लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय में स्टूडेंट्स के लिए हॉस्टल एलॉटमेंट की प्रक्रिया शुरू हो गई है. इस सत्र करीब 2000 से अधिक नए छात्रों ने हॉस्टल के लिए आवेदन किया है. फिलहाल कोविड-19 व एलयू के चार बड़े छात्रावासों में मरम्मत का कार्य होने के कारण मौजूदा समय में सिर्फ 1200 स्टूडेंट्स को ही हॉस्टल एलॉट किया जा रहा है. वहीं इस साल विश्वविद्यालय के बहुत से स्टूडेंट्स को रहने के लिए बाहर कमरा लेना पड़ेगा.
डीएसडब्ल्यू प्रो. पूनम टंडन ने बताया कि कुलपति प्रो. अलोक कुमार राय के निर्देश पर इस वर्ष स्टूडेंट्स को हॉस्टल में रहने व खाने की सुविधा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा. चार बड़ें हॉस्टलों की मरम्मत करवाई जा रही है ताकी जिन स्टूडेंट्स को हॉस्टल्स के कमरों से शिकायत रहती थी. उनकी शिकायतों को दूर किया जा सके. उन्होंने बताया कि मरम्मत कार्य के चलते अभी सिर्फ 1200 स्टूडेंट्स को ही हॉस्टल एलॉट किया जा रहा है. जिन छात्रावासों में मरम्मत का कार्य पूरा होता जाएगा. उन छात्रावासों में स्टूडेंट्स के द्वारा प्राप्त आवेदनों में से हॉस्टल एलॉट किए जाने की प्रक्रिया जारी रहेगी.
बाहरी जनपदों से स्टूडेंट्स को दिक्कत
हॉस्टल एलॉटमेंट की प्रक्रिया से इस साल शहर के बाहर के स्टूडेंट्स परेशान हैं. ये वह स्टूडेंट्स हैं, जिन्होंने हॉस्टल के लिए एलॉटमेंट तो कर दिया लेकिन इन्हें अभी हॉस्टल एलॉट नहीं हो पाया है. हालांकि इस समस्या से जूझ रहे स्टूडेंट्स के लिए एलयू प्रशासन का कहना है कि जिन हॉस्टल में मरम्मत का कार्य चल रहा है उन हॉस्टल में कार्य पूरा होने पर विश्वविद्यालय के नियमानुसार हॉस्टल एलॉट कर दिया जाएगा.
कोविड-19 प्रोटोकाॅल का होगा पालन
कुलपति प्रो. अलोक कुमार राय ने बताया कि इस वर्ष शहर के बाहर रहने वाले स्टूडेंट्स को कैंपस में बुलाना, पढ़ाना और फिर उनका रहना खाना एक बहुत बड़ी चुनौती है. हालांकि हमने स्टूडेंट्स के लिए प्रॉपर नियम बनाए हैं, जो स्टूडेंट्स को फॉलो करने होंगे. इसी तरह हमने हॉस्टल्स के लिए भी नियम बनाएं हैं. इस वर्ष हॉस्टल में जिन कमरों में दो बेड के बीच छह फीट से अधिक की दूरी है उनमें दो स्टूडेंट्स, वहीं जो कमरे छोटे हैं उनमें एक स्टूडेंट्स के रूकने की सुविधा दी जा रही है.