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लखनऊ: ठंड ने दी दस्तक, अस्पतालों में रैन बसेरे की व्यवस्थाएं ध्वस्त - तीमारदार ठंड में ठिठुरने को मजबूर

राजधानी लखनऊ के केजीएमयू में मरीजों के साथ आने वाले तीमारदार ठंड में ठिठुरने को मजबूर हैं. एक साल पहले यहां पर नए रैन बसेरे का उद्घाटन तक कर दिया गया, लेकिन अभी तक इस रैन बसेरे का लाभ मरीजों के साथ आने वाले तीमारदार नहीं उठा पा रहे हैं.

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अस्पतालों में रैन बसेरे की व्यवस्थाएं ध्वस्त.
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Published : Nov 26, 2019, 12:53 PM IST

लखनऊ: राजधानी लखनऊ के अस्पतालों में पिछले दिनों केजीएमयू, बलरामपुर अस्पताल में गरीब मरीजों के साथ आने वाले तीमारदारों के लिए रहने के लिए समुचित व्यवस्था की गई थी. इसके लिए यहां पर केजीएमयू व बलरामपुर में रैन बसेरे का निर्माण कराया गया था, जिससे मरीजों के साथ आने वाले तीमारदारों को दिक्कतों का सामना न करना पड़े, लेकिन यह रैन बसेरा अभी भी कार्यप्रगति के दौर से ही नहीं निकल पाया है.

अस्पतालों में रैन बसेरे की व्यवस्थाएं ध्वस्त.

यूं तो तमाम सेवाओं का दावे और वादे किए जाते हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग अभी भी सुधरने का नाम नहीं ले रहा. केजीएमयू में पिछले दिनों तत्कालीन गृहमंत्री व वर्तमान में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के द्वारा मरीजों के साथ आने वाले तीमारदारों को बेहतर सेवाएं देने के लिए एक बेहतर कदम उठाए गया था. जिसके तहत मरीजों के साथ आने वाले तीमारदारों को किसी भी तरह की कोई दिक्कत का सामना न करना पड़े.

साल भर बाद भी नहीं शुरू हों पाया रैन बसेरा
ट्रॉमा सेंटर के बाहर बने पुराने रैन बसेरे के हालात तो बद से बदतर है. इस रात में रूह कपां देने वाली ठंड में मरीजों के साथ आने वाले तीमारदार किसी तरह खुद को बचाकर वहां पर समय बिता रहे हैं, लेकिन केजीएमयू प्रशासन इस पूरे मामले में अपनी आंखें मूंदे बैठा हुआ है. एक साल पहले राजनाथ सिंह द्वारा यहां पर नए रैन बसेरे का उद्घाटन तक कर दिया गया, लेकिन अभी तक यह नया रैन बसेरा मरीजों की साथ आने वाले तीमारदारों को नहीं मिल पा रहा है. जिसकी वजह से यहां पर आने वाले मरीजों के साथ तीमारदारों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

ये भी पढ़ें- शिवपाल यादव समेत चार विधायकों को बंगला आवंटित करना नियम के अनुरूप: हाईकोर्ट

बलरामपुर अस्पताल मे रैन बसेरा की कार्य गति धीमी
बलरामपुर अस्पताल में न्यू बिल्डिंग के सामने बने रैन बसेरे को तोड़ दिया गया है. अस्पताल के न्यू बिल्डिंग के नीचे एक कमरे का रैन बसेरा बना दिया गया. उस कमरे की हालत बदतर बनी हुई है. अस्पताल में आ रहे तीमारदार खुले में सोने को मजबूर हैं तो वहीं टूटे हुए रैन बसेरे की जगह पर स्मार्ट सिटी के तहत नए रैन बसेरे बनाने की व्यवस्था शुरू की गई, लेकिन 6 से 8 महीने गुजर जाने के बाद भी इस रैन बसेरे की न्यू तक नहीं रखी जा सकी है.

लखनऊ: राजधानी लखनऊ के अस्पतालों में पिछले दिनों केजीएमयू, बलरामपुर अस्पताल में गरीब मरीजों के साथ आने वाले तीमारदारों के लिए रहने के लिए समुचित व्यवस्था की गई थी. इसके लिए यहां पर केजीएमयू व बलरामपुर में रैन बसेरे का निर्माण कराया गया था, जिससे मरीजों के साथ आने वाले तीमारदारों को दिक्कतों का सामना न करना पड़े, लेकिन यह रैन बसेरा अभी भी कार्यप्रगति के दौर से ही नहीं निकल पाया है.

अस्पतालों में रैन बसेरे की व्यवस्थाएं ध्वस्त.

यूं तो तमाम सेवाओं का दावे और वादे किए जाते हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग अभी भी सुधरने का नाम नहीं ले रहा. केजीएमयू में पिछले दिनों तत्कालीन गृहमंत्री व वर्तमान में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के द्वारा मरीजों के साथ आने वाले तीमारदारों को बेहतर सेवाएं देने के लिए एक बेहतर कदम उठाए गया था. जिसके तहत मरीजों के साथ आने वाले तीमारदारों को किसी भी तरह की कोई दिक्कत का सामना न करना पड़े.

साल भर बाद भी नहीं शुरू हों पाया रैन बसेरा
ट्रॉमा सेंटर के बाहर बने पुराने रैन बसेरे के हालात तो बद से बदतर है. इस रात में रूह कपां देने वाली ठंड में मरीजों के साथ आने वाले तीमारदार किसी तरह खुद को बचाकर वहां पर समय बिता रहे हैं, लेकिन केजीएमयू प्रशासन इस पूरे मामले में अपनी आंखें मूंदे बैठा हुआ है. एक साल पहले राजनाथ सिंह द्वारा यहां पर नए रैन बसेरे का उद्घाटन तक कर दिया गया, लेकिन अभी तक यह नया रैन बसेरा मरीजों की साथ आने वाले तीमारदारों को नहीं मिल पा रहा है. जिसकी वजह से यहां पर आने वाले मरीजों के साथ तीमारदारों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

ये भी पढ़ें- शिवपाल यादव समेत चार विधायकों को बंगला आवंटित करना नियम के अनुरूप: हाईकोर्ट

बलरामपुर अस्पताल मे रैन बसेरा की कार्य गति धीमी
बलरामपुर अस्पताल में न्यू बिल्डिंग के सामने बने रैन बसेरे को तोड़ दिया गया है. अस्पताल के न्यू बिल्डिंग के नीचे एक कमरे का रैन बसेरा बना दिया गया. उस कमरे की हालत बदतर बनी हुई है. अस्पताल में आ रहे तीमारदार खुले में सोने को मजबूर हैं तो वहीं टूटे हुए रैन बसेरे की जगह पर स्मार्ट सिटी के तहत नए रैन बसेरे बनाने की व्यवस्था शुरू की गई, लेकिन 6 से 8 महीने गुजर जाने के बाद भी इस रैन बसेरे की न्यू तक नहीं रखी जा सकी है.

Intro:राजधानी लखनऊ के अस्पतालो में पिछले दिनों यहां पर केