लखनऊ : उत्तर प्रदेश में नगर निकायों के कार्यकाल की समाप्ति का शासनादेश मंगलवार को कर दिया गया है. इस शासनादेश के होने के साथ ही प्रदेश के नगर निगम में महापौर नगर पंचायतों और नगर पालिका में अध्यक्ष का पद की शक्तियां क्रमशः नगर आयुक्त और अधिशासी अधिकारियों में निहित कर दी गई हैं. स्थानीय निकाय विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात की ओर से यह शासनादेश जारी किया गया है.
शासनादेश के मुताबिक निकायों की कार्यावधि की गणना उनके गठन के पश्चात शपथ ग्रहण की तिथि के निकायों की कार्यावधि के उपरान्त, नगर आयुक्त, नगर निगम तथा अधिशासी अधिकारी, नगरपालिका परिषद/नगर पंचायत को निकायों के कार्य संचालन का दायित्व सौंप दिया जाए. निकाय की कार्यकारिणी समिति बहुमत के द्वारा नगर आयुक्तों/अधिशासी अधिकारियों को परामर्श दे सकेगी एवं यह समिति नागरिकों के लिए दी जाने वाली नागरिक सुविधाओं का पर्यवेक्षण भी करेगी. ऐसा करने में कार्यकारिणी समिति के सदस्यों को कोई पारिश्रमिक/मानदेय/भत्ता देय नहीं होगा. नगरपालिका परिषदों/नगर पंचायतों के संबंध में कार्यकारिणी समिति का आशय निकाय बोर्ड से होगा.
नगर पालिका परिषदों और नगर पंचायतों में खातों का संचालन अध्यक्ष और अधिशासी अधिकारी के संयुक्त हस्ताक्षर से होता है. नगर पालिका परिषदों नगर पंचायतों में अध्यक्ष के न रहने पर खातों के संचालन में कठिनाई होगी. जिसको दृष्टिगत रखते हुए नगर पालिका परिषदों/नगर पंचायतों में खातों का संचालन अधिशासी अधिकारी के अतिरिक्त वहां के लेखा विभाग में कार्यरत अफसर भी कर सकेंगे.
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