लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग के निदेशक की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है. सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में अप्रैल से सत्र शुरू हो चुका है, लेकिन डायरेक्टर साहब को अब यानी जून में किताबें खरीदने की याद आई है. यह किताबें सरकारी प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को निशुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं. माना जा रहा है कि बच्चों तक किताबें पहुंचने में 3 माह का वक्त भी लग सकता है. ऐसे में बच्चों की पढ़ाई अब भगवान भरोसे है.
शिक्षा निदेशक बेसिक सर्वेंद्र विक्रम बहादुर की तरफ से 10 जून 2022 को यानी करीब 4 दिन पहले किताबें खरीदने के संबंध में आदेश जारी किया गया है. अब कब तक इन इन किताबों की खरीद के लिए मुद्रक और प्रकाशकों के पास सूचना पहुंचेगी ? कब इन किताबों की छपाई की प्रक्रिया पूरी होगी? कब तक यह किताबें बच्चों के पास पहुंच पाएंगी? इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है. बता दें कि यह लापरवाही तब है जबकि हर साल यह निशुल्क किताबों की खरीद की जाती है और बच्चों को बंटवाई जाती है.
एक करोड़ 85 लाख को दी जानी हैं किताबें: उत्तर प्रदेश में सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों की संख्या 1,30,000 से अधिक है. इन स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या एक करोड़ 85 लाख के आसपास है. सरकार की तरफ से प्रदेशभर में संचालित परिषदीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक विद्यालयों के साथी राजकीय विद्यालयों, अशासकीय सहायता प्राप्त प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों, माध्यमिक विद्यालयों के साथ समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित राजकीय व सहायता प्राप्त विद्यालयों एवं सहायता प्राप्त मदरसों में कक्षा 1 से 8 तक पढ़ने वाले सभी बच्चों को निशुल्क किताबें उपलब्ध कराई जाती हैं.
3 से 4 महीने का इंतजार: डायरेक्टर की तरफ से जारी आदेश में सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को अपनी आवश्यकता के अनुसार मुद्रक एवं प्रकाशिक से संपर्क करने को कहा गया है. जारी की गई सूचना के मुताबिक अनुबंध की तिथि 7 जून 2022 है. सभी पाठ्य पुस्तकें अनुबंध की तिथि यानी कि 7 जून से 90 दिन के भीतर उपलब्ध कराई जानी हैं. साफ है कि पाठ्य पुस्तकों के स्कूल में पहुंचने में कम से कम 3 महीने का समय अभी और लगेगा. जबकि, कार्यपुस्तिका यानी वर्कशीट पहुंचने में 4 महीने का समय लगना है.
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बेसिक शिक्षा निदेशक की लापरवाही से समय पर नहीं मिल पाएंगी किताबें, एक करोड़ 85 लाख बच्चों के भविष्य से खिलवाड़
बेसिक शिक्षा विभाग के निदेशक की लापरवाही सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों के एक करोड़ 85 लाख बच्चों को समय पर किताबें नहीं मिल पाएंगी. सत्र की शुरुआत के दो माह बाद किताबों की खरीद का आदेश दिया गय है. ऐसे में किताबें बच्चों के हाथों में पहुंचते पहुंचते 3 महीने लग सकते हैं.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग के निदेशक की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है. सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में अप्रैल से सत्र शुरू हो चुका है, लेकिन डायरेक्टर साहब को अब यानी जून में किताबें खरीदने की याद आई है. यह किताबें सरकारी प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को निशुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं. माना जा रहा है कि बच्चों तक किताबें पहुंचने में 3 माह का वक्त भी लग सकता है. ऐसे में बच्चों की पढ़ाई अब भगवान भरोसे है.
शिक्षा निदेशक बेसिक सर्वेंद्र विक्रम बहादुर की तरफ से 10 जून 2022 को यानी करीब 4 दिन पहले किताबें खरीदने के संबंध में आदेश जारी किया गया है. अब कब तक इन इन किताबों की खरीद के लिए मुद्रक और प्रकाशकों के पास सूचना पहुंचेगी ? कब इन किताबों की छपाई की प्रक्रिया पूरी होगी? कब तक यह किताबें बच्चों के पास पहुंच पाएंगी? इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है. बता दें कि यह लापरवाही तब है जबकि हर साल यह निशुल्क किताबों की खरीद की जाती है और बच्चों को बंटवाई जाती है.
एक करोड़ 85 लाख को दी जानी हैं किताबें: उत्तर प्रदेश में सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों की संख्या 1,30,000 से अधिक है. इन स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या एक करोड़ 85 लाख के आसपास है. सरकार की तरफ से प्रदेशभर में संचालित परिषदीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक विद्यालयों के साथी राजकीय विद्यालयों, अशासकीय सहायता प्राप्त प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों, माध्यमिक विद्यालयों के साथ समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित राजकीय व सहायता प्राप्त विद्यालयों एवं सहायता प्राप्त मदरसों में कक्षा 1 से 8 तक पढ़ने वाले सभी बच्चों को निशुल्क किताबें उपलब्ध कराई जाती हैं.
3 से 4 महीने का इंतजार: डायरेक्टर की तरफ से जारी आदेश में सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को अपनी आवश्यकता के अनुसार मुद्रक एवं प्रकाशिक से संपर्क करने को कहा गया है. जारी की गई सूचना के मुताबिक अनुबंध की तिथि 7 जून 2022 है. सभी पाठ्य पुस्तकें अनुबंध की तिथि यानी कि 7 जून से 90 दिन के भीतर उपलब्ध कराई जानी हैं. साफ है कि पाठ्य पुस्तकों के स्कूल में पहुंचने में कम से कम 3 महीने का समय अभी और लगेगा. जबकि, कार्यपुस्तिका यानी वर्कशीट पहुंचने में 4 महीने का समय लगना है.
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