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वन नेशन वन इलेक्शन बीजेपी के बाकी जुमले की तरह ही साबित होगा : दीपक सिंह

भाजपा की ओर से संसद का विशेष सत्र बुलाकर वन नेशन वन इलेक्शन के मुद्दे को उठाने पर कांग्रेस के पूर्व एमएलसी दीपक सिंह ने हमला बोला है. उन्होंने कहा कि आज देश में जिस तरह से महंगाई बेरोजगारी सहित कई मुद्दे INDIA घटक दल उठा रहे हैं, उससे केंद्र सरकार घबरा गई है. इसलिए भाजपा इस तरह के जुमलों का प्रयोग करना शुरू कर दिया है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 1, 2023, 7:37 PM IST

पूर्व एमएलसी दीपक सिंह

लखनऊ : उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने सितंबर के आखिरी सप्ताह में लोकसभा के विशेष सत्र बुलाए जाने व उसमें वन नेशन वन इलेक्शन का प्रस्ताव को लेकर भाजपा सरकार पर केवल भ्रम फैलाने का आरोप लगाया है. पूर्व एमएलसी दीपक सिंह का कहना है कि वन नेशन वन इलेक्शन भाजपा के बाकी वादों की तरह एक बार फिर से केवल जुमला ही साबित होगा. भाजपा की ओर से पहले भी इस तरह के कई बड़े-बड़े वादे किए गए थे. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2014 के पहले से हर चुनावी मंच पर वादों की झड़ी लगाते हैं, पर वह वादे बाद में केवल जुमले बनकर ही रह जाते हैं.

पूर्व एमएलसी दीपक सिंह

आम लोगों को भटकने के लिए फिर शुरू की गई जुमलाबाजी


कांग्रेस के पूर्व एमएलसी दीपक सिंह का कहना है कि वन नेशन वन इलेक्शन ठीक उसी प्रकार से जुमला और नारा है, जैसा साहब (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) ने पहले भी गढ़ा था. चाहे अच्छे दिन रहे हों, कई करोड़ रोजगार रहे हों, बहुत ही महंगाई की मार, 15 लाख रुपये खाते में आने की बात रही हो. ऐसे तमाम वादे और नारे केवल जुमले साबित हो रहे हैं. चुनाव नजदीक देख एक बार फिर भाजपा का वही चरित्र सामने आ रहा है. यह मुद्दा केवल लोगों का ध्यान उनसे जुड़ी जरूरतों से भटकाना है.

यह भी पढ़ें : One Nation One Election : केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी बोले- मंथन होगा तो अमृत ही निकलेगा

पूर्व एमएलसी दीपक के अनुसार हमारे देश का जो संघिय ढांचा है, व्यावहारिक चीज हैं वह संभव नहीं है. पहले इलेक्शन साथ होते हैं पर धीरे-धीरे राज्यों के जो अधिकार बढ़े उसमें समायोजित होते चले गए.और केंद्र का चुनाव अलग होता गया. अब राहुल गांधी का ग्राफ जिस तरह से बढ़ा है उससे ध्यान भड़काने के लिए एक प्रयोग है. जिस तरह से महंगाई चरम सीमा पर है उसे ध्यान भटकने के लिए और इंडिया के घटक दलों की बैठकें हो रही हैं उससे ध्यान भटकने के लिए जुमला है. दीपक सिंह ने कहा कि हमारे देश में राज्यों और केंद्र सरकार के मुद्दे अलग-अलग हैं. इस तरह नगर निकाय व ग्राम पंचायत के चुनाव के मुद्दे अलग होते हैं. सभी इलेक्शंस को एक साथ कराने से उसमें जो मुद्दे आम लोगों से जुड़े होते हैं. उससे सरकार पूरी तरह से ध्यान हटाकर केवल उन मुद्दों पर ही चुनाव लड़ेगी जो मुद्दे वह खुद उठाना चाहती है.

यह भी पढ़ें : मोदी की 'वन नेशन-वन इलेक्शन' महत्वाकांक्षी योजना जल्द होगी लागू

पूर्व एमएलसी दीपक सिंह

लखनऊ : उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने सितंबर के आखिरी सप्ताह में लोकसभा के विशेष सत्र बुलाए जाने व उसमें वन नेशन वन इलेक्शन का प्रस्ताव को लेकर भाजपा सरकार पर केवल भ्रम फैलाने का आरोप लगाया है. पूर्व एमएलसी दीपक सिंह का कहना है कि वन नेशन वन इलेक्शन भाजपा के बाकी वादों की तरह एक बार फिर से केवल जुमला ही साबित होगा. भाजपा की ओर से पहले भी इस तरह के कई बड़े-बड़े वादे किए गए थे. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2014 के पहले से हर चुनावी मंच पर वादों की झड़ी लगाते हैं, पर वह वादे बाद में केवल जुमले बनकर ही रह जाते हैं.

पूर्व एमएलसी दीपक सिंह

आम लोगों को भटकने के लिए फिर शुरू की गई जुमलाबाजी


कांग्रेस के पूर्व एमएलसी दीपक सिंह का कहना है कि वन नेशन वन इलेक्शन ठीक उसी प्रकार से जुमला और नारा है, जैसा साहब (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) ने पहले भी गढ़ा था. चाहे अच्छे दिन रहे हों, कई करोड़ रोजगार रहे हों, बहुत ही महंगाई की मार, 15 लाख रुपये खाते में आने की बात रही हो. ऐसे तमाम वादे और नारे केवल जुमले साबित हो रहे हैं. चुनाव नजदीक देख एक बार फिर भाजपा का वही चरित्र सामने आ रहा है. यह मुद्दा केवल लोगों का ध्यान उनसे जुड़ी जरूरतों से भटकाना है.

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पूर्व एमएलसी दीपक के अनुसार हमारे देश का जो संघिय ढांचा है, व्यावहारिक चीज हैं वह संभव नहीं है. पहले इलेक्शन साथ होते हैं पर धीरे-धीरे राज्यों के जो अधिकार बढ़े उसमें समायोजित होते चले गए.और केंद्र का चुनाव अलग होता गया. अब राहुल गांधी का ग्राफ जिस तरह से बढ़ा है उससे ध्यान भड़काने के लिए एक प्रयोग है. जिस तरह से महंगाई चरम सीमा पर है उसे ध्यान भटकने के लिए और इंडिया के घटक दलों की बैठकें हो रही हैं उससे ध्यान भटकने के लिए जुमला है. दीपक सिंह ने कहा कि हमारे देश में राज्यों और केंद्र सरकार के मुद्दे अलग-अलग हैं. इस तरह नगर निकाय व ग्राम पंचायत के चुनाव के मुद्दे अलग होते हैं. सभी इलेक्शंस को एक साथ कराने से उसमें जो मुद्दे आम लोगों से जुड़े होते हैं. उससे सरकार पूरी तरह से ध्यान हटाकर केवल उन मुद्दों पर ही चुनाव लड़ेगी जो मुद्दे वह खुद उठाना चाहती है.

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