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लखनऊ: सड़क पर दिखा सीएम की सख्ती का असर, गायब हो गईं शहर से डग्गामार बसें - up news

सीएम योगी के सख्ती के बाद लखनऊ में सड़क से डग्गामार बसें चलना बंद हो गई है. घंटों से यात्री डग्गामार बसों का इंतजार करते रहे पर डग्गामार बस नहीं आई.

डग्गामार बसें चलना बंद.
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Published : Jun 21, 2019, 1:16 PM IST

लखनऊ: राजधानी में करीब आधा दर्जन अवैध डग्गामार बस स्टेशन बने हुए हैं. यहां हर रोज डग्गामार बसों का संचालन होता है. यह डग्गामार बसें रोडवेज को भरपूर चूना लगाती हैं. परिवहन विभाग और परिवहन निगम के अधिकारी भी इन डग्गामार बसों के संचालन से बेखबर नहीं हैं. फिर भी जानबूझकर अनजान जरूर बने रहते हैं.

सोमवार को प्रदेश भर में जारी डग्गामार बसों पर सीएम योगी ने सख्ती दिखाई. इस सख्ती का असर मंगलवार को साफ तौर पर देखने को मिला. इसके चलते शहर में कहीं भी डग्गामार बसें चलते हुए नजर नहीं आई.

लखनऊ में सीएम की सख्ती का दिखा असर.
  • सीएम योगी के सख्ती के बाद सड़क से डग्गामार बसें चलना बंद.
  • यात्री डग्गामार बस का इंतजार करते रहे, लेकिन डग्गामार बस स्टॉप पर नहीं आई.
  • जलालपुर, अकबरपुर और टांडा की तरफ से यात्री डग्गामार बसों में सवार होकर जाते हैं.
  • डग्गामार बसों के बंद होने से यात्रियों को मजबूरन रोडवेज बस से सफर करना पड़ा.

यत्रियों ने बताया कि

  • प्राइवेट बस से टाइम की बचत होती है और किराया भी सस्ता होता है.
  • ऐसे में प्राइवेट बस ही ठीक रहती है.
  • प्राइवेट बस के कंडक्टर अच्छा व्यवहार करते हैं.
  • इसके अलावा बस टाइम पर पहुंचा देती है.
  • सरकारी के ड्राइवर कंडक्टर अभद्रता करते हैं.
  • सरकारी बस कहीं भी रास्ते में बस खड़ी कर देते हैं.
  • ऐसे में प्राइवेट बस का सफर ही ज्यादा बेहतर है.

यात्री मोइनुल हक ने बताया कि भले प्राइवेट बस से यात्रा सस्ती है, लेकिन अगर कोई दुर्घटना होती है तो इसमें बीमा का लाभ नहीं मिलेगा. जबकि रोडवेज में बीमा का लाभ मिलता है.

लखनऊ: राजधानी में करीब आधा दर्जन अवैध डग्गामार बस स्टेशन बने हुए हैं. यहां हर रोज डग्गामार बसों का संचालन होता है. यह डग्गामार बसें रोडवेज को भरपूर चूना लगाती हैं. परिवहन विभाग और परिवहन निगम के अधिकारी भी इन डग्गामार बसों के संचालन से बेखबर नहीं हैं. फिर भी जानबूझकर अनजान जरूर बने रहते हैं.

सोमवार को प्रदेश भर में जारी डग्गामार बसों पर सीएम योगी ने सख्ती दिखाई. इस सख्ती का असर मंगलवार को साफ तौर पर देखने को मिला. इसके चलते शहर में कहीं भी डग्गामार बसें चलते हुए नजर नहीं आई.

लखनऊ में सीएम की सख्ती का दिखा असर.
  • सीएम योगी के सख्ती के बाद सड़क से डग्गामार बसें चलना बंद.
  • यात्री डग्गामार बस का इंतजार करते रहे, लेकिन डग्गामार बस स्टॉप पर नहीं आई.
  • जलालपुर, अकबरपुर और टांडा की तरफ से यात्री डग्गामार बसों में सवार होकर जाते हैं.
  • डग्गामार बसों के बंद होने से यात्रियों को मजबूरन रोडवेज बस से सफर करना पड़ा.

यत्रियों ने बताया कि

  • प्राइवेट बस से टाइम की बचत होती है और किराया भी सस्ता होता है.
  • ऐसे में प्राइवेट बस ही ठीक रहती है.
  • प्राइवेट बस के कंडक्टर अच्छा व्यवहार करते हैं.
  • इसके अलावा बस टाइम पर पहुंचा देती है.
  • सरकारी के ड्राइवर कंडक्टर अभद्रता करते हैं.
  • सरकारी बस कहीं भी रास्ते में बस खड़ी कर देते हैं.
  • ऐसे में प्राइवेट बस का सफर ही ज्यादा बेहतर है.

