लखनऊः क्या उत्तर प्रदेश की पुलिस बेलगाम हो गई है...? ये हम नहीं बल्कि पुलिस के समय-समय पर आए यूपी पुलिस के ऐसे कारनामे बता रहे हैं जिससे यह सवाल जायज हो जाता है. मुख्यमंत्री के गृह जनपद गोरखपुर में कानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता की होटल में बेरहमी से पीटकर हत्या कर दी गई. ऐसे ही उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिले में 9 ऐसे बड़े मामले हुए हैं जिसमें योगी पुलिस ने बर्बरता पार कर दी.
पुलिस की बर्बरता के तमाम ऐसे मामले हुए जो पब्लिक के बीच पूरी तरह से नहीं पहुंच पाए. वक्त रहते पुलिस विभाग ने मामले को दफन कर दिया. अब जब गोरखपुर में पुलिस की बर्बरता फिर सामने आई है तो सभी घटनाओं को बात करना भी जरूरी हो गया है. जब-जब पुलिस इस तरह की घटनाओं में लिप्त पाई गई यूपी की कानून-व्यवस्था को चुनौती देने वाले इन मामलों में सरकार की जमकर किरकिरी हुई. सरकार ने भी पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई कर ऐसे मामलों को ठंडे बस्ते में डाल दिया.
1- व्यापारी मनीष गुप्ता की पत्नी बोली, पुलिस ने की हत्या
कानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता की गोरखपुर में पुलिस द्वारा पिटाई से मौत हो गई. मामले में सरकार की खूब किरकिरी हो रही है. एसएसपी विपिन ताड़ा ने व्यापारी मनीष की मौत को हादसा बताते हुए कई बार बयान बदला. जबकि, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मनीष गुप्ता के शरीर पर चार जगह चोट के निशान होने की पुष्टि हुई है. नुकेले धारदार लोहे से शरीर में निशान भी पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी सामने आया है. पुलिस ने तीन नामजद पुलिस कर्मियों के खिलाफ केस दर्ज किया, जबकि, मृतक की पत्नी ने छह के खिलाफ तहरीर देने की बात कह रही है. पीड़िता का आरोप है कि पुलिस कर्मियों ने मनीष की हत्या की है. परिवारीजनों ने सीबीआई जांच की मांग की है.
2- एपल कंपनी के मैनेजर विवेक तिवारी हत्याकांड
बता दें कि, योगी की सरकार बनते ही एपल कंपनी के एरिया सेल्स मैनेजर (नॉर्थ) व न्यू हैदराबाद निवासी विवेक तिवारी को 28/29 सितंबर 2018 की रात डेढ़ बजे गोमतीनगर विस्तार में सरयू अपार्टमेंट के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. वजह बताया गया कि विवेक तिवारी अपनी महिला मित्र के साथ एसयूवी में सवार थे, तभी गोमतीनगर के सिपाही प्रशांत और संदीप ने उन्हें रोकने का प्रयास किया. विरोध पर गोली मार दी.
आरोपी सिपाहियों का कहना था कि विवेक को कार से उतरने के लिए कहा गया तो उन्होंने बाइक में टक्कर मार दी. सिपाही प्रशांत ने पिस्टल तानकर चेतावनी दी तो उसे कुचलने का प्रयास किया. पुलिस की बेअंदाजी का आलम ये था कि सिपाही प्रशांत और सन्दीप की गिरफ्तारी के बाद लखनऊ पुलिस के सिपाहियों ने लाखों रुपया एकत्र कर दोनों के पैरवी के लिए दिया. एसआईटी ने आरोपी प्रशांत और संदीप को जेल भेजा था. चार्जशीट दाखिल होते ही संदीप को जमानत मिल गई और वह जेल से बाहर आ गया.
3- महोबा में क्रशर कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी हत्याकांड
मणिलाल पाटीदार महोबा जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) थे. जिले के कबरई थाना क्षेत्र के रहने वाले क्रशर कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी को 8 सितंबर 2020 के दिन संदिग्ध हालत में गोली लग गई थी. इंद्रकांत ने उपचार के दौरान कानपुर के एक निजी अस्पताल में 13 सितंबर को दम तोड़ दिया था. इंद्रकांत के भाई रविकांत ने एसपी मणिलाल पाटीदार, कबरई के थाना प्रभारी देवेंद्र शुक्ला, सिपाही अरुण यादव, व्यापारी ब्रह्मनंद और नरेश सोनी के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कराया था.
रविकांत ने मणिलाल पाटीदार द्वारा मृतक व्यापारी से पांच लाख महीने का एक्सटॉर्शन मांगने का आरोप लगाया था. शिकायत के बाद शासन ने मणिलाल पाटीदार को सेवा से निलंबित कर दिया था. तभी से एसटीएफ और महोबा पुलिस एसपी मणिलाल पाटीदार को तलाश रही, लेकिन उसकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी है.
