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मच्छरों को नियंत्रित करने के लिए बहुत लाभकारी है जैविक कीटनाशक उत्पाद : डॉ. सत्येंद्र कुमार

मच्छरों को नियंत्रित करने के लिए जैविक कीटनाशक उत्पादन अत्यंत लाभकारी होता है. चंद्र भानु गुप्ता कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर सत्येंद्र कुमार सिंह का कहना है कि डेंगू बीमारी को रोकने के लिए जैविक उत्पादों का प्रयोग जरूरी है.

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Published : Oct 21, 2021, 12:33 PM IST

मच्छरों को नियंत्रित करने में कारगर जैविक कीटनाशक
मच्छरों को नियंत्रित करने में कारगर जैविक कीटनाशक

लखनऊ: प्रदेश में कोरोना महामारी में कमी आई है, लेकिन अब डेंगू का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की ओर से लगातार डेंगू से बचाव की जानकारी दी जा रही है और मच्छरों के खात्मा के लिए तमाम व्यवस्थाएं की जा रही है.

जानकारी के मुताबिक, निरंतर क्यूलेक्स एनाफिलीज एवं एडिज मच्छर जहरीले कीटनाशकों के प्रयोग से बढ़ते चले जा रहे हैं. इनके चलते एडीज मच्छर बहुत अधिक मात्रा में अपनी संतति को बढ़ा देते हैं. उस समय इन्हें प्रबंधित करना भी मुश्किल होता है. ऐसे में मच्छरों को नियंत्रित करने के लिए जैविक कीटनाशक उत्पाद बहुत ही लाभकारी हैं, जिससे कहीं न कहीं इन्हें रोका जा सकता है.

मच्छरों को नियंत्रित करने में कारगर जैविक कीटनाशक

चंद्र भानु गुप्ता कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि निरंतर क्यूलेक्स एनाफिलीज एवं एडीज मच्छर जहरीले कीटनाशकों के प्रयोग से बढ़ते चले जा रहे हैं. इनमें प्रतिरोधक क्षमता रेसिस्टेंट पावर विकसित होती चली जा रही है. इस कारण रासायनिक कीटनाशकों का मच्छरों के ऊपर कोई प्रभाव नहीं पड़ता और उनकी संतति निरंतर बढ़ती रहती है. प्रमुख रूप से जब वातावरण में अधिक नमी आर्द्रता होती है और सप्ताह में एक दो बार बारिश हो जाती है तो एडीज मच्छर बहुत अधिक मात्रा में अपनी संतति को बढ़ा देता है. उस समय इन्हें प्रबंधित करना भी मुश्किल होता है.

उन्होंने बताया कि जहरीले रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग पब्लिक हेल्थ प्रोग्राम में किया जाता है. प्रमुख रूप से यह रसायन मच्छरों में प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर रहे हैं. जिससे डेंगू जैसी गंभीर बीमारी निरंतर बढ़ती चली जाती है. ऐसे में इन्हें प्रबंधित करने के लिए जैविक उत्पादों का प्रयोग करना चाहिए. जिसके लिए बैसलिस, थूरिजनेसिस, इजरायलीनंसिस एच 14(वेक्टोबैक 12 ए एस) के छिड़काव करने की सलाह दी.

उन्होंने बताया कि यह जैविक कीटनाशक है और काफी समय तक प्रभावित होता है. इसकी 1 लीटर मात्रा को 100 लीटर पानी के साथ घोल बनाकर यदि छिड़काव कर दिया जाए तो मच्छरों की संख्या निरंतर कम हो जाती है. उन्होंने बताया कि कृपया छिड़काव करते समय यह आवश्यक सुनिश्चित करें कि कोई भी स्थान जैसे आयन बॉक्स, प्लास्टिक स्क्रैप, अप्रयुक्त टायर, वृक्षों के खोखले होल, सीमेंट टैंक, धान के खेत, ऑर्नामेंटल फाउंटेन, घरों के कूलर, चिड़ियों को रखे जाने वाले पानी के बर्तन तथा पशुओं को चारा खिलाने वाले बर्तनों में सभी में छिड़काव करना चाहिए.

