लखनऊ : राजधानी में बस, ट्रेन व हवाई जहाज, टूरिस्ट यात्रियों के टिकटों की बुकिंग करने वाली ट्रैवेल एजेंसियां बिना लाइसेंस के अवैध तरीके से टिकटों की बुकिंग कर रही हैं. ऑनलाइन टिकट बुकिंग के नाम पर मनमाना शुल्क भी वसूला जा रहा है. ऐसे बिना लाइसेंस चल रही ट्रैवेल एजेंसियों की संख्या सैकड़ों में है. दो साल पहले 10 दिन के अंदर सभी ट्रेवल एजेंसियों को परिवहन विभाग की तरफ से लाइसेंस के निर्देश दिए गए थे, लेकिन इसके बाद कार्रवाई करने का दम भरने वाले विभाग के अधिकारी ही कुंभकर्णी नींद सो गए. इसी का फायदा उठाकर अवैध रूप से संचालित ट्रैवल एजेंसियों की लखनऊ में ही बाढ़ आ गई. अब लखनऊ जोन के डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर का कहना है कि सड़क सुरक्षा कार्यक्रम समाप्त होते ही एक अगस्त से बिना लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन के चल रहीं ट्रैवल एंड ट्रांसपोर्ट एजेंसी पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
बड़ी संख्या में संचालित हो रहे टूर एंड ट्रेवल्स सेंटर : लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में अवैध टूर एंड ट्रैवल चल रहे हैं. बिना रजिस्ट्रेशन और लाइसेंस के चल रहे ऐसे ट्रेवल संचालकों पर परिवहन विभाग कार्रवाई नहीं कर रहा है. दो से ढाई साल पहले लखनऊ में एजेंसियों के खिलाफ अभियान चलाया गया था. इसके बाद संचालकों में भगदड़ मच गई थी. अधिकारियों ने 10 दिन के अंदर हरहाल में अपनी एजेंसी को आरटीओ कार्यालय में रजिस्टर कराने और लाइसेंस लेने के निर्देश दिए थे.
कुछ एजेंसियों के संचालकों ने टूर एंड ट्रेवल्स एजेंसी रजिस्टर्ड भी कराई, लेकिन ज्यादातर अवैध तरीके से ही संचालित हो रही हैं. इनमें बड़े-बड़े टूर एंड ट्रेवल्स तो रजिस्टर्ड हैं, लेकिन छोटे टूर एंड ट्रेवल्स संचालकों की बाढ़ है. जिन पर परिवहन विभाग के अफसरों के आदेश का कोई असर ही नहीं है. वर्ष 2020 में लखनऊ में प्रवर्तन अधिकारियों ने जब इन पर कार्रवाई की और गहनता से जांच की तो सामने आया था कि काफी संख्या में ऑनलाइन और गली-गली खुले बिना लाइसेंस अवैध ट्रैवेल एजेंसी टिकट बुकिंग कराने वाले यात्रियों का कोई ब्यौरा नहीं रखती हैं, जिससे किसी तरह की अनहोनी घटना होने पर संबंधित व्यक्ति के बारे में कोई जानकारी भी नहीं मिल रही है. परिवहन विभाग ने अब ऐसी अवैध ट्रैवेल एजेंसियों पर शिकंजा कसने की तैयारी में है.
बिना ऑफिस ऑनलाइन हो रहा काम : ऑनलाइन टिकट बुकिंग करने वाली एजेंसियां बिना ऑफिस खोले ही टिकटों की बुकिंग करक यात्रियों से मनमाना कमीशन भी ले रही हैं. शहर में 500 से ज्यादा ट्रैवल एजेंसिया मौजूद हैं, जिन्होंने रजिस्ट्रेशन तो कराया, लेकिन आरटीओ ऑफिस से लाइसेंस नहीं लिया. लखनऊ आरटीओ कार्यालय के रिकॉर्ड की बात करें तो यहां पर कुल 130 फॉरवर्डिंग एजेंसी पंजीकृत हैं जो वर्तमान में संचालित हो रही हैं. अगर ट्रेवल एजेंसी की बात करें तो आरटीओ कार्यालय की मानें तो सिर्फ 65 एजेंसी संचालित हैं. इनमें से सिर्फ 34 एजेंसियां ही वैध हैं. कहने का सीधा सा मतलब है कि आरटीओ की नजर में भी 31 ट्रैवल एजेंसी अवैध तरीके से संचालित हो रही हैं. अब सवाल यह है कि जब यह ट्रैवल एजेंसी अधिकारियों की नजर में ही अवैध हैं तो इन पर पिछले दो सालों से कार्रवाई की क्यों नहीं गई?