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राजधानी में ऑक्सीजन की किल्लत जारी, टूटती सासों को बचाने की जद्दोजहद जारी

राजधानी लखनऊ में थम रहीं सांसों को बचाने के लिए परिजन ऑक्सीजन प्लांट के बाहर रात में ही लाइन में लग जाते हैं. फिर भी ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा है. राजधानी के बीकेटी और चिनहट स्थित ऑक्सीजन प्लांट में ऑक्सीजन के लिए भारी भीड़ जुट रही है.

राजधानी में ऑक्सीजन की किल्लत जारी
राजधानी में ऑक्सीजन की किल्लत जारी
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Published : Apr 29, 2021, 12:45 AM IST

लखनऊ : राजधानी लखनऊ में ऑक्सीजन की किल्लत दूर होने का नाम नहीं ले रही है. बोकारो से ट्रेन के द्वारा दो बार लिक्विड ऑक्सीजन की खेप पहुंच चुकी है जो अपर्याप्त रही है. ऐसे में राजधानी के लोग सांसों को बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं.

राजधानी में 6 अक्सीजन प्लांट, फिर भी हो रही कमी

जिला प्रशासन ऑक्सीजन की इस किल्लत को अभी तक सामान्य नहीं कर पाया है. राजधानी में 6 अक्सीजन प्लांट हैं जिनमें 5040 सिलेंडरों को रोज भरने के लिए ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा रहा है. इतने उत्पादन के बावजूद रात से ही ऑक्सीजन के लिए लोगों को लगना पड़ता है. कुछ को खाली हाथ भी लौटना पड़ रहा है. ऑक्सीजन के अभाव में घरों में कई मरीजों की सांसें थम चुकीं हैं.

यह भी पढ़ें : जरूरत से ज्यादा कृत्रिम प्रकाश है मानव और पर्यावरण के लिए नुकसानदायक

लखनऊ में ऑक्सीजन के लिए मची है मारामारी

ऑक्सीजन के लिए पिछले 8 घंटों से लाइन में लगे निशांत ने बताया कि उनकी मां के शरीर में ऑक्सीजन का लेवल कम हो गया है. इसके लिए उन्हें ऑक्सीजन की जरूरत है लेकिन उन्हें ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है. यही हाल मुमताज का भी है. उसे अपनी बहन की जान बचाने के लिए प्लांट के बाहर ऑक्सीजन के लिए लाइन लगानी पड़ रही है.

ऑक्सीजन किल्लत की क्या है मुख्य वजह

ऑक्सीजन प्लांट के मालिक योगेश अग्रवाल बताते हैं कि प्रदेश में तीन दशकों में मोदीनगर को छोड़ ऑक्सीजन का कोई भी प्लांट नहीं लगा है. इसके लिए उत्तर प्रदेश में महंगी बिजली भी एक बड़ा कारण है क्योंकि ऑक्सीजन के उत्पादन में बिजली का खर्च बहुत आता है. इससे इसका उत्पादन सीमित हो रहा था. अब जरूरत पड़ी है तो इसकी किल्लत हो रही है.

लखनऊ : राजधानी लखनऊ में ऑक्सीजन की किल्लत दूर होने का नाम नहीं ले रही है. बोकारो से ट्रेन के द्वारा दो बार लिक्विड ऑक्सीजन की खेप पहुंच चुकी है जो अपर्याप्त रही है. ऐसे में राजधानी के लोग सांसों को बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं.

राजधानी में 6 अक्सीजन प्लांट, फिर भी हो रही कमी

जिला प्रशासन ऑक्सीजन की इस किल्लत को अभी तक सामान्य नहीं कर पाया है. राजधानी में 6 अक्सीजन प्लांट हैं जिनमें 5040 सिलेंडरों को रोज भरने के लिए ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा रहा है. इतने उत्पादन के बावजूद रात से ही ऑक्सीजन के लिए लोगों को लगना पड़ता है. कुछ को खाली हाथ भी लौटना पड़ रहा है. ऑक्सीजन के अभाव में घरों में कई मरीजों की सांसें थम चुकीं हैं.

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लखनऊ में ऑक्सीजन के लिए मची है मारामारी

ऑक्सीजन के लिए पिछले 8 घंटों से लाइन में लगे निशांत ने बताया कि उनकी मां के शरीर में ऑक्सीजन का लेवल कम हो गया है. इसके लिए उन्हें ऑक्सीजन की जरूरत है लेकिन उन्हें ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है. यही हाल मुमताज का भी है. उसे अपनी बहन की जान बचाने के लिए प्लांट के बाहर ऑक्सीजन के लिए लाइन लगानी पड़ रही है.

ऑक्सीजन किल्लत की क्या है मुख्य वजह

ऑक्सीजन प्लांट के मालिक योगेश अग्रवाल बताते हैं कि प्रदेश में तीन दशकों में मोदीनगर को छोड़ ऑक्सीजन का कोई भी प्लांट नहीं लगा है. इसके लिए उत्तर प्रदेश में महंगी बिजली भी एक बड़ा कारण है क्योंकि ऑक्सीजन के उत्पादन में बिजली का खर्च बहुत आता है. इससे इसका उत्पादन सीमित हो रहा था. अब जरूरत पड़ी है तो इसकी किल्लत हो रही है.

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