ETV Bharat / state

Old Pension Scheme : कर्मचारी संघ ने तैयार किया आंदोलन का खाका, भाजपा तलाश रही जवाब

कर्मचारी संगठनों की मांग और उग्र आंदोलनों का प्रभाव राजनीतिक दलों पर भी दिखाई पड़ने लगा है. वर्ष 2004 में एनडीए सरकार की ओर से समाप्त की पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) को लेकर अब सभी दल अपने अपने स्तर से लागू करने के दावे करने लगे हैं. कांग्रेस और आम आदमी की पहल के बाद भाजपा भी 2024 से पहले इसका जवाब तलाशने में जुट गई है.

c
c
author img

By

Published : Jan 16, 2023, 6:16 PM IST

देखें पूरी खबर.

लखनऊ : हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार ने पुरानी पेंशन योजना लागू कर दी है. पंजाब और जस्थान में यह प्रस्ताव पहले ही पास हो चुका है. पश्चिम बंगाल ने कभी पुरानी पेंशन योजना समाप्त ही नहीं की थी. ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में भी अब ओपीएस की मांग जोर पकड़ेगी. अलग-अलग कर्मचारी संघ ने इसके लिए आंदोलन का खाका तैयार करना शुरू कर दिया है. वहीं भारतीय जनता पार्टी इसका जवाब तलाशने में लगी हुई है.

पुरानी पेंशन योजना
पुरानी पेंशन योजना

वर्ष 2004 में जब एनडीए की सरकार केंद्र में थी, तब पेंशन सुधारों की बात करते हुए अटल बिहारी बाजपेई की नेतृत्व वाली सरकार ने पुरानी पेंशन की स्कीम को समाप्त कर दिया था. पुरानी पेंशन स्कीम के तहत कर्मचारियों को व्यवस्था के तहत उनके अंतिम वेतन का लगभग 50 फ़ीसदी धनराशि बतौर पेंशन दी जाती है. इस पेंशन में कर्मचारियों के नियमों के मुताबिक समय-समय पर बढ़ोतरी भी होती रहती है. हालांकि जो कर्मचारी वर्ष 2004 के बाद सरकारी नौकरी में आए, उनको न्यू पेंशन स्कीम का लाभ दिया जा रहा है. जिसमें कर्मचारी के खाते से 10% और सरकार की ओर से 15% धनराशि एक एनपीएस अकाउंट में जमा करके सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारी को पेंशन का लाभ दिया जाता है. पिछले लगभग 18 साल से लगातार कर्मचारी संघ इस योजना का विरोध करते रहे हैं. कर्मचारी संगठन पुरानी पेंशन की मांग को लेकर अडिग हैं. जिसमें कांग्रेस ने आग में घी डालने का काम कर दिया है. राजस्थान, छत्तीसगढ़ और हिमाचल में ओपीएस लागू करने की घोषणा कर दी है. आम आदमी पार्टी भी पंजाब में इसी तरह की घोषणा करने जा रही है. पश्चिम बंगाल की सरकार ने कभी भी पुरानी पेंशन स्कीम को खत्म नहीं किया था.

अब जबकि जा मांग तेजी से उठ रही है तो लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है. वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने बाकायदा अपने घोषणापत्र में ओल्ड पेंशन स्कीम को उत्तर प्रदेश में लागू करने की घोषणा की थी. इसका असर यह हुआ था कि बैलेट से मिलने वाले वोटों में समाजवादी पार्टी आगे थी. बैलेट पेपर पर जो वोट पड़ते हैं वैसा सामान्यता सरकारी कर्मचारी ही शामिल होते हैं. ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव में यह मुद्दा भाजपा पर भारी पड़ता नजर आ रहा है. इस बारे में वरिष्ठ कर्मचारी नेता हरि किशोर तिवारी का कहना है कि निश्चित तौर पर हम पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने के लिए हर संभव संघर्ष करेंगे. अलग अलग राजनीतिक दलों का हमें समर्थन भी मिल रहा है. इसके अलावा एक बड़ा आंदोलन होगा जिस पर हमारी रूपरेखा तय हो रही है. निकट भविष्य में प्रदेश के लाखों कर्मचारी सड़क पर उतरेंगे.


समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने कहा है कि सपा पूरी तरह से कर्मचारियों के साथ खड़ी है. हमने अपने विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में भी ओ पी एस लागू करने की बात कही थी. हम आगे भी इस संघर्ष में कर्मचारियों के साथ हैं. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अंशु अवस्थी ने बताया कि निश्चित तौर पर भारतीय जनता पार्टी की कर्मचारी विरोधी है. पुरानी पेंशन स्कीम को खत्म करके कर्मचारियों का शोषण किया गया है. कांग्रेस सब अपने शासित राज्यों में इस नियम को बदल रही है और वे कर्मचारियों के साथ खड़े हुए हैं. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि प्रत्येक राज्य में कांग्रेस केवल ओपीएस की घोषणा भर ही कर रही है. कहीं भी पेंशन स्कीम लागू नहीं है. केंद्र नीति आयोग भी कहता है कि पुरानी पेंशन स्कीम राज्यों के बजट पर बड़ा भार होगी. इसको फ़िलहाल लागू करना एकदम भी संभव नहीं है. विपक्ष ने एनपीएस का अपना अंश उत्तर प्रदेश में जमा ही नहीं किया था. जब भाजपा की सरकार आई तब कर्मचारियों का अंश हमने जमा किया.

