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52 महीने से नहीं मिला मानदेय, सड़कों पर उतरे 25 हजार मदरसा शिक्षक - yogi government

मदरसा शिक्षकों का आरोप है कि केंद्र सरकार (central government) शिक्षकों को तय और 52 महीने से मानदेय (honorarium) नहीं दे रही है, जिससे अधिकांश मदरसा शिक्षक भुखमरी की कगार पर आ गए हैं. इसी मांग को लेकर राजधानी लखनऊ में मदरसा शिक्षकों ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया.

लखनऊ में मदरसा शिक्षकों का प्रदर्शन
लखनऊ में मदरसा शिक्षकों का प्रदर्शन
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Published : Aug 24, 2021, 12:38 PM IST

Updated : Aug 24, 2021, 12:47 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में मदरसा आधुनिकीकरण कार्यक्रम (Madrasa Modernization Program) के तहत रखे गए शिक्षकों को 52 महीने से मानदेय नहीं मिला है. प्रदेश भर में ऐसे शिक्षकों की संख्या करीब पच्चीस हजार के आसपास है. 4 साल बाद भी मानदेय न मिल पाने के कारण यह भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं. परेशान मदरसा शिक्षकों (Madarsa teachers) की तरफ से मंगलवार को लखनऊ स्थित भाजपा कार्यालय (BJP Office) के सामने विरोध-प्रदर्शन किया गया.

प्रदेश भर के मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों को 52 महीने से मानदेय ही नहीं मिला है. इससे नाराज शिक्षकों ने मंगलवार को बीजेपी कार्यालय का घेराव किया. आरोप है कि सरकार और शासन की लापरवाही के कारण 25 हजार से ज्यादा मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों के परिवार भुखमरी की कगार पर हैं. प्रदर्शन के दौरान पुलिस और नाराज शिक्षकों के बीच झड़प हुई. इससे नाराज शिक्षकों ने जमकर नारेबाजी की. घंटो संघर्ष के बाद पुलिस के आश्वासन पर प्रदर्शनकरियों को ईको गार्डन पार्क भेजा गया. प्रदर्शनकरियों ने एलान किया, यदि उन्हें मानदेह नहीं दिया गया तो आर पार की लड़ाई होगी.

प्रदर्शनकारियों की माने तो वह बीते कई महीनों से दिल्ली से लेकर लखनऊ तक लगातार विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. कई बार सरकार और अधिकारियों की तरफ से उन्हें आश्वासन दिए गए, लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला. उनका कहना है कि बीते 52 महीने से मानदेय न मिलने के कारण उनका परिवार भुखमरी की कगार पर आ गया है. वहीं कोरोना काल में कई शिक्षकों ने अपनी जान गंवा दी. ऐसे मृतक शिक्षकों के परिवार सड़क पर आ चुके हैं. कई शिक्षकों के पास कमाई का कोई और अन्य जरिया भी नहीं है. इसके बावजूद अगर शासन-प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी नहीं जागते हैं तो इससे ज्यादा खौफनाक और दर्दनाक कुछ नहीं हो सकता.

इसे भी पढ़ें-मदरसा शिक्षकों को 4 साल से नहीं मिला वेतन का केंद्रांश, सरकार से लगाई गुहार

