लखनऊ : राजधानी के लोग राॅन्ग साइड गाड़ी चलाना हो या फिर कहीं भी गाड़ी को खड़ी कर देना, हर वक्त इसमें आगे रहते है. लिहाजा ट्रैफिक पुलिस सबसे अधिक नो पाॅर्किंग व राॅन्ग साइड के ही चालान करती है. बीते पांच माह में राजधानी में लगभग 64 हजार नो पाॅर्किंग के चालान हुए हैं. 16 हजार चालान राॅन्ग साइड के हुए हैं. हालांकि आम लोगों का मानना है कि अधिकतर बाजारों में पाॅर्किंग नहीं है और न ही शाॅपिंग मॉल में ही पार्किंग की व्यव्स्था है. ऐसे में हम गाड़ियां खड़ी कहां करें.
केस 1 : राजधानी के इंद्रानगर इलाके में एक फूड कोरियर बॉय डीसीपी ट्रैफिक के कार्यालय के चक्कर लगा रहा है. कारण उसका नो पार्किंग का चालान हो गया. कोरियर बॉय बताते हैं कि वह कस्टमर को पार्सल देने लेखराज मार्केट में एक दुकान के अंदर गया हुआ था. वापस आया और घर पहुंच गया. कई दिनों बाद उन्होंने ऑनलाइन गाड़ी का चालान चेक किया तो उसी दिन उनका नो पाॅर्किंग का चालान कर दिया गया था. ऐसे ही उनके तीन चालान हुए हैं. कोरियर बॉय की मानें तो उस मार्केट में जब पाॅर्किंग ही नहीं है तो गाड़ी कहां खड़ी करें. ऐसे तो उनकी पूरी तनख्वाह सिर्फ चालान भरने में ही निकल जाएगी.
केस 2 : तेलीबाग के रहने वाले मोहित अग्रवाल परिवार के साथ शॉपिंग करने तेलीबाग बाजार गए हुए थे. इस बाजार में करीब 50 बड़ी दुकानें व शो रूम हैं, लेकिन एक भी पाॅर्किंग एरिया नहीं है. ऐसे में उन्होंने अपनी कार शो रूम के सामने ही खड़ी कर दी. वे शॉपिंग कर ही रहे थे कि उनके पास मोबाइल में चालान का मैसेज आ गया. मोहित के मुताबिक अब बताइए कि बिना पाॅर्किंग बनाए काॅमर्शियल बिल्डिंग में काम हो सकता है तो उपभोक्ता को क्यों शिकार बनाया जा रहा है.
यह समस्या सिर्फ तेलीबाग या फिर लेखराज मार्केट की ही नहीं, बल्कि आलमबाग, कृष्णानगर, अलीगंज, महानगर समेत कई ऐसे बड़े इलाके हैं जहां न ही दुकानदारों के पास पाॅर्किंग है और न ही नगर निगम या एलडीए की पाॅर्किंग है. ऐसे में स्थानीय थाने और ट्रैफिक पुलिस सड़कों पर खड़ी गाड़ियों की फोटो खींच कर चालान कर देती है.
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