लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने हथियार एकत्र करने व आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की साजिश रचने के आरोपों में गिरफ्तार किए गए अल कायदा के सहयोगी संगठन अंसार गजवातुल हिन्द के दो कथित सदस्यों मोहम्मद मुस्तकीम और मोहम्मद शकील की जमानत याचिकाओं को मंजूर कर लिया है. न्यायालय ने दोनों अभियुक्तों को अपने सम्बंधित पुलिस थानों में प्रत्येक माह के पहले सप्ताह में हाजिरी लगाने का भी आदेश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने मोहम्मद मुस्तकीम और मोहम्मद शकील की ओर से दाखिल अलग-अलग अपीलों पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया.
अभियुक्तों की ओर से दलील दी गई कि मामले की जांच पूरी कर के एनआईए आरोप पत्र दाखिल कर चुका है. कहा गया कि अभियुक्तों के विरुद्ध साजिश रचने व आर्म्स एक्ट के तहत ही आरोप बन रहा है. यह भी दलील दी गई कि जो भी आरोप अभियुक्तों पर हैं, उनका ट्रायल कोर्ट में परीक्षण होना बाकी है और उक्त परीक्षण में लम्बा वक्त लगेगा. ऐसे में अभियुक्तों को जमानत पर रिहा किया जा सकता है. अपीलों का एनआईए की अधिवक्ता शिखा सिन्हा ने विरोध किया. उन्होंने दलील दी कि एनआईए कोर्ट ने अभियुक्तों के विरुद्ध उपलब्ध साक्ष्यों को देखते हुए अभियुक्तों की जमानत अर्जियां खारिज की हैं. न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात पारित अपने आदेश में कहा कि अभियुक्तों का पिछला कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और वे एक साल आठ महीने से जेल में बंद हैं. लिहाजा उन्हें जमानत पर रिहा किया जा सकता है.
उल्लेखनीय है कि अभियुक्तों पर आरोप है कि एनआईए की विवेचना में पता चला कि जम्मू कश्मीर स्थित अल कायदा के आतंकियों ने एक आरोपी मिनहाज को ऑनलाइन संपर्क किया और अभियुक्त मिनहाज ने आतंकियों के साथ साजिश में शामिल होकर अंसार गजवातुल हिन्द के लिए सदस्यों की भर्ती की. कहा गया कि मिनहाज ने मुशीरुद्दीन को यूपी में आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए भर्ती किया. बताया गया कि मिनहाज और मुशीर ने धमाके करके भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए हथियार, बम एकत्र किए और धमाकों के स्थान को चिन्हित किया. वहीं मोहम्मद शकील, मोहम्मद मुस्तकीम और एक अन्य अभियुक्त मोहम्मद मोईद भी इस साजिश में शामिल थे. मोईद ने घटना करने के लिए मुस्तकीम को पिस्टल मुहैया कराई थी. जिसे एनआईए ने मिनहाज के घर से बरामद किया था.