ETV Bharat / state

ज्येष्ठ माह के बड़े मंगल को लखनऊ में कोई नहीं सोता है भूखा, लगते हैं हजारों लंगर - बड़े मंगल की शुरूआत

हर साल ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले बड़े मंगल की शुरूआत आज से हो गई है. राजधानी लखनऊ में जगह-जगह भंडारे का आयोजन हुआ. आइये जानते हैं कि आखिर क्या है परंपरा...

ो
author img

By

Published : May 9, 2023, 6:06 PM IST

Updated : May 10, 2023, 6:27 AM IST

लखनऊ : राजधानी लखनऊ में हर साल ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले 'मंगलवार' के दिन विशेष उत्सव का माहौल होता है. इस माह किसी भी मंगलवार को राजधानी में कोई भी भूखा नहीं सोता. हनुमान जी के भक्त शहर के हर गली-मोहल्ले, सड़कों और बाजारों में भंडारे (लंगर) लगाते हैं और लोगों को तरह-तरह के प्रसाद वितरित करते हैं. आज माह का पहला बड़ा मंगल है और इस दिन शहर में लोकल हालीडे यानी स्थानीय अवकाश भी रहता है. इस मंगल के दिन को कुछ लोग 'बुढ़वा मंगल' भी कहते हैं. बताया जाता है कि यह परंपरा सैकड़ों वर्ष से चली आ रही है.


मान्यता है कि ज्येष्ठ माह के पहले मंगल के दिन ही भगवान लक्ष्मण ने यह शहर बसाया था और इसी दौरान बड़ा मंगल मनाने की प्रक्रिया आरंभ हुई, वहीं ऐतिहासिक तौर पर कई किताबों में उल्लेख मिलता है कि यह परंपरा लखनऊ के नवाब ने लगभग चार सौ साल पहले शुरू की थी. प्रसंग है कि एक दिन नवाब के पुत्र की तबीयत काफी खराब थी और उन्हें किसी दवा से आराम नहीं मिल रहा था. तब नवाब की बेगम रूबिया ने बेटे की सलामती के लिए अलीगंज स्थित बड़े हनुमान मंदिर में मन्नत मांगी. कहा जाता है कि बड़े मंदिर के पुजारी ने नवाब की पत्नी से कहा कि वह अपने बेटे को रात भर मंदिर में ही छोड़ दें. उन्होंने यह बात मानी और जब दूसरे दिन मंदिर पहुंचीं तो उनका बेटा पूरी तरह स्वस्थ हो चुका था. इसके बाद बेगम रूबिया ने बड़े हनुमान मंदिर का जीर्णोद्धार कराया. मंदिर के गुंबद पर आज भी चांद-तारे का वह प्रतीक देखा जा सकता है.



यह तो हुई परंपराओं की बात. सामाजिक दृष्टि से भी इस आयोजन का विशेष महत्व है. हनुमत भक्त पूरे शहर में तरह-तरह के व्यंजन हर आम और खास के लिए परोसते हैं. इस दिन छोटे-बड़े का भेद मिट जाता है और हर वर्ग के लोग भंडारे का प्रसाद जरूर ग्रहण करते हैं. कहीं सब्जी-पूड़ी तो कहीं छोला-कचौड़ी, कहीं कद्दू युक्त प्रसाद तो कहीं रवा-चने का. लोग जहां चाहें मुफ्त में भर पेट खा सकते हैं. ज्येष्ठ माह के बड़े मंगलों को शहर की खान-पान की दुकानों पर सन्नाटा पसर जाता है. भक्त सुबह से ही हनुमान मंदिरों पर दर्शनों के लिए जुटने लगते हैं और लंबी कतारें लगने लगती हैं. भंडारे का आयोजन कराकर लोग पुण्य लाभ कमाते हैं. आज पहला बड़ा मंगल है. इस माह की 16, 23 और 30 मई को भी बड़े मंगल पर पूरे शहर में भंडारे के आयोजन होंगे.

