लखनऊ : सुभासपा विधायक व पूर्व मंत्री ओम प्रकाश राजभर और उनके बेटे अरविंद राजभर के कहने पर सुरक्षाकर्मियों द्वारा एक अधिवक्ता के साथ मारपीट करने के मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट हृषिकेश पांडेय ने थानाध्यक्ष पीजीआई को आदेश दिया है कि वह मामले की विवेचना करें. न्यायालय ने विवेचना पूरी कर रिपोर्ट जल्द प्रेषित करने का भी आदेश दिया है.
7 दिसंबर को वीआईपी रोड की घटना : पीड़ित अधिवक्ता आशुतोष कुमार की ओर से अदालत में दिए गए प्रार्थना पत्र पर बहस करते हुए अधिवक्ता अजीत कुमार यादव ने कोर्ट को बताया कि गत 7 दिसंबर को जब वादी वीआईपी रोड से घर आ रहा था तभी वर्तमान विधायक जहूराबाद व पूर्व मंत्री ओम प्रकाश राजभर व उनके बेटे अरविंद राजभर का काफिला गुजर रहा था. कहा गया है कि इस दौरान तेलीबाग चौराहे पर जाम लगा हुआ था, तभी बिना किसी कारण के ओम प्रकाश राजभर व अरविंद राजभर के इशारे पर जाम खुलवा रहे उनके 15 सुरक्षाकर्मियों व पांच गुर्गों ने वादी को स्कूटी से उतारकर सड़क पर बुरी तरह से बंदूक की बट और लात घूसों से मारा पीटा, जिससे वादी को काफी चोटें आईं. आरोप लगाया गया है कि यह सारी घटना ओम प्रकाश राजभर व उनके पुत्र अरविंद राजभर गाड़ी में बैठे देख रहे थे.
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अदालत को यह भी बताया गया कि राजनीतिक दबाव के चलते वादी की रिपोर्ट नहीं लिखी गई, जब वादी ने पुलिस अधिकारियों के कई चक्कर लगाए तब 10 दिसंबर को मात्र धारा 323 भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत रिपोर्ट दर्ज हुई. यह भी कहा गया था कि इस घटना में पुलिस ने स्वयं वादी की चोटों का मुआयना करवाया था, फिर भी उसकी रिपोर्ट दबाववश दर्ज नहीं की गई. अदालत ने कहा है कि एनसीआर एवं अन्य प्रपत्रों की अवलोकन से विवेचना कराए जाने का आधार पर्याप्त है.