लखनऊ: राजस्थान में महिला डॉक्टर की खुदकुशी के बाद प्रशासन के रवैये के खिलाफ शनिवार को राजधानी में आईएमए से जुड़े डॉक्टरों ने आंदोलन किया. आईएमए से जुड़े सभी डॉक्टर हड़ताल में शामिल रहे. राजधानी में शनिवार यानी आज कोई भी निजी अस्पताल में नहीं खुला. इससे जिला अस्पताल पर मरीजों की भीड़ रही. सुबह बजे से ही मरीज पर्चा बनवाने के लिए काउंटर जमा होने लगे. सिविल अस्पताल के अलावा शहर के तमाम जिला अस्पताल में भी यही हाल रहा. अन्य जिलों से आए मरीजों को खास दिक्कत हो रही है. एक्सीडेंटल केस को अस्पताल के बाहर स्ट्रेचर नहीं मिला. ढूंढने पर स्ट्रेचर मिला तो कोई वार्ड ब्वाॅय नहीं मिला. ऐसे में परिजन ही मरीज को स्ट्रेचर पर बैठाकर इमरजेंसी तक ले गए.
हजरतगंज स्थित डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल सेंटर में है, इसलिए यहां पर भारी संख्या में मरीज बाकी दिनों में भी आते हैं. लेकिन, आज मरीजों की संख्या में 60 फीसदी का बढ़ावा हुआ है. अस्पताल के पार्किंग एरिया में भी वाहन खड़े करने के लिए जगह नहीं बची तो गेट पर खड़े कर्मचारी ने अस्पताल के पिछले हिस्से में पार्क करने की सलाह दी. दूर-दराज से आए मरीजों ने बताया कि सरकारी अस्पताल में भीड़ के चलते हम जल्दी नहीं आते हैं. लेकिन, आज ऐसी इमरजेंसी पड़ी है कि हमें अस्पताल में आना पड़ा. इतनी भीड़ में खड़े होकर डॉक्टर से मिलना पड़ा. शहर में सभी प्राइवेट अस्पताल बंद हैं, सिर्फ सरकारी अस्पताल खुले हैं. इसलिए आज हमें सरकारी अस्पताल की अहमियत भी समझ में आ रही है कि जब सभी अस्पताल बंद हो जाएं तो भी जिला अस्पताल हमेशा मरीजों की सेवा के लिए तत्पर रहता है.
ओपीडी के बाहर लगी रही लंबी लाइन: सिविल अस्पताल की सभी ओपीडी में शनिवार 2 बजे तक लंबी लाइनें लगी रहीं. निजी अस्पताल बंद होने के कारण अस्पताल की ओपीडी में काफी भीड़ उमड़ी, हालांकि अस्पताल प्रशासन ने बेहतरीन तरीके से चीजों को संभाला. ज्यादातर लोग सांस की समस्या, वायरल फीवर से पीड़ित से पीड़ित आए. जबकि, कई एक्सीडेंटल केस भी आए. पूरा दिन अस्पताल में भीड़ रही. सभी ने बारी-बारी से अपने नंबर का इंतजार करते हुए डॉक्टर से परामर्श लिया और इलाज कराया.
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देशव्यापी हड़ताल: बता दें कि राजस्थान में प्रसव के दौरान मरीज की मौत के बाद महिला डॉक्टर पर केस दर्च किया गया था. इससे दुखी महिला डॉक्टर ने खुदकुशी कर ली थी. इसके बाद से चिकित्सकों में आक्रोश है. देशव्यापी हड़ताल के क्रम में लखनऊ के डॉक्टर भी शामिल रहे. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के ऐलान से अस्पताल, डायग्नोस्टिक सेंटर, पैथोलॉजी में ताले डाल दिए गए हैं. लिहाजा दूर-दराज के जिलों से इलाज के लिए राजधानी आए हजारों मरीजों को लौटना पड़ रहा है. वहीं, सरकारी अस्पतालों में अफरा-तफरी का माहौल है.
काला फीता बांधकर विरोध: लखनऊ में आईएमए से जुड़े करीब 1500 सदस्य हैं. इसमें 800 के करीब रजिस्टर्ड अस्पताल हैं. वहीं, 1200 के करीब प्राइवेट पैथोलॉजी व डायग्नोस्टिक सेंटर हैं. इस दौरान निजी अस्पतालों में ओपीडी से लेकर इमरजेंसी तक बंद हैं. इसके चलते कराहते मरीजों की भी डॉक्टर कोई सुनवाई नहीं कर रहे. मरीजों के ऑपरेशन भी टाल दिए गए. लखनऊ के प्राइवेट अस्पतालों और क्लीनिक में हर रोज करीब 50 हजार मरीज आते हैं. हड़ताल के चलते उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं सरकारी सेवा में आईएमए से जुड़े चिकित्सक काला फीता बांधकर विरोध जता रहे हैं.
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