यह भी पढ़ें : यूपी निकाय चुनाव में कम मतदान को लेकर बीजेपी सख्त, पन्ना प्रमुख से लेकर बूथ प्रभारी तक रडार पर

लखनऊ : राजधानी लखनऊ में हर साल ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले 'मंगलवार' के दिन विशेष उत्सव का माहौल होता है. इस माह किसी भी मंगलवार को राजधानी में कोई भी भूखा नहीं सोता. हनुमान जी के भक्त शहर के हर गली-मोहल्ले, सड़कों और बाजारों में भंडारे (लंगर) लगाते हैं और लोगों को तरह-तरह के प्रसाद वितरित करते हैं. आज माह का पहला बड़ा मंगल है और इस दिन शहर में लोकल हालीडे यानी स्थानीय अवकाश भी रहता है. इस मंगल के दिन को कुछ लोग 'बुढ़वा मंगल' भी कहते हैं. बताया जाता है कि यह परंपरा सैकड़ों वर्ष से चली आ रही है.


मान्यता है कि ज्येष्ठ माह के पहले मंगल के दिन ही भगवान लक्ष्मण ने यह शहर बसाया था और इसी दौरान बड़ा मंगल मनाने की प्रक्रिया आरंभ हुई, वहीं ऐतिहासिक तौर पर कई किताबों में उल्लेख मिलता है कि यह परंपरा लखनऊ के नवाब ने लगभग चार सौ साल पहले शुरू की थी. प्रसंग है कि एक दिन नवाब के पुत्र की तबीयत काफी खराब थी और उन्हें किसी दवा से आराम नहीं मिल रहा था. तब नवाब की बेगम रूबिया ने बेटे की सलामती के लिए अलीगंज स्थित बड़े हनुमान मंदिर में मन्नत मांगी. कहा जाता है कि बड़े मंदिर के पुजारी ने नवाब की पत्नी से कहा कि वह अपने बेटे को रात भर मंदिर में ही छोड़ दें. उन्होंने यह बात मानी और जब दूसरे दिन मंदिर पहुंचीं तो उनका बेटा पूरी तरह स्वस्थ हो चुका था. इसके बाद बेगम रूबिया ने बड़े हनुमान मंदिर का जीर्णोद्धार कराया. मंदिर के गुंबद पर आज भी चांद-तारे का वह प्रतीक देखा जा सकता है.



यह तो हुई परंपराओं की बात. सामाजिक दृष्टि से भी इस आयोजन का विशेष महत्व है. हनुमत भक्त पूरे शहर में तरह-तरह के व्यंजन हर आम और खास के लिए परोसते हैं. इस दिन छोटे-बड़े का भेद मिट जाता है और हर वर्ग के लोग भंडारे का प्रसाद जरूर ग्रहण करते हैं. कहीं सब्जी-पूड़ी तो कहीं छोला-कचौड़ी, कहीं कद्दू युक्त प्रसाद तो कहीं रवा-चने का. लोग जहां चाहें मुफ्त में भर पेट खा सकते हैं. ज्येष्ठ माह के बड़े मंगलों को शहर की खान-पान की दुकानों पर सन्नाटा पसर जाता है. भक्त सुबह से ही हनुमान मंदिरों पर दर्शनों के लिए जुटने लगते हैं और लंबी कतारें लगने लगती हैं. भंडारे का आयोजन कराकर लोग पुण्य लाभ कमाते हैं. आज पहला बड़ा मंगल है. इस माह की 16, 23 और 30 मई को भी बड़े मंगल पर पूरे शहर में भंडारे के आयोजन होंगे.

यह भी पढ़ें : यूपी निकाय चुनाव में कम मतदान को लेकर बीजेपी सख्त, पन्ना प्रमुख से लेकर बूथ प्रभारी तक रडार पर

Last Updated : May 10, 2023, 6:27 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.