लखनऊ: कोविड-19 की महामारी में ज्यादातर लोग इस वक्त घरों में बैठे हुए हैं और उनकी दिनचर्या भी पूरी तरह से बदल चुकी है. इस दिनचर्या में लोगों के ओरल हाइजीन पर काफी असर देखने को मिल रहा है. खान-पान और दिनचर्या की वजह से दांतों की समस्या भी सामने आ रही है. ऐसे में कोरोना काल में अपने दांतो का कैसे ख्याल रखा जाए. इस बारे में ईटीवी भारत ने केजीएमयू के दंत रोग विशेषज्ञ डॉक्टर लक्ष्य कुमार से बात की.
कोविड-19 संक्रमण के बारे में डॉ लक्ष्य कहते हैं कि कोरोना संक्रमण में यह बात सामने आई है कि दांतों और मुंह के जरिए यह संक्रमण तेजी से फैल सकता है. दंत चिकित्सक का कार्य दांत और मुंह के सलाइवा से जुड़ा हुआ होता है. इलाज के दौरान दंत चिकित्सक मरीज के काफी नजदीक होता है और ऐसे में संक्रमण की आशंका अधिक बढ़ जाती है.
ऐसे में डेंटल ओपीडी और दांतो के ट्रीटमेंट को कुछ समय के लिए बंद कर दिया गया है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि किसी गंभीर तरह की दांतो की परेशानी के लिए हम इलाज नहीं करेंगे. मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ से भी या गाइडलाइन जारी हुई है कि यदि असामान्य तौर पर या इमरजेंसी की स्थिति में कोई मरीज दांतों से जुड़ी परेशानी लेकर आता है तो हम उसका इलाज कर रहे हैं.
इसके अलावा यदि कोई मरीज इस दौरान ओपीडी या इलाज से जुड़ी हुई किसी भी परेशानी का हल चाहता है तो टेली डेंटिस्ट्री और टेलीमेडिसिन के माध्यम से परामर्श ले सकता है. टेलीमेडिसिन के माध्यम से मरीज अपनी समस्या बता सकता है और वह समस्या यदि असामान्य होती है या त्वरित इलाज की आवश्यकता होती है तो डॉक्टर इमरजेंसी सेवा के तहत मरीज का इलाज करेंगे.
ओरल हाइजीन माता-पिता की जिम्मेदारी
बच्चों में ओरल हाइजीन को मेंटेन करने के बारे में डॉक्टर लक्ष्य कहते हैं कि बच्चे की ओरल हेल्थ उनके माता-पिता की जिम्मेदारी है. यदि बच्चा बोतल से दूध पीता है तो दूध पीने के बाद उसे गार्गल या कुल्ला करवा दें. यदि बच्चा ऐसा नहीं कर सकता तो बोतल हटाने के बाद गीले कॉटन से बच्चे के दांतो को साफ कर दें. एक बहुत ही सामान्य प्रक्रिया है, जिसे हम नियमित तौर पर अपना सकते हैं.
इससे बच्चों के दांत में होने वाले कैविटी से काफी हद तक बचाया जा सकता है. इसके अलावा यदि बच्चा बड़ा है और मुंह से दुर्गंध या बैड स्मेल उसकी एक वजह जीभ साफ न करना हो सकती है. आजकल बाजार में नई तरीके के टंग क्लीनर उपलब्ध हैं, जिन्हें उंगलियों पर लगाकर जीभ की सफाई की जा सकती है. इसके लिए पेरेंट्स को भी शुरु से ही इनकी दिनचर्या में भी शामिल करना होगा, क्योंकि अक्सर बच्चे वही सीखते हैं जो अपने माता पिता को करते हुए देखते हैं. बच्चों के लिए बाजार में पीडो ब्रश भी आते हैं जो देखने में आकर्षक होते हैं और बच्चों को ब्रशिंग के लिए मोटिवेट कर सकते हैं.
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महामारी में घर पर रहे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, लेकिन साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि सोशल डिस्टेंसिंग के चलते लोग अपने आसपास के लोगों से दूर न हो. फिजिकल डिस्टेंसिंग को मेंटेन जरूर करें, लेकिन मेंटल डिस्टेंसिंग न होने दें. मानसिक रूप से जब आप स्वस्थ होते हैं तो वह आपके शारीरिक रूप को भी कहीं न कहीं स्वस्थ करता है और मानसिक रूप से अस्वस्थ होने पर मुंह में सलाइवा बनना कम हो जाता है और इससे ओरल हाइजीन में भी असर पड़ता है.
डॉ. लक्ष्य कुमार, प्रोफेसर, डेंटल फैकल्टी, केजीएमयू