यह रसायन किसी भी प्रकार का रासायनिक प्रभाव नहीं छोड़ते. खाने वाली सामग्री को दूषित नहीं करते, वातावरण को प्रदूषित नहीं करते, साथ में मनुष्य में किसी प्रकार की बीमारी को फैलने का काम नहीं करते. इसलिए यह बहुत लाभकारी होते हैं और काफी समय तक इनका प्रभाव मच्छरों को मारने के लिए रहता है.

इसे भी पढ़ें-यूपी में कोरोना के 6 नए मामले, डेंगू की चपेट में आए 70 मरीज

लखनऊ: प्रदेश में कोरोना महामारी में कमी आई है, लेकिन अब डेंगू का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की ओर से लगातार डेंगू से बचाव की जानकारी दी जा रही है और मच्छरों के खात्मा के लिए तमाम व्यवस्थाएं की जा रही है.

जानकारी के मुताबिक, निरंतर क्यूलेक्स एनाफिलीज एवं एडिज मच्छर जहरीले कीटनाशकों के प्रयोग से बढ़ते चले जा रहे हैं. इनके चलते एडीज मच्छर बहुत अधिक मात्रा में अपनी संतति को बढ़ा देते हैं. उस समय इन्हें प्रबंधित करना भी मुश्किल होता है. ऐसे में मच्छरों को नियंत्रित करने के लिए जैविक कीटनाशक उत्पाद बहुत ही लाभकारी हैं, जिससे कहीं न कहीं इन्हें रोका जा सकता है.

मच्छरों को नियंत्रित करने में कारगर जैविक कीटनाशक

चंद्र भानु गुप्ता कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि निरंतर क्यूलेक्स एनाफिलीज एवं एडीज मच्छर जहरीले कीटनाशकों के प्रयोग से बढ़ते चले जा रहे हैं. इनमें प्रतिरोधक क्षमता रेसिस्टेंट पावर विकसित होती चली जा रही है. इस कारण रासायनिक कीटनाशकों का मच्छरों के ऊपर कोई प्रभाव नहीं पड़ता और उनकी संतति निरंतर बढ़ती रहती है. प्रमुख रूप से जब वातावरण में अधिक नमी आर्द्रता होती है और सप्ताह में एक दो बार बारिश हो जाती है तो एडीज मच्छर बहुत अधिक मात्रा में अपनी संतति को बढ़ा देता है. उस समय इन्हें प्रबंधित करना भी मुश्किल होता है.

उन्होंने बताया कि जहरीले रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग पब्लिक हेल्थ प्रोग्राम में किया जाता है. प्रमुख रूप से यह रसायन मच्छरों में प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर रहे हैं. जिससे डेंगू जैसी गंभीर बीमारी निरंतर बढ़ती चली जाती है. ऐसे में इन्हें प्रबंधित करने के लिए जैविक उत्पादों का प्रयोग करना चाहिए. जिसके लिए बैसलिस, थूरिजनेसिस, इजरायलीनंसिस एच 14(वेक्टोबैक 12 ए एस) के छिड़काव करने की सलाह दी.

उन्होंने बताया कि यह जैविक कीटनाशक है और काफी समय तक प्रभावित होता है. इसकी 1 लीटर मात्रा को 100 लीटर पानी के साथ घोल बनाकर यदि छिड़काव कर दिया जाए तो मच्छरों की संख्या निरंतर कम हो जाती है. उन्होंने बताया कि कृपया छिड़काव करते समय यह आवश्यक सुनिश्चित करें कि कोई भी स्थान जैसे आयन बॉक्स, प्लास्टिक स्क्रैप, अप्रयुक्त टायर, वृक्षों के खोखले होल, सीमेंट टैंक, धान के खेत, ऑर्नामेंटल फाउंटेन, घरों के कूलर, चिड़ियों को रखे जाने वाले पानी के बर्तन तथा पशुओं को चारा खिलाने वाले बर्तनों में सभी में छिड़काव करना चाहिए.

यह रसायन किसी भी प्रकार का रासायनिक प्रभाव नहीं छोड़ते. खाने वाली सामग्री को दूषित नहीं करते, वातावरण को प्रदूषित नहीं करते, साथ में मनुष्य में किसी प्रकार की बीमारी को फैलने का काम नहीं करते. इसलिए यह बहुत लाभकारी होते हैं और काफी समय तक इनका प्रभाव मच्छरों को मारने के लिए रहता है.

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