक्सीजन उपलब्ध कराने में यह सेंटर मदद करेगा.

इन तीन अधिकारियों की तैनाती
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर क्षेत्राधिकारी अजय भदोरिया, क्षेत्राधिकारी राजेंद्र कुमार व क्षेत्राधिकारी महेंद्र पाल सिंह को कोरोना के कंट्रोल रूम में तैनात किया गया है. सुबह 8 बजे से लेकर दूसरे दिन सुबह 8 बजे तक इन तीनों अधिकारियों को ड्यूटी पर लगाई जाएगी., इन तीनों अधिकारियों की ड्यूटी 8 घंटे की होगी.

नहीं मिली जनता को राहत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भले ही प्रदेश के मुख्यमंत्रियों से बात कर प्रदेश में ऑक्सीजन की आपूर्ति के निर्देश दिए और इस क्रम में यूपी सरकार ने कंट्रोल रूम भी स्थापित किया पर राजधानी लखनऊ के तालकटोरा ऑक्सीजन प्लांट में बड़ी संख्या में लोग ऑक्सीजन गैस सिलेंडर के लिए लाइन लगाए रहे. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश सरकार काया सिस्टम प्रदेश की जनता के लिए कितना कारगर साबित हो रहा है.

लखनऊ: निजी कोविड अस्पतालों में सीएमओ के लेटर की अनिवार्यता खत्म हो गई है, इसके बावजूद मरीजों को राहत नहीं मिली है. शनिवार को ट्रेन से आया एक ऑक्सीजन टैंकर शहर के लिए नाकाफी रहा. ऐसे में कई अस्पतालों में ऑक्सीजन की किल्लत रही. मरीजों को बेड नहीं मिला. कुछ की मौत हो गई, कई की हालत गंभीर है.


अस्पतालों ने नहीं चस्पा की खाली बेड की जानकारी
सरकार ने कोविड अस्पतालों को खाली बेड का ब्योरा चस्पा करने का निर्देश दिया. इसमें निजी तो दूर केजीएमयू, बलरामपुर, लोकबंधु समेत कई सरकारी निजी कोविड अस्पतालों ने बेड का ब्योरा चस्पा नहीं किया है. ऐसे में तीमारदार मरीज को लेकर एक से दूसरे अस्पताल की दौड़ लगा रहे हैं. उन्हें अस्पताल का चयन करने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

अस्पतालों में चार घंटे का बैकअप
राजधानी के निजी कोविड अस्पतालों में ऑक्सीजन सिस्टम चरमरा रहा है. 90 फीसद अस्पतालों में दो से चार घंटे का बैकअप चल रहा है. ऐसे में नए मरीजों की भर्ती भी नहीं हो पा रही है. ऐसे में निजी अस्पतालों में नए मरीजों को भर्ती में आनाकानी की जा रही है.

इसे भी पढ़ेंः यूपी में कोरोना वायरस के म्यूटेशन का खतरा, लखनऊ से पुणे भेजे गए सैंपल


इनकी उखड़ी सांस
1. फैजुल्लागंज श्याम बिहार काॅलोनी निवासी प्रिया पटेल (45 ) को करीब दस दिन से बुखार आ रहा था. पहले नजदीकी नाॅन कोविड अस्पताल में भर्ती होकर इलाज करा रही थीं. कोविड रिपोर्ट पाॅजिटिव आने बाद निजी अस्पताल ने इलाज से मना कर दिया. करीब तीन दिन से तीमारदार निजी कोविड अस्पताल में भर्ती कराने के लिए दौड़ लगाते रहे मगर मरीज भर्ती न होने से शनिवार सुबह उनकी जान चली गई.

2. फैजुल्लागंज निवासी नासिर (50) को चार दिन पहले बुखार आया. रिपोर्ट पाॅजिटिव होने पर परिजनों ने बंधा रोड निजी कोविड अस्पताल में ले जाकर भर्ती कराया. आरोप है वहां पर ऑक्सीजन खत्म होने बाद मरीज को घर भेज दिया गया. परिजन जिला प्रशासन से लेकर कई अधिकािरयों से निजी कोविड अस्पताल में भर्ती कराने के लिए गुहार लगाते रहे मगर भर्ती न होने से शनिवार को इनकी भी जान चली गई.

प्रतिदिन सैकड़ों अंतिम संस्कार
स्थिति की भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि राजधानी लखनऊ के श्मशान घाटों पर प्रतिदिन 150 से 200 डेड बॉडी का अंतिम संस्कार किया जा रहा है. ऐसे में समझा जा सकता है कि राजधानी में कोरोना का संक्रमण किस कदर खौफनाक हो चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को सभी प्रदेश के मुख्यमंत्रियों के साथ बात कर उन्हें ऑक्सीजन की आपूर्ति करने के निर्देश भी दिए. इस क्रम में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राजधानी लखनऊ के मरीजों को ऑक्सीजन की आपूर्ति करने के लिए पंचम तल पर कंट्रोल रूम की स्थापना भी कराई. इसके साथ ही तीन क्षेत्राधिकारियों को यहां पर तैनात भी कर दिया गया है. अपर मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि इन तीनों अधिकारियों को तीन पारियों में तैनात किया जाएगा और इसके साथ ही राजधानी के अस्पतालों और मरीजों को ऑक्सीजन उपलब्ध कराने में यह सेंटर मदद करेगा.

इन तीन अधिकारियों की तैनाती
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर क्षेत्राधिकारी अजय भदोरिया, क्षेत्राधिकारी राजेंद्र कुमार व क्षेत्राधिकारी महेंद्र पाल सिंह को कोरोना के कंट्रोल रूम में तैनात किया गया है. सुबह 8 बजे से लेकर दूसरे दिन सुबह 8 बजे तक इन तीनों अधिकारियों को ड्यूटी पर लगाई जाएगी., इन तीनों अधिकारियों की ड्यूटी 8 घंटे की होगी.

नहीं मिली जनता को राहत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भले ही प्रदेश के मुख्यमंत्रियों से बात कर प्रदेश में ऑक्सीजन की आपूर्ति के निर्देश दिए और इस क्रम में यूपी सरकार ने कंट्रोल रूम भी स्थापित किया पर राजधानी लखनऊ के तालकटोरा ऑक्सीजन प्लांट में बड़ी संख्या में लोग ऑक्सीजन गैस सिलेंडर के लिए लाइन लगाए रहे. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश सरकार काया सिस्टम प्रदेश की जनता के लिए कितना कारगर साबित हो रहा है.

Last Updated : Apr 24, 2021, 10:12 PM IST
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