लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने दस और बांग्लादेशी जमातियों को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. न्यायालय ने इन सभी को मुकदमे के ट्रायल के दौरान प्रत्येक तारीख पर उपस्थित रहने तथा ट्रायल में जानबूझकर देरी न करने की भी चेतावनी दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल सदस्यीय पीठ ने मतिउर रहमान, अब्दुल मलिक, मोहम्मद जहीरउल आलम, हारून राशिद, मोहम्मद दिलवाद शरीफ, हजी मोहम्मद अयूब, मोहम्मद मोहसिन, जानी हुसैन, मोहम्मद शाह व आलम हुसैन की ओर से दाखिल जमानत याचिका को मंजूर करते हुए दिया.
वीजा अवधि समाप्त होने पर भी नहीं छोड़ा भारत
याचिका में कहा गया था कि उक्त सभी अभियुक्तों को अप्रैल माह में ही सीतापुर जनपद से गिरफ्तार किया गया था. उक्त सभी पर वीजा अवधि समाप्त हो जाने के पश्चात भी भारत में रुके रहने व महामारी फैलाने का आरोप है. अभियुक्तों पर सीतापुर जनपद के थाना खैराबाद में आईपीसी की धारा 269 व 188, महामारी अधिनियम की धारा 3, आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 51(बी) तथा फॉरेनर्स एक्ट की धारा 14(बी) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है.
अधिकतम पांच वर्ष की सजा का प्रावधान
बचाव पक्ष की ओर से दलील दी गई कि उक्त सभी धाराओं में अधिकतम सजा पांच वर्ष है. इसके अलावा याचीगण इस दौरान अंतरिम जमानत पर बाहर भी रहे हैं व जमानत की शर्तों का भी पालन नहीं किया गया. याचियों की ओर से यह भी कहा गया कि वीजा अवधि समाप्त होने के पूर्व ही भारत में राष्ट्रीय लॉकडाउन लागू हो गया जिसकी वजह से वे अपने देश नहीं लौट सके, इसलिए महामारी फैलाने का आरोप सच नहीं है. न्यायालय ने सभी परिस्थितियों पर गौर करने के पश्चात सभी दस बांग्लादेशी जमातियों को जमानत पर रिहा करने का आदेश दे दिया.