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अब सूरज की रोशनी को शीशे में कर सकेंगे कैद - प्रोफेसर राजीव मनोहर

आप कमरे में बैठे हों, सूरज की तेज रोशनी आ रही हो और एक स्विच दबाकर आप उसे शीशे में कैद कर सकें. यह सुनने में हॉलीवुड की किसी साइंस फिक्शन मूवी की तरह लगता है. लेकिन लखनऊ विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों की एक टीम इसे सच बनाने में लगी हुई है.

अब सूरज की रोशनी को शीशे में कर सकेंगे कैद
अब सूरज की रोशनी को शीशे में कर सकेंगे कैद
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Published : Mar 5, 2021, 8:29 PM IST

लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय के लिक्विड क्रिस्टल प्रयोगशाला में लिक्विड क्रिस्टल, पॉलीमर और नैनो पार्टिकल को मिलाकर इस तरह का कंपाउंड मटेरियल तैयार किया जा रहा है जिससे सूरज की तेज रोशनी को कैद किया जा सकेगा. विशेषज्ञों का दावा है कि इस दिशा में काफी हद तक सफलता भी मिल गई है.

अब सूरज की रोशनी को शीशे में कर सकेंगे कैद

यह भी पढ़ें : दहेज के खिलाफ राजधानी की मस्जिदों से हुआ ऐलान, जाने क्या हुआ आह्वान

कम्पोजिट मटेरियल तैयार
लखनऊ विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग के प्रो. राजीव मनोहर के साथ डॉ. अतुल श्रीवास्तव और उनकी टीम इस पर काम कर रही है. इस टीम में शोधार्थी भूपेंद्र, शिवांगी व गरिमा भी शामिल हैं. प्रो. राजीव मनोहर ने बताया कि इस लैब में लिक्विड क्रिस्टल में विभिन्न प्रकार के नैनोपार्टिकल और केमिकल्स मिलाकर एक नए तरह का कम्पोजिट मटेरियल तैयार किया गया है. यह कम्पोजिट मटेरियल विभिन्न प्रकार के उपकरणों की क्षमताओं में कई गुना अधिक वृद्धि करने में सक्षम है. फिलहाल, इसका इस्तेमाल लेंस तैयार करने में किया गया है. ताइवान के एक राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के साथ मिलकर किए गए इस प्रयास में सफलता मिली है.

यह भी पढ़ें : गोरखपुर से लखनऊ के बीच जल्द बनेगी सिक्स लेन सड़क


ये होंगे फायदे
- प्रोफेसर राजीव मनोहर ने बताया कि नए कम्पोजिट मटेरियल के इस्तेमाल से निकट दृष्टि दोष या दूर दृष्टि दोष के लिए लोगों को अलग-अलग चश्मे पहनने से निजात मिलेगी. इस कंपोजिट मटेरियल के इस्तेमाल से ऐसा लेंस तैयार होगा जिसकी मदद से एक ही चश्मे से दोनों समस्याओं का हल हो जाएगा. प्रोफेसर मनोहर के शोधार्थी भूपेंद्र ने बताया कि यह लेंस तैयार हो चुका है. फिलहाल ताइवान के विज्ञान मंत्रालय में पेटेंट के लिए भेजा गया है. इसका एक फायदा यह भी है कि मोबाइल में इस्तेमाल होने पर यह इसके कैमरे की क्षमताएं कई गुना बढ़ा देगा.

- इसका दूसरा सबसे बड़ा फायदा ऊर्जा को लेकर है. प्रो. मनोहर के अनुसार वर्तमान में ऐसी तकनीकी उपलब्ध है जिसकी मदद से सूरज की रोशनी को एक उपकरण में स्टोर करके रखा जा सकता है. हमारा यह कंपोजिट मटेरियल खिड़की के शीशे पर पड़ने वाली सूरज की रोशनी को न केवल स्टोर कर सकेगा बल्कि जरूरत पड़ने पर जब चाहे एक बटन दबा कर उस ऊर्जा का इस्तेमाल भी किया जा सकेगा.

लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय के लिक्विड क्रिस्टल प्रयोगशाला में लिक्विड क्रिस्टल, पॉलीमर और नैनो पार्टिकल को मिलाकर इस तरह का कंपाउंड मटेरियल तैयार किया जा रहा है जिससे सूरज की तेज रोशनी को कैद किया जा सकेगा. विशेषज्ञों का दावा है कि इस दिशा में काफी हद तक सफलता भी मिल गई है.

अब सूरज की रोशनी को शीशे में कर सकेंगे कैद

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कम्पोजिट मटेरियल तैयार
लखनऊ विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग के प्रो. राजीव मनोहर के साथ डॉ. अतुल श्रीवास्तव और उनकी टीम इस पर काम कर रही है. इस टीम में शोधार्थी भूपेंद्र, शिवांगी व गरिमा भी शामिल हैं. प्रो. राजीव मनोहर ने बताया कि इस लैब में लिक्विड क्रिस्टल में विभिन्न प्रकार के नैनोपार्टिकल और केमिकल्स मिलाकर एक नए तरह का कम्पोजिट मटेरियल तैयार किया गया है. यह कम्पोजिट मटेरियल विभिन्न प्रकार के उपकरणों की क्षमताओं में कई गुना अधिक वृद्धि करने में सक्षम है. फिलहाल, इसका इस्तेमाल लेंस तैयार करने में किया गया है. ताइवान के एक राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के साथ मिलकर किए गए इस प्रयास में सफलता मिली है.

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ये होंगे फायदे
- प्रोफेसर राजीव मनोहर ने बताया कि नए कम्पोजिट मटेरियल के इस्तेमाल से निकट दृष्टि दोष या दूर दृष्टि दोष के लिए लोगों को अलग-अलग चश्मे पहनने से निजात मिलेगी. इस कंपोजिट मटेरियल के इस्तेमाल से ऐसा लेंस तैयार होगा जिसकी मदद से एक ही चश्मे से दोनों समस्याओं का हल हो जाएगा. प्रोफेसर मनोहर के शोधार्थी भूपेंद्र ने बताया कि यह लेंस तैयार हो चुका है. फिलहाल ताइवान के विज्ञान मंत्रालय में पेटेंट के लिए भेजा गया है. इसका एक फायदा यह भी है कि मोबाइल में इस्तेमाल होने पर यह इसके कैमरे की क्षमताएं कई गुना बढ़ा देगा.

- इसका दूसरा सबसे बड़ा फायदा ऊर्जा को लेकर है. प्रो. मनोहर के अनुसार वर्तमान में ऐसी तकनीकी उपलब्ध है जिसकी मदद से सूरज की रोशनी को एक उपकरण में स्टोर करके रखा जा सकता है. हमारा यह कंपोजिट मटेरियल खिड़की के शीशे पर पड़ने वाली सूरज की रोशनी को न केवल स्टोर कर सकेगा बल्कि जरूरत पड़ने पर जब चाहे एक बटन दबा कर उस ऊर्जा का इस्तेमाल भी किया जा सकेगा.

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