यात्री मोइनुल हक ने बताया कि भले प्राइवेट बस से यात्रा सस्ती है, लेकिन अगर कोई दुर्घटना होती है तो इसमें बीमा का लाभ नहीं मिलेगा. जबकि रोडवेज में बीमा का लाभ मिलता है.

Intro:सड़क पर दिखा सीएम की सख्ती का असर, गायब हो गईं शहर से डग्गामार बसें

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में तकरीबन आधा दर्जन ऐसे अवैध डग्गामार बस स्टेशन बने हुए हैं जहां से हर रोज डग्गामार बसों का संचालन होता है और यह डग्गामार बसें रोडवेज को भरपूर चूना लगाती हैं। परिवहन विभाग और परिवहन निगम के अधिकारी भी इन डग्गामार बसों के संचालन से बेखबर नहीं हैं, लेकिन जानबूझकर अनजान जरूर बने रहते हैं। प्रदेशभर में जारी डग्गामार बसों पर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कल ही सख्ती दिखाई तो आज सड़क पर उनकी सख्ती का साफ तौर पर असर भी दिखा। आज कहीं भी सड़क पर डग्गामार बसें नजर नहीं आ रही हैं।


Body:परिवहन विभाग मुख्यालय की तरफ शनिदेव मंदिर चौराहा से होते हुए रास्ता जाता है और इसी रास्ते से परिवहन विभाग और परिवहन निगम के अधिकारी हर रोज आते जाते हैं और शनि मंदिर चौराहा पर ही हर समय डग्गामार बसें सवारियां बिठाती रहती हैं, लेकिन इन पर कोई कार्रवाई नहीं होती। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त रुख के बाद आज सड़क से डग्गामार बसें हवा हो गई हैं। शनि मंदिर पर सुबह से ही यात्री डग्गामार बस का इंतजार करते रहे, लेकिन दोपहर तक कोई डग्गामार बस वहां पर आई ही नहीं। जलालपुर, अकबरपुर और टांडा की तरफ यहां से हर रोज डग्गामार बसों में सवार होकर यात्री जाते हैं। आज मजबूरन उन्हें रोडवेज बस से जाना पड़ा। आखिर यात्री रोडवेज बस के बजाय डग्गामार बसों को तरजीह क्यों देते हैं? जब इस बारे में 'ईटीवी भारत' ने यात्रियों से बात की तो उनका जवाब था कि प्राइवेट बस से टाइम की बचत होती है और किराया भी सस्ता है, ऐसे में प्राइवेट ही ठीक रहती है। फैजाबाद, अकबरपुर, टांडा और जलालपुर की तरफ जाने वाले यात्रियों का साफ कहना है कि प्राइवेट बस के कंडक्टर अच्छा व्यवहार करते हैं इसके अलावा बस टाइम पर पहुंचा देती है और किराया भी सस्ता है, वहीं रोडवेज के ड्राइवर कंडक्टर अभद्रता करते हैं। किराया भी महंगा है और कहीं भी रास्ते में कितनी देर के लिए भी बस खड़ी कर देते हैं, ऐसे में प्राइवेट बस का सफर ही ज्यादा बेहतर है। जब ईटीवी भारत संवाददाता ने यात्री मोइनुल हक और डॉक्टर रंजीत चौधरी से सवाल किया कि भले प्राइवेट बस से यात्रा सस्ती है लेकिन अगर कोई दुर्घटना होती है तो इसमें बीमा का लाभ नहीं मिलेगा जबकि रोडवेज में बीमा का लाभ मिलता है तो यात्री कहते हैं कि दुर्घटना तो कभी हो सकती है यह किसने देखा है। प्राइवेट बस ही सही है। आज सड़क पर प्राइवेट बसें सड़क पर नहीं होने पर यात्रियों का कहना है कि अब रोडवेज बस से सफर करना ही पड़ेगा।


Conclusion:यात्रियों के डग्गामार बसों से सफर करने का सबसे बड़ा कारण जो सामने आया वह है 'बचत'। बचत यानी किराए और समय की। जब दोनों तरह की बचत होगी तो यात्री भला रोडवेज को तरजीह क्यों देगा? ऐसे में डग्गामार बसों का कारोबार खूब फल-फूल रहा है। जिस रूट का रोडवेज का किराया ₹100 हो उसी रूट पर डग्गामार बस सिर्फ 70 से ₹80 में यात्री को पहुंचा देती हैं, वहीं रोडवेज 3 घंटे का टाइम लेती है तो डग्गामार 2:15 या 2:30 घंटे में यात्री को गंतव्य तक पहुंचा देती है। लिहाजा, यात्रियों के लिए रोडवेज से कहीं ज्यादा डग्गामार ही बेहतर है।
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