लखनऊ : लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 में भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश में अभूतपूर्व जीत हासिल की थी. 2024 में भी पार्टी अपना प्रदर्शन दोहराना चाहेगी. ऐसे में भाजपा को कई सांसदों के टिकट काटने और बदलने पर सकते हैं. मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जीत के बाद भाजपा अब टिकट कटौती और बदलाव में कोई संकोच नहीं करेगी. हां, अगर पार्टी हारती तो निश्चितरूप से उसे दबाव में काम करना पड़ता.
हिंदी भाषी राज्यों में भाजपा की जीत से एक बात और साबित हुई है कि विपक्ष द्वारा जातीय जनगणना की मांग और इसके लिए दबाव की राजनीति के बावजूद हिंदू वोट बंटा नहीं. अब उत्तर प्रदेश के साथ ही अन्य राज्यों में भी जब विपक्षी गठबंधन जातीय जनगणना की मांग करेगा, तो इसका जवाब भारतीय जनता पार्टी हिंदुत्व की एकता बनाए रखने और विपक्ष की हिंदुओं को बांटने के लिए चाल के तौर पर ही देगा.
दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के सांसदों के प्रदर्शन पर भारतीय जनता पार्टी ने पहले ही रिपोर्ट कार्ड तैयार कर आया है. आशा के अनुकूल और प्रदर्शन करने वाले सांसदों के टिकट काटे अथवा बदले जा सकते हैं. भाजपा पहले से ही कई सांसदों की परफॉरमेंस से खुश नहीं है और टिकट काटने या बदल ले पर विचार कर रही है. मध्य प्रदेश और राजस्थान में टिकट बंटवारे के दौरान भाजपा ने जिस तरह बगावत को दबाने और जीत हासिल करने में सफलता हासिल की है. उत्तर प्रदेश में भी पार्टी इसे जारी रखेगी.
आगामी लोकसभा चुनाव में राष्ट्रवाद, राम मंदिर और हिंदुत्व भी अहम मुद्दे होंगे. जनवरी में अयोध्या में श्रीराम मंदिर का लोकार्पण होना है. कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उपस्थित रहेंगे. भारतीय जनता पार्टी इस आयोजन को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित करने की योजना बना रही है. इस दौरान न सिर्फ उत्तर प्रदेश, बल्कि पूरी देश में हिंदुत्व का माहौल बनेगा.
कांग्रेस और अन्य दलों के नेताओं द्वारा सनातन को लेकर किए जा रहे अपमानजनक बयानों को भी भाजपा मुद्दा बनाएगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान दुनिया में भारत की छवि और राष्ट्रवाद के मुद्दे पर भी भाजपा विपक्ष को घेरेगी. बीजेपी का दावा रहा है कि पिछले 10 साल में भारत की साख दुनिया में बढ़ी है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वैश्विक नेता के तोड़कर देखा जाने लगा है. भाजपा की सरकार ने कई अवसरों पर यह दिखाया है कि दुनिया में अब भारत को किस नजर से देखा जा रहा है.
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं 'यदि हम पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों की बात करें, तो उनमें सबसे महत्वपूर्ण तीन राज्यों के परिणाम बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करिश्मा आज भी कायम है. उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटे 2024 में केंद्र सरकार का निर्धारण करने वाली है. मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विपक्षी दलों ने जातिगत जनगणना को सबसे बड़ा मुद्दा बनाया था.
विपक्ष को लगता था कि वह मुद्दे पर सत्ता हासिल कर लेंगे. वह सोचते थे कि भाजपा और नरेंद्र मोदी के पास इस मुद्दे की कोई काट नहीं होगी, लेकिन जो जनादेश मिला है, उसने बता दिया है कि भारतीय जनता पार्टी की सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास की नीति आगे भी चलने वाली है. उत्तर प्रदेश की बात करें, तो मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के पास जाति जनगणना और स्वामी प्रसाद मौर्य के हिंदू विरोधी बयान यानी पुष्टिकरण की राजनीति, यही दो मुद्दे हैं.'
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं 'अब अगर उत्तर प्रदेश का चुनाव जातीय जनगणना और तुष्टीकरण के मुद्दों पर होगा, साथ ही इंडिया गठबंधन की स्थिति मध्य प्रदेश में जो दिखाई दी है, उससे साफ है कि इन मुद्दों से विपक्ष का कोई फायदा नहीं होगा, बल्कि उसे नुकसान ही होने वाला है. उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार और भाजपा का गठबंधन तीनों हिंदी भाषी राज्यों की तुलना में काफी अच्छे स्थित में है.
ऐसे में अभी की स्थिति में कहा जा सकता है कि भाजपा लोकसभा चुनाव में आगे दिखाई दे रही है. प्रदेश में कानून व्यवस्था का एक और बड़ा मुद्दा जुड़ा हुआ है. यह मुद्दा भी विपक्षी दलों को कमजोर करने वाला है, योगी समाजवादी पार्टी जैसे दलों का अतीत इन मुद्दों के आड़े आ जाता है. नरेंद्र मोदी के शब्दों में कहीं तो घमंडिया गठबंधन को जनता ने नकार दिया है.'