लखनऊ: राजधानी में यूं तो करीब 900 निजी अस्पताल और क्लीनिक हैं, लेकिन इन अस्पतालों में आग से बचने के इंतजाम रामभरोसे ही हैं. तय गाइडलाइन के अनुसार इन अस्पतालों के पास फायर एनओसी होनी चाहिए, लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा इन अस्पतालों से हलफनामा लेकर हीलाहवाली की जा रही है.
दरअसल स्वास्थ्य विभाग द्वारा निजी अस्पतालों और क्लीनिक से हलफनामा लिया गया है. हलफनामें में लिखा है "हम कसम खाते हैं अस्पताल में आग लगती है, तो हम खुद जिम्मेदार होंगे, इसके लिए कोई विभाग में से जिम्मेदार नहीं होगा". इस हलफनामे से समझा जा सकता है कि स्वास्थ्य विभाग में जुगाड़ किसी कदर हावी है. इन अस्पतालों में चंद फायर उपकरण टांग के अस्पतालों का पंजीकरण नवीकरण स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया जा रहा है. इसी हलफनामे के सहारे राजधानी के अस्पताल, क्लीनिक और डायग्नोस्टिक सेंटर में अपना पंजीकरण करा रहे हैं. शहर में महज 50 अस्पताल ही ऐसे हैं, जो फायर के मानक पूरे कर रहे हैं. बाकी 915 अस्पताल इसी जुगाड़ पर राम भरोसे हैं.
निजी अस्पतालों फायर के मानकों को पूरा नहीं करते. निजी अस्पताल अपने यहां 2-3 सिलेंडर टांग कर उसकी रसीद संग शपथ पत्र देकर खुद ही अग्निकांड के लिए जिम्मेदार होने का दावा कर रहे हैं. स्वास्थ विभाग के अफसर द्वारा निजी अस्पतालों में सांठ-गांठ के चलते हर बार बिना फायर एनओसी के अस्पताल का नवीनीकरण भी हो रहा है.
शासन ने तय किए थे ये नियम
शासन द्वारा निजी अस्पतालों के लिए एक गाइडलाइन तैयार की गई थी, जिसमें फायर की एनओसी के लिए शासन ने सख्त निर्देश दिए थे. इन गाइडलाइंस में कहा गया था कि 10 मीटर की ऊंचाई वाले निजी अस्पतालों में फायर की गाड़ी अस्पतालों के चारों तरफ आसानी से घूमनी चाहिए. ऐसे में करीब 700 से अधिक निजी अस्पताल हैं, जिनकी बिल्डिंग के चारों तरफ फायर की गाड़ी तक नहीं घूम पाएगी. इसके बाद भी बिना फायर एनओसी के निजी अस्पतालों का संचालन हो रहा है. वहीं स्वास्थ्य विभाग के द्वारा जुगाड़ के सहारे अस्पतालों को शपथ पत्र देकर एनओसी की व्यवस्था की जा रही है.
अस्पतालों में रैंप तक नहीं
वहीं फायर विभाग के मुताबिक दो मंजिल वाले सभी निजी अस्पतालों में रैंप की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि आपात स्थिति में मरीजों को रैंप के जरिए बाहर निकाला जा सके. लेकिन अस्पतालों में रैंप तक की व्यवस्था नहीं है, जिसकी वजह से कभी भी किसी भी अनहोनी से निपटने के लिए अस्पताल सक्षम नहीं है.