  • उत्तर प्रदेश में शिक्षकों को लेकर बीते कई दिनों से लगातार प्रदेश सरकार को लेकर नाराजगी खुलकर सामने आ रही है. कोरोना काल के दौरान उत्तर प्रदेश में स्कूलों का संचालन दो पालियों में किया जा रहा है.
  • बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों में सहायक शिक्षक भर्ती को लेकर लगातार विवाद चल रहा है. भर्ती प्रक्रिया में 22 हजार अतिरिक्त पद जोड़े जाने की मांग को लेकर अभ्यर्थियों की ओर से बीते 2 महीने से विरोध-प्रदर्शन किया जा रहा है.
  • उत्तर प्रदेश में 69,000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण प्रक्रिया को ठीक से लागू नहीं किए जाने का आरोप लगाकर अभ्यर्थी विरोध-प्रदर्शन हुआ. मामला कोर्ट तक गया. कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ.
  • 69 हाजर शिक्षक भर्ती मामले में अभ्यर्थियों की ओर से लगातार गड़बड़ियों के आरोप लगाए जाते रहे हैं. आरोप है कि उन्हें दस्तावेजों में आवेदन के समय हुई गलतियों को सुधारने का मौका नहीं दिया गया.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में मदरसा आधुनिकीकरण कार्यक्रम (Madrasa Modernization Program) के तहत रखे गए शिक्षकों को 52 महीने से मानदेय नहीं मिला है. प्रदेश भर में ऐसे शिक्षकों की संख्या करीब पच्चीस हजार के आसपास है. 4 साल बाद भी मानदेय न मिल पाने के कारण यह भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं. परेशान मदरसा शिक्षकों (Madarsa teachers) की तरफ से मंगलवार को लखनऊ स्थित भाजपा कार्यालय (BJP Office) के सामने विरोध-प्रदर्शन किया गया.

प्रदेश भर के मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों को 52 महीने से मानदेय ही नहीं मिला है. इससे नाराज शिक्षकों ने मंगलवार को बीजेपी कार्यालय का घेराव किया. आरोप है कि सरकार और शासन की लापरवाही के कारण 25 हजार से ज्यादा मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों के परिवार भुखमरी की कगार पर हैं. प्रदर्शन के दौरान पुलिस और नाराज शिक्षकों के बीच झड़प हुई. इससे नाराज शिक्षकों ने जमकर नारेबाजी की. घंटो संघर्ष के बाद पुलिस के आश्वासन पर प्रदर्शनकरियों को ईको गार्डन पार्क भेजा गया. प्रदर्शनकरियों ने एलान किया, यदि उन्हें मानदेह नहीं दिया गया तो आर पार की लड़ाई होगी.

प्रदर्शनकारियों की माने तो वह बीते कई महीनों से दिल्ली से लेकर लखनऊ तक लगातार विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. कई बार सरकार और अधिकारियों की तरफ से उन्हें आश्वासन दिए गए, लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला. उनका कहना है कि बीते 52 महीने से मानदेय न मिलने के कारण उनका परिवार भुखमरी की कगार पर आ गया है. वहीं कोरोना काल में कई शिक्षकों ने अपनी जान गंवा दी. ऐसे मृतक शिक्षकों के परिवार सड़क पर आ चुके हैं. कई शिक्षकों के पास कमाई का कोई और अन्य जरिया भी नहीं है. इसके बावजूद अगर शासन-प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी नहीं जागते हैं तो इससे ज्यादा खौफनाक और दर्दनाक कुछ नहीं हो सकता.

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  • उत्तर प्रदेश में शिक्षकों को लेकर बीते कई दिनों से लगातार प्रदेश सरकार को लेकर नाराजगी खुलकर सामने आ रही है. कोरोना काल के दौरान उत्तर प्रदेश में स्कूलों का संचालन दो पालियों में किया जा रहा है.
  • बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों में सहायक शिक्षक भर्ती को लेकर लगातार विवाद चल रहा है. भर्ती प्रक्रिया में 22 हजार अतिरिक्त पद जोड़े जाने की मांग को लेकर अभ्यर्थियों की ओर से बीते 2 महीने से विरोध-प्रदर्शन किया जा रहा है.
  • उत्तर प्रदेश में 69,000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण प्रक्रिया को ठीक से लागू नहीं किए जाने का आरोप लगाकर अभ्यर्थी विरोध-प्रदर्शन हुआ. मामला कोर्ट तक गया. कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ.
  • 69 हाजर शिक्षक भर्ती मामले में अभ्यर्थियों की ओर से लगातार गड़बड़ियों के आरोप लगाए जाते रहे हैं. आरोप है कि उन्हें दस्तावेजों में आवेदन के समय हुई गलतियों को सुधारने का मौका नहीं दिया गया.
Last Updated : Aug 24, 2021, 12:47 PM IST
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