4- बरेली में मास्क न पहनने पर रंजीत के हाथ-पैर में कील ठोकीं
बीते 7 मई 2021 उत्तर प्रदेश के बरेली में हाजी मुल्ला जी वाली गली जोगीनवादा निवासी रंजीत के मास्क न पहनने पर पुलिस द्वारा बर्बरता का मामला सामने आया. पुलिस ने मास्क नहीं पहनने पर युवक के हाथ-पैर में कीलें ठोक दीं. जब युवक की मां ने एसएसपी से शिकायत की तो जांच के बाद एसएसपी रोहित सिंह सजवाण का कहना था कि प्रारंभिक जांच में पुलिस पर कीलें ठोकने का आरोप गलत पाया गया है. युवक के खिलाफ दो मुकदमे दर्ज हैं. गिरफ्तारी से बचने के लिए वह ड्रामा कर रहा है.
5- जौनपुर में कृष्णा यादव हत्याकांड
बीते 11 फरवरी की रात जौनपुर में बक्शा थाना क्षेत्र के चकमिर्जापुर निवासी कृष्णा यादव उर्फ पुजारी (25) की थाने में पुलिस की पिटाई से मौत हो गई थी. तलाशी के दौरान बक्से का ताला तोड 60 हजार रुपये व जेवरात पुलिस उठा ले गई थी. मामले में हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया था. इसी कड़ी में मंगलवार को भी सीबीआई के अधिकारी रत्नेश मिश्र बक्शा थाने के सिपाही के साथ कृष्णा के घर पहुंचे थे. इस मामले में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर बीते 21 सितंबर को जांच करने मौके पर गई थी.
6- अम्बेडकरनगर में जियाउद्दीन की कस्टडी में मौत
अम्बेडकर नगर में आजमगढ़ के जियाउद्दीन की पुलिस कस्टडी में मौत मामले में स्वाट प्रभारी और सिपाहियों के खिलाफ हत्या और अपहरण की एफआईआर दर्ज की गई थी. 27 मार्च को स्वाट टीम आजमगढ़ जनपद से जियाउद्दीन को लेकर आई थी. आरोप है कि पुलिस की पिटाई से युवक की मौत हो गई. पुलिस को जैतपुर थानाक्षेत्र में हुई एक लूट के सिलसिले में जियाउद्दीन पर शक था. इसी को लेकर स्वाट टीम ने उसे गुरुवार की रात उठाया था. बाद में उसे गंभीरावस्था में इसी रात 1.12 बजे जिला अस्पताल में भर्ती कराया. कुछ ही देर बाद 1.45 बजे इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. इस मामले में अब तक सिर्फ दो सात पुलिस कर्मियों को लाइन हाजिर किया गया है.
7- उन्नाव में पुलिस की पिटाई से युवक की मौत
22 मई को कोरोना कर्फ्यू के दौरान ठेले पर आलू बेच रहे सब्जी विक्रेता को पुलिस पकड़कर कोतवाली ले गई थी. वहां अचानक उसकी हालत बिगड़ गई. पुलिस आनन-फानन उसे लेकर सीएचसी पहुंची, जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया था. सब्जी विक्रेता की मौत से आक्रोशित परिजनों ने पुलिस पर पिटाई का आरोप लगाते हुए सीएचसी में हंगामा शुरू कर दिया था. तत्कालीन एएसपी शशिशेखर सिंह ने बांगरमऊ थाने के दो सिपाहियों और एक होमगार्ड के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करके उन्हें सस्पेंड कर दिया था.
8- सुल्तानपुर में पुलिस लॉकप में राजेश की मौत
तीन जून को कुड़वार थाना परिषर के पुलिस लॉकप में कुड़वार थाना क्षेत्र के परसीपुर निवासी राजेश कोरी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी. मामले पर पुलिस अधीक्षक ने लापरवाह थानाध्यक्ष अरविंद पांडे, एसआई शास्त्रजीत प्रसाद और मुख्य आरक्षी बृजेश सिंह को निलंबित कर दिया था. थानाध्यक्ष अरविंद पांडे पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया था.
9- संतकबीर नगर में कस्टडी में मौत
28 जुलाई को बखिरा इलाके के शिव बखरी गांव निवासी शख्स की पुलिस कस्टडी में मौत हो गई थी. पुलिस की पिटाई से शख्स की हुई मौत के मामले में एसपी ने एसओ मनोज कुमार सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था. एसपी ने इस मामले में तहरीर के आधार पर संबंधितों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया.
दागी पुलिसकर्मियों को बर्खास्तगी के निर्णय का स्वागत
पूर्व डीजी एके जैन ने मुख्यमंत्री के दागी पुलिसकर्मियों को बर्खास्त करने के निर्णय का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने दो स्क्रीनिंग कमेटी बनाई है, जो अपराधी पुलिसकर्मी और दागी पुलिसकर्मियों की सूची तैयार करेंगे. उन्होंने बताया कि कुछ गंदे पुलिसकर्मियों के चलते पूरे महकमे की बदनामी होती है. इस निर्णय से दागी पुलिस कर्मियों को चिन्हित किया जा सकता है और इस पर लगाम लगाई ज सकती है.
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