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डेढ़ करोड़ का फ्लैट हो गया खंडहर, एलडीए की ऐसी रही मेहरबानी

लखनऊ के गोमती नगर फैजाबाद रोड पर पारिजात अपार्टमेंट में करीब 10 साल पहले जब आवंटियों ने अपने फ्लैट बुक कराए थे, तो उनके बड़े-बड़े सपने थे. शहर के खास इलाके में एक शानदार आशियाना उनके ख्वाबों में घूम रहा था. मगर यह सपना जब हकीकत में तब्दील हुआ तो सामने जो नजारा आया वह अलग ही था, पढ़िए पूरी खबर..

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लखनऊ विकास प्राधिकरण
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Published : May 7, 2022, 5:35 PM IST

Updated : May 7, 2022, 9:33 PM IST

लखनऊ: गोमती नगर फैजाबाद रोड पर पारिजात अपार्टमेंट में करीब 10 साल पहले आवंटियों ने अपने फ्लैट बुक कराए थे. 75 लाख रुपये से लेकर डेढ़ करोड़ रुपये की कीमत तक बेचे गए फ्लैट में आम जरूरी सुविधाओं का अभाव है. अपने आप आवंटी लाखों रुपया लगाकर अगर फ्लैट को सुधार ले तो ठीक वरना एलडीए ने जो कुछ दिया है वह खंडहर से कम नहीं है. यहां ठेकेदार अधिकारी मिलीभगत का एक जबरदस्त नमूना देखने को मिलता है. जिसमें लगभग 100 करोड़ रुपये खर्च करके बनाई गई इमारत केवल कमियों का नमूना बन कर रह गई है. सैकड़ों आवंटी परेशान हैं और लखनऊ विकास प्राधिकरण से उनको केवल आश्वासन ही मिल रहा है.

डेढ़ करोड़ का फ्लैट हो गया खंडहर
लखनऊ विकास प्राधिकरण ने पारिजात अपार्टमेंट की बुकिंग साल 2012 में शुरू की थी. जबकि इसका निर्माण 2010 के करीब शुरू हो गया. इसका ठेकेदार तत्कालीन उपाध्यक्ष मुकेश मेश्राम ने तय किया था. यह ठेकेदार खराब काम करने के लिए कुख्यात रहा था. जबकि इस बिल्डिंग को 14 मंजिल की जगह 20 मंजिल तक ऊंचा करने के प्रस्ताव को हरी झंडी प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई की जांच में घिरे पूर्व आईएएस अधिकारी सत्येंद्र कुमार सिंह ने लखनऊ विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष रहते हुए दी थी. इस अपार्टमेंट में रहने वाले और रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के कर्ता-धर्ता समर विजय सिंह ने बताया कि यहां का हाल बुरा है. निश्चित तौर पर एलडीए ने आवंटियों को ठगा है. शुरुआत तो पूर्व उपाध्यक्ष मुकेश मेश्राम के समय में ही हो गई थी. जब उन्होंने एक बदनाम ठेकेदार को इस काम की जिम्मेदारी दे दी थी. इसके बाद इस बिल्डिंग की मंजिलों को बढ़ाया गया. यह काम पूर्व उपाध्यक्ष सत्येंद्र कुमार सिंह ने किया. जिसकी वजह यह थी कि वे चाहते थे कि अधिक कमीशन के जरिए अभियंता ठेकेदार और अफसरों की जेब भरी जा सके. उनका आरोप है कि न ही गुणवत्ता ठीक है और न ही वादे पूरे किए गए हैं.

पढ़ेंः 15 मंजिला बिल्डिंग बना बिल्डर तोड़ता रहा नियम, शिकायत के बाद हरकत में आया एलडीए

एक अन्य आवंटी राजेश सिंह ने बताया कि मैं 62 वर्षीय हूं और जब बारिश में यहां के कार्य डोर में पानी भर जाता है, तो मैं सुबह 4:00 बजे उठकर उस पानी को निकालने की कोशिश करता हूं. इससे यहां की बदहाली का अंदाजा लगाया जा सकता है. आवंटी लव मल्होत्रा ने बताया कि हमारी परेशानियों की कोई सीमा नहीं है. बिल्डिंग का स्ट्रक्चर ही खराब है. दीवारें बराबर नहीं हैं. फर्श समतल नहीं है. फिटिंग अच्छी नहीं है. हर तरह से हम लोग परेशान हैं.

