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निजी स्कूलों की फीस वृद्धि पर रोक रहेगी बरकरार, हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों को अंतरिम राहत देने से किया इनकार

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने निजी स्कूलों में फीस वृद्धि पर राज्य सरकार की तरफ से लगायी गयी रोक पर अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया. यूपी प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन और एक अन्य की तरफ से याचिका पर सुनवाई हुई.

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Published : Jul 15, 2021, 10:41 PM IST

हाईकोर्ट
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लखनऊ : प्रदेश के निजी स्कूलों की फीस वृद्धि पर राज्य सरकार की तरफ से लगायी गयी रोक फिलहाल बरकरार रहेगी. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने इस मामले में निजी स्कूलों को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया है. न्यायालय ने मामले को अंतिम रूप से निस्तारित करने के लिए 3 अगस्त को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने यूपी प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन व एक अन्य की याचिका पर पारित किया.

याचिका में इस वर्ष की फीस वृद्धि पर रोक लगाने सम्बंधी 20 मई के आदेश को चुनौती दी गयी थी. याचियों की ओर से दलील दी गयी थी कि शैक्षणिक सत्र 2020-21 में भी निजी स्कूलों को फीस वृद्धि करने से कोविड महामारी के चलते रोक दिया गया था. अब शैक्षणिक सत्र 2021-22 के लिए भी ऐसा ही आदेश जारी कर दिया गया.

याचियों की ओर से दलील दी गयी कि यह उनके व्यवसाय करने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है. कहा गया कि स्कूल चलाने में खर्च होता है. ऐसे में फीस वृद्धि पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाया जाना उचित नहीं है. वहीं सरकारी वकील ने याचिका का विरोध करते हुए दलील दी कि यूपी स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियमितीकरण) संशोधन अधिनियम के तहत उक्त रोक लगाई गयी है, जो आकस्मिक व असाधारण परिस्थितियों जैसे दैवीय आपदा, युद्ध अथवा महामारी जैसे हालातों में निजी स्कूलों के फीस को रेग्युलेट करने का अधिकार राज्य सरकार को देती है. कहा गया कि वर्ष 2018 के इस संशोधन के विरुद्ध दाखिल एक याचिका भी खारिज की जा चुकी है. न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद याचियों को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया.

इसे भी पढ़ें - अब तक क्यों नहीं भरे गए को-ऑपरेटिव सोसायटी के चुनाव आयोग के पदः हाईकोर्ट

लखनऊ : प्रदेश के निजी स्कूलों की फीस वृद्धि पर राज्य सरकार की तरफ से लगायी गयी रोक फिलहाल बरकरार रहेगी. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने इस मामले में निजी स्कूलों को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया है. न्यायालय ने मामले को अंतिम रूप से निस्तारित करने के लिए 3 अगस्त को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने यूपी प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन व एक अन्य की याचिका पर पारित किया.

याचिका में इस वर्ष की फीस वृद्धि पर रोक लगाने सम्बंधी 20 मई के आदेश को चुनौती दी गयी थी. याचियों की ओर से दलील दी गयी थी कि शैक्षणिक सत्र 2020-21 में भी निजी स्कूलों को फीस वृद्धि करने से कोविड महामारी के चलते रोक दिया गया था. अब शैक्षणिक सत्र 2021-22 के लिए भी ऐसा ही आदेश जारी कर दिया गया.

याचियों की ओर से दलील दी गयी कि यह उनके व्यवसाय करने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है. कहा गया कि स्कूल चलाने में खर्च होता है. ऐसे में फीस वृद्धि पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाया जाना उचित नहीं है. वहीं सरकारी वकील ने याचिका का विरोध करते हुए दलील दी कि यूपी स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियमितीकरण) संशोधन अधिनियम के तहत उक्त रोक लगाई गयी है, जो आकस्मिक व असाधारण परिस्थितियों जैसे दैवीय आपदा, युद्ध अथवा महामारी जैसे हालातों में निजी स्कूलों के फीस को रेग्युलेट करने का अधिकार राज्य सरकार को देती है. कहा गया कि वर्ष 2018 के इस संशोधन के विरुद्ध दाखिल एक याचिका भी खारिज की जा चुकी है. न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद याचियों को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया.

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