यह भी पढ़ें : Lok Sabha Election 2024 के लिए अखिलेश यादव करेंगे संगठन का विस्तार, चाचा शिवपाल को मिलेगी बड़ी जिम्मेदारी

देखें पूरी खबर.

लखनऊ : हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार ने पुरानी पेंशन योजना लागू कर दी है. पंजाब और जस्थान में यह प्रस्ताव पहले ही पास हो चुका है. पश्चिम बंगाल ने कभी पुरानी पेंशन योजना समाप्त ही नहीं की थी. ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में भी अब ओपीएस की मांग जोर पकड़ेगी. अलग-अलग कर्मचारी संघ ने इसके लिए आंदोलन का खाका तैयार करना शुरू कर दिया है. वहीं भारतीय जनता पार्टी इसका जवाब तलाशने में लगी हुई है.

पुरानी पेंशन योजना
पुरानी पेंशन योजना

वर्ष 2004 में जब एनडीए की सरकार केंद्र में थी, तब पेंशन सुधारों की बात करते हुए अटल बिहारी बाजपेई की नेतृत्व वाली सरकार ने पुरानी पेंशन की स्कीम को समाप्त कर दिया था. पुरानी पेंशन स्कीम के तहत कर्मचारियों को व्यवस्था के तहत उनके अंतिम वेतन का लगभग 50 फ़ीसदी धनराशि बतौर पेंशन दी जाती है. इस पेंशन में कर्मचारियों के नियमों के मुताबिक समय-समय पर बढ़ोतरी भी होती रहती है. हालांकि जो कर्मचारी वर्ष 2004 के बाद सरकारी नौकरी में आए, उनको न्यू पेंशन स्कीम का लाभ दिया जा रहा है. जिसमें कर्मचारी के खाते से 10% और सरकार की ओर से 15% धनराशि एक एनपीएस अकाउंट में जमा करके सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारी को पेंशन का लाभ दिया जाता है. पिछले लगभग 18 साल से लगातार कर्मचारी संघ इस योजना का विरोध करते रहे हैं. कर्मचारी संगठन पुरानी पेंशन की मांग को लेकर अडिग हैं. जिसमें कांग्रेस ने आग में घी डालने का काम कर दिया है. राजस्थान, छत्तीसगढ़ और हिमाचल में ओपीएस लागू करने की घोषणा कर दी है. आम आदमी पार्टी भी पंजाब में इसी तरह की घोषणा करने जा रही है. पश्चिम बंगाल की सरकार ने कभी भी पुरानी पेंशन स्कीम को खत्म नहीं किया था.

अब जबकि जा मांग तेजी से उठ रही है तो लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है. वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने बाकायदा अपने घोषणापत्र में ओल्ड पेंशन स्कीम को उत्तर प्रदेश में लागू करने की घोषणा की थी. इसका असर यह हुआ था कि बैलेट से मिलने वाले वोटों में समाजवादी पार्टी आगे थी. बैलेट पेपर पर जो वोट पड़ते हैं वैसा सामान्यता सरकारी कर्मचारी ही शामिल होते हैं. ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव में यह मुद्दा भाजपा पर भारी पड़ता नजर आ रहा है. इस बारे में वरिष्ठ कर्मचारी नेता हरि किशोर तिवारी का कहना है कि निश्चित तौर पर हम पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने के लिए हर संभव संघर्ष करेंगे. अलग अलग राजनीतिक दलों का हमें समर्थन भी मिल रहा है. इसके अलावा एक बड़ा आंदोलन होगा जिस पर हमारी रूपरेखा तय हो रही है. निकट भविष्य में प्रदेश के लाखों कर्मचारी सड़क पर उतरेंगे.


समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने कहा है कि सपा पूरी तरह से कर्मचारियों के साथ खड़ी है. हमने अपने विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में भी ओ पी एस लागू करने की बात कही थी. हम आगे भी इस संघर्ष में कर्मचारियों के साथ हैं. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अंशु अवस्थी ने बताया कि निश्चित तौर पर भारतीय जनता पार्टी की कर्मचारी विरोधी है. पुरानी पेंशन स्कीम को खत्म करके कर्मचारियों का शोषण किया गया है. कांग्रेस सब अपने शासित राज्यों में इस नियम को बदल रही है और वे कर्मचारियों के साथ खड़े हुए हैं. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि प्रत्येक राज्य में कांग्रेस केवल ओपीएस की घोषणा भर ही कर रही है. कहीं भी पेंशन स्कीम लागू नहीं है. केंद्र नीति आयोग भी कहता है कि पुरानी पेंशन स्कीम राज्यों के बजट पर बड़ा भार होगी. इसको फ़िलहाल लागू करना एकदम भी संभव नहीं है. विपक्ष ने एनपीएस का अपना अंश उत्तर प्रदेश में जमा ही नहीं किया था. जब भाजपा की सरकार आई तब कर्मचारियों का अंश हमने जमा किया.

यह भी पढ़ें : Lok Sabha Election 2024 के लिए अखिलेश यादव करेंगे संगठन का विस्तार, चाचा शिवपाल को मिलेगी बड़ी जिम्मेदारी

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.