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मेडिकल सामानों की कालाबाजारी करने वाले गिरोह का एक सदस्य गिरफ्तार, दो की तलाश जारी - ऑक्सीजन की कालाबाजारी

राजधानी लखनऊ में ऑक्सीजन और मेडिकल संबंधी सामानों की कालाबाजारी करने वाले गिरोह के एक सदस्य को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. अन्य दो सदस्यों की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है.

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Published : May 9, 2021, 3:26 PM IST

लखनऊ : राजधानी की महानगर पुलिस ने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, थर्मामीटर और पल्स आक्सीमीटर समेत मेडिकल के अन्य उपकरणों की कालाबाजारी करने वाले व्यापारी के बेटे जय मखीजा को शनिवार रात गिरफ्तार कर लिया. जय मखीजा अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर वाट्सएप ग्रुप, इंटरनेट मीडिया के माध्यम से पूरा नेटवर्क चला रहा था. यह गिरोह 50 हजार रुपये कीमत का कंसंट्रेटर डेढ़ लाख रुपये तक में बेचते थे. पुलिस और क्राइम ब्रांच की अन्य लोगों की गिरफ्तारी के लिए दबिश दे रही है.

व्यवसायी का बेटा है आरोपी

इंस्पेक्टर महानगर प्रदीप कुमार सिंह ने बताया कि आरोपी जय मखीजा आलमबाग समर विहार कॉलोनी का रहने वाला है. उसके पिता अशोक कुमार मखीजा का सर्जिकल व्यवसाय है. इस गिरोह में हिमांचल कुमार नामक युवक का भी नाम सामने आया है. हिमांचल ने अपने नाम से एटलस फार्मास्युटिकल नाम से कंपनी खोल रखी थी. इस कंपनी का जीएसटी नंबर आदि सब कुछ था. हिमांचल इंटरनेट मीडिया के माध्यम से कंपनी से माल बुक कराता था. इसके बाद वह कंपनी रेट पर ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदता और उसे पक्के बिल पर जय मखीजा को बेच दिया करता था.

यह भी पढ़ें : यूपी में 17 मई तक बढ़ाया गया कोरोना कर्फ्यू

जय मखीजा से हिमांचल 15 से 20 हजार रुपये ज्यादा लिया करता था. आरोपी इन सामानों को जसकरन नाम के व्यक्ति को और महंगे दाम पर बेच दिया करता था. वहीं, जसकरन के पास आते ही इन सामानों का मूल्य एक लाख रुपये हो जाता था. जसकरन के बाद एजेंट उसे सवा लाख से डेढ़ लाख तक में बेचते थे. इंस्पेक्टर ने बताया कि आरोपी के फरार साथी जसकरन और हिमांचल कुमार की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है. आरोपी की निशानदेही पर दो ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, आठ थर्मामीटर, 37 पल्स ऑक्सीमीटर, तीन स्टीम किट, दो डिब्बा ग्लूकोज मीटर, 30 मास्क बरामद किए गए हैं.

मनमाने ढंग से रकम वसूलकर दिया जाता था सामान

इंस्पेक्टर प्रदीप ने बताया कि यह गिरोह वाट्सएप ग्रुप और इंटरनेट के माध्यम से सेल्स एजेंट (दलालों) की चेन बनाकर कालाबाजारी करने का कम करते थे. इन आरोपियों ने जरूरतमंदों को निशाना बनाने के लिए इंटरनेट पर अपना नंबर डाल रखा था. जरूरतमंद व्यक्ति उस नंबर पर फोन करता और मेडिकल सामान की मांग करता.

इसके बाद आरोपियों के गिरोह की चेन शुरू होकर करीब आठ लोगों से गुजरती थी. इसके बाद दूसरे एजेंट का नंबर दिया जाता था. आरोपी इस तरह जरूरतमंद होने की पूरी तसल्ली करने के बाद उसे अपने स्थान पर बुलाकर जरूरत का सामान अपने मनमुताबिक रुपये में बेचते थे. पल्स ऑक्सीमीटर चार हजार और ऑक्सीजन सिलेंडर का वॉल्व छह हजार रुपये में बेच रहे थे.

लखनऊ : राजधानी की महानगर पुलिस ने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, थर्मामीटर और पल्स आक्सीमीटर समेत मेडिकल के अन्य उपकरणों की कालाबाजारी करने वाले व्यापारी के बेटे जय मखीजा को शनिवार रात गिरफ्तार कर लिया. जय मखीजा अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर वाट्सएप ग्रुप, इंटरनेट मीडिया के माध्यम से पूरा नेटवर्क चला रहा था. यह गिरोह 50 हजार रुपये कीमत का कंसंट्रेटर डेढ़ लाख रुपये तक में बेचते थे. पुलिस और क्राइम ब्रांच की अन्य लोगों की गिरफ्तारी के लिए दबिश दे रही है.

व्यवसायी का बेटा है आरोपी

इंस्पेक्टर महानगर प्रदीप कुमार सिंह ने बताया कि आरोपी जय मखीजा आलमबाग समर विहार कॉलोनी का रहने वाला है. उसके पिता अशोक कुमार मखीजा का सर्जिकल व्यवसाय है. इस गिरोह में हिमांचल कुमार नामक युवक का भी नाम सामने आया है. हिमांचल ने अपने नाम से एटलस फार्मास्युटिकल नाम से कंपनी खोल रखी थी. इस कंपनी का जीएसटी नंबर आदि सब कुछ था. हिमांचल इंटरनेट मीडिया के माध्यम से कंपनी से माल बुक कराता था. इसके बाद वह कंपनी रेट पर ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदता और उसे पक्के बिल पर जय मखीजा को बेच दिया करता था.

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जय मखीजा से हिमांचल 15 से 20 हजार रुपये ज्यादा लिया करता था. आरोपी इन सामानों को जसकरन नाम के व्यक्ति को और महंगे दाम पर बेच दिया करता था. वहीं, जसकरन के पास आते ही इन सामानों का मूल्य एक लाख रुपये हो जाता था. जसकरन के बाद एजेंट उसे सवा लाख से डेढ़ लाख तक में बेचते थे. इंस्पेक्टर ने बताया कि आरोपी के फरार साथी जसकरन और हिमांचल कुमार की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है. आरोपी की निशानदेही पर दो ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, आठ थर्मामीटर, 37 पल्स ऑक्सीमीटर, तीन स्टीम किट, दो डिब्बा ग्लूकोज मीटर, 30 मास्क बरामद किए गए हैं.

मनमाने ढंग से रकम वसूलकर दिया जाता था सामान

इंस्पेक्टर प्रदीप ने बताया कि यह गिरोह वाट्सएप ग्रुप और इंटरनेट के माध्यम से सेल्स एजेंट (दलालों) की चेन बनाकर कालाबाजारी करने का कम करते थे. इन आरोपियों ने जरूरतमंदों को निशाना बनाने के लिए इंटरनेट पर अपना नंबर डाल रखा था. जरूरतमंद व्यक्ति उस नंबर पर फोन करता और मेडिकल सामान की मांग करता.

इसके बाद आरोपियों के गिरोह की चेन शुरू होकर करीब आठ लोगों से गुजरती थी. इसके बाद दूसरे एजेंट का नंबर दिया जाता था. आरोपी इस तरह जरूरतमंद होने की पूरी तसल्ली करने के बाद उसे अपने स्थान पर बुलाकर जरूरत का सामान अपने मनमुताबिक रुपये में बेचते थे. पल्स ऑक्सीमीटर चार हजार और ऑक्सीजन सिलेंडर का वॉल्व छह हजार रुपये में बेच रहे थे.

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