इन सभी परेशानियों को लेकर लखनऊ विकास प्राधिकरण और यहां की रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के बीच कई बैठते हो चुकी हैं. जिसको लेकर वर्तमान उपाध्यक्ष अक्षय कुमार त्रिपाठी ने कई सकारात्मक फैसले किए हैं. जिससे आवंटित संतुष्ट हैं. मगर वे चाहते हैं कि उनकी सभी समस्याओं का समाधान हो.

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लखनऊ: गोमती नगर फैजाबाद रोड पर पारिजात अपार्टमेंट में करीब 10 साल पहले आवंटियों ने अपने फ्लैट बुक कराए थे. 75 लाख रुपये से लेकर डेढ़ करोड़ रुपये की कीमत तक बेचे गए फ्लैट में आम जरूरी सुविधाओं का अभाव है. अपने आप आवंटी लाखों रुपया लगाकर अगर फ्लैट को सुधार ले तो ठीक वरना एलडीए ने जो कुछ दिया है वह खंडहर से कम नहीं है. यहां ठेकेदार अधिकारी मिलीभगत का एक जबरदस्त नमूना देखने को मिलता है. जिसमें लगभग 100 करोड़ रुपये खर्च करके बनाई गई इमारत केवल कमियों का नमूना बन कर रह गई है. सैकड़ों आवंटी परेशान हैं और लखनऊ विकास प्राधिकरण से उनको केवल आश्वासन ही मिल रहा है.

डेढ़ करोड़ का फ्लैट हो गया खंडहर
लखनऊ विकास प्राधिकरण ने पारिजात अपार्टमेंट की बुकिंग साल 2012 में शुरू की थी. जबकि इसका निर्माण 2010 के करीब शुरू हो गया. इसका ठेकेदार तत्कालीन उपाध्यक्ष मुकेश मेश्राम ने तय किया था. यह ठेकेदार खराब काम करने के लिए कुख्यात रहा था. जबकि इस बिल्डिंग को 14 मंजिल की जगह 20 मंजिल तक ऊंचा करने के प्रस्ताव को हरी झंडी प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई की जांच में घिरे पूर्व आईएएस अधिकारी सत्येंद्र कुमार सिंह ने लखनऊ विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष रहते हुए दी थी. इस अपार्टमेंट में रहने वाले और रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के कर्ता-धर्ता समर विजय सिंह ने बताया कि यहां का हाल बुरा है. निश्चित तौर पर एलडीए ने आवंटियों को ठगा है. शुरुआत तो पूर्व उपाध्यक्ष मुकेश मेश्राम के समय में ही हो गई थी. जब उन्होंने एक बदनाम ठेकेदार को इस काम की जिम्मेदारी दे दी थी. इसके बाद इस बिल्डिंग की मंजिलों को बढ़ाया गया. यह काम पूर्व उपाध्यक्ष सत्येंद्र कुमार सिंह ने किया. जिसकी वजह यह थी कि वे चाहते थे कि अधिक कमीशन के जरिए अभियंता ठेकेदार और अफसरों की जेब भरी जा सके. उनका आरोप है कि न ही गुणवत्ता ठीक है और न ही वादे पूरे किए गए हैं.

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एक अन्य आवंटी राजेश सिंह ने बताया कि मैं 62 वर्षीय हूं और जब बारिश में यहां के कार्य डोर में पानी भर जाता है, तो मैं सुबह 4:00 बजे उठकर उस पानी को निकालने की कोशिश करता हूं. इससे यहां की बदहाली का अंदाजा लगाया जा सकता है. आवंटी लव मल्होत्रा ने बताया कि हमारी परेशानियों की कोई सीमा नहीं है. बिल्डिंग का स्ट्रक्चर ही खराब है. दीवारें बराबर नहीं हैं. फर्श समतल नहीं है. फिटिंग अच्छी नहीं है. हर तरह से हम लोग परेशान हैं.

इन सभी परेशानियों को लेकर लखनऊ विकास प्राधिकरण और यहां की रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के बीच कई बैठते हो चुकी हैं. जिसको लेकर वर्तमान उपाध्यक्ष अक्षय कुमार त्रिपाठी ने कई सकारात्मक फैसले किए हैं. जिससे आवंटित संतुष्ट हैं. मगर वे चाहते हैं कि उनकी सभी समस्याओं का समाधान हो.

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Last Updated : May 7, 2022, 9:33 PM IST
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