लखनऊ : हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार ने पुरानी पेंशन योजना लागू कर दी है. इस संबंध में जीओ भी किया जा चुका है. पंजाब, राजस्थान में यह प्रस्ताव पहले ही पास हो चुका है. पश्चिम बंगाल ने कभी पुरानी पेंशन योजना समाप्त ही नहीं की थी. ऐसे में निकाय चुनाव और उसके बाद लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में भी अब ओपीएस की मांग जोर पकड़ेगी. अलग-अलग कर्मचारी संघ ने इसके लिए आंदोलन का खाका तैयार करना शुरू कर दिया है. वहीं भारतीय जनता पार्टी इसका जवाब तलाशने में लगी हुई है. फिलहाल भाजपा के पास अभी कोई जवाब नहीं है.
विधानसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी ने ओल्ड पेंशन स्कीम को अपने घोषणा पत्र में शामिल किया था. जिसके बाद में जब चुनाव हुए और सरकारी कर्मचारियों के बैलट पेपर के जरिए दिए गए वोटों की गिनती हुई तो विपक्ष को सर्वाधिक वोट मिले थे. माना यह गया था कि सपा को कर्मचारियों ने भारी समर्थन दिया था. जिसके बाद अब निकाय चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव तक सपा भी इस मामले में हमलावर रहेगी.
पुरानी पेंशन योजना वर्ष 2004 में जब एनडीए की सरकार केंद्र में थी, तब पेंशन सुधारों की बात करते हुए अटल बिहारी बाजपेई की नेतृत्व वाली सरकार ने पुरानी पेंशन की स्कीम को समाप्त कर दिया था. पुरानी पेंशन स्कीम के तहत कर्मचारियों को व्यवस्था के तहत उनके अंतिम वेतन का लगभग 50 फ़ीसदी धनराशि बतौर पेंशन दी जाती है. इस पेंशन में कर्मचारियों के नियमों के मुताबिक समय-समय पर बढ़ोतरी भी होती रहती है. हालांकि जो कर्मचारी वर्ष 2004 के बाद सरकारी नौकरी में आए, उनको न्यू पेंशन स्कीम का लाभ दिया जा रहा है. जिसमें कर्मचारी के खाते से 10% और सरकार की ओर से 15% धनराशि एक एनपीएस अकाउंट में जमा करके सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारी को पेंशन का लाभ दिया जाता है. पिछले लगभग 18 साल से लगातार कर्मचारी संघ इस योजना का विरोध करते रहे हैं.
कर्मचारी संगठन पुरानी पेंशन की मांग को लेकर अडिग हैं. जिसमें कांग्रेस ने आग में घी डालने का काम कर दिया है. राजस्थान, छत्तीसगढ़ और हिमाचल में ओपीएस लागू करने की घोषणा कर दी है. आम आदमी पार्टी भी पंजाब में इसी तरह की घोषणा करने जा रही है. पश्चिम बंगाल की सरकार ने कभी भी पुरानी पेंशन स्कीम को खत्म नहीं किया था.अब जबकि जा मांग तेजी से उठ रही है तो लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है.
उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरि किशोर तिवारी ने कहा कि निश्चित तौर पर नई पेंशन को लेकर अधिकांश कर्मचारियों के बीच में विरोध है. सभी संगठन आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं. निकाय चुनाव से इसकी शुरुआत होगी और लोकसभा चुनाव में हर पार्टी अपने एजेंडे में पुरानी पेंशन को लागू करना शामिल करें यही हमारी रणनीति होगी. सपा के प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने बताया कि निश्चित तौर सपा कर्मचारियों की इस मांग को लेकर अडिग है. हमने विधानसभा के अपने एजेंट एमएस को शामिल किया. कर्मचारियों ने हमारा जमकर समर्थन भी किया. आगे भी हमारे एजेंडे में कर्मचारियों के लिए यह मांग बनी रहेगी. ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर भारतीय जनता पार्टी की ओर से कोई भी पक्ष फिलहाल नहीं रखा जा रहा है.
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