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लखनऊ: कोर्ट निर्माण के बजट में बड़ी हेराफेरी, 5 पर कार्रवाई - कोर्ट निर्माण का बजट मेडिकल कॉलेज में खर्च

यूपी के लखनऊ स्थित उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम ने बहराइच में कोर्ट बनाने के लिए आवंटित रुपये को मेडिकल कॉलेज में खर्च कर दिया. मामले में दोषी पाते हुए पांच लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है.

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उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम.
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Published : Dec 4, 2019, 9:40 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम केंद्र में भ्रष्टाचार का नया खेल उजागर हुआ है. अभियंताओं ने मिलीभगत करके कोर्ट बनाए जाने के लिए दिए गए बजट को मेडिकल कॉलेज के बजट में खर्च कर दिया. इस बड़ी अनियमितता को लेकर विभाग के अधिकारियों ने जब कार्रवाई के लिए पत्र लिखा, तब जाकर कुछ लोगों के खिलाफ कार्रवाई हुई.

कोर्ट निर्माण का बजट मेडिकल कॉलेज में खर्च.


कोर्ट के बजट को मेडिकल कॉलेज में किया खर्च

  • न्याय विभाग ने बहराइच में कोर्ट बनाने के लिए बजट का आवंटन राजकीय निर्माण निगम को किया.
  • इस बजट के रुपये को इंजीनियरों ने मेडिकल कॉलेज में खर्च कर दिया.
  • इस मामले में कई लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई.

इसे भी पढ़ें:- सहारनपुर: मुआवजा न मिलने पर ग्रामीणों ने ट्यूबवेल का काम रुकवाया

विभागीय अधिकारियों के निर्देश पर जांच की गई. जांच में पता चला कि कर्मचारियों और अभियंताओं ने वित्तीय नियमों की अनदेखी करते हुए 1459.30 लाख रुपये के भुगतान किए हैं. पांच लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई, जिसमें गिरीश चंद्र चतुर्वेदी परियोजना प्रबंधक, वीके सिंह इकाई प्रभारी, एचपी भट्ट स्थानिक अभियंता, प्रदीप अग्रवाल लेखाकार और रामाधार सिंह यादव उप अभियंता शामिल हैं.


वित्तीय अनियमितता की जानकारी प्रकाश में आते ही ऑडिट कराई गई. दोषी पाए गए लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है.
-यूके गहलोत, एमडी, राजकीय निर्माण निगम

लखनऊ: उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम केंद्र में भ्रष्टाचार का नया खेल उजागर हुआ है. अभियंताओं ने मिलीभगत करके कोर्ट बनाए जाने के लिए दिए गए बजट को मेडिकल कॉलेज के बजट में खर्च कर दिया. इस बड़ी अनियमितता को लेकर विभाग के अधिकारियों ने जब कार्रवाई के लिए पत्र लिखा, तब जाकर कुछ लोगों के खिलाफ कार्रवाई हुई.

कोर्ट निर्माण का बजट मेडिकल कॉलेज में खर्च.


कोर्ट के बजट को मेडिकल कॉलेज में किया खर्च

  • न्याय विभाग ने बहराइच में कोर्ट बनाने के लिए बजट का आवंटन राजकीय निर्माण निगम को किया.
  • इस बजट के रुपये को इंजीनियरों ने मेडिकल कॉलेज में खर्च कर दिया.
  • इस मामले में कई लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई.

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विभागीय अधिकारियों के निर्देश पर जांच की गई. जांच में पता चला कि कर्मचारियों और अभियंताओं ने वित्तीय नियमों की अनदेखी करते हुए 1459.30 लाख रुपये के भुगतान किए हैं. पांच लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई, जिसमें गिरीश चंद्र चतुर्वेदी परियोजना प्रबंधक, वीके सिंह इकाई प्रभारी, एचपी भट्ट स्थानिक अभियंता, प्रदीप अग्रवाल लेखाकार और रामाधार सिंह यादव उप अभियंता शामिल हैं.


वित्तीय अनियमितता की जानकारी प्रकाश में आते ही ऑडिट कराई गई. दोषी पाए गए लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है.
-यूके गहलोत, एमडी, राजकीय निर्माण निगम

Intro:एंकर
लखनऊ। उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम केंद्र भ्रष्टाचार का नया खेल उजागर हुआ है बहराइच में न्याय विभाग द्वारा कोर्ट बनाए जाने के लिए दिए गए बजट में ही निर्माण निगम के अभियंताओं ने खेल कर दिया कोर्ट बनाने के बजट को अभियंताओं ने मिलीभगत करके मेडिकल कॉलेज के बजट में खर्च कर दिया जिसे विभाग में बड़ी अनुमिता मानी जाती है इस बड़ी अनियमितता को लेकर विभाग के अधिकारियों ने जब कार्यवाही के लिए पत्र लिखा तब जाकर कुछ लोगों के खिलाफ कार्यवाही हुई हालांकि बड़े और जिम्मेदार लोगों पर कार्यवाही नहीं की जा सकी।



Body:वीओ
बहराइच में न्याय विभाग द्वारा कोर्ट बनाने के लिए बजट का आवंटन राजकीय निर्माण निगम को किया गया लेकिन इस बजट से बहराइच निर्माण निगम के इंजीनियरों ने इसमें खेल कर दिया और इसका पैसा मेडिकल कॉलेज में खर्च कर दिया जिससे तमाम प्रमुख लोग सवालों के घेरे में आ गए और बड़ी अनियमितता कर डाली खास बात यह है कि जीएम सत्यवीर सिंह यादव और यतींद्र कुमार के खिलाफ कार्यवाही नहीं की जा सकी जबकि नीचे की अभियंताओं के खिलाफ कार्यवाही की गई जिससे तमाम तरह के सवाल भी उठ रहे हैं।
विभागीय अधिकारियों के निर्देश पर जांच हुई तो पता चला कि कर्मचारियों और अभियंताओं ने वित्तीय नियमों की अनदेखी करते हुए 1459.30 लाख रुपए के भुगतान किए हैं जिसमें 5 लोगों के खिलाफ कार्यवाही की गई इनमें गिरीश चंद्र चतुर्वेदी परियोजना प्रबंधक, वीके सिंह इकाई प्रभारी, एचपी भट्ट स्थानिक अभियंता,प्रदीप अग्रवाल लेखाकार, रामाधार सिंह यादव उप अभियंता के खिलाफ कार्यवाही की गई है।

बाईट, यूके गहलोत, एमडी, राजकीय निर्माण निगम
वित्तीय अनियमितता की जानकारी प्रकाश में आते ही इसकी ऑडिट कराई गई और जो लोग दोषी पाए गए उनके खिलाफ कार्यवाही की गई 5 लोगों के खिलाफ कार्यवाही की गई है।


Conclusion:सवाल यह है कि सिर्फ छोटे अभियंताओं पर कार्यवाही की गई है और जो महत्वपूर्ण और दागी लोग हैं उन्हें बचाने का प्रयास किया गया है जिनमें जी हम सत्यवीर सिंह और यतेंद्र कुमार के नाम निर्माण निगम के अफसरों और अभियंताओं के बीच चर्चा का विषय है कि जिसकी सबसे ज्यादा जिम्मेदारी थी उन लोगों को बचाने का काम क्यों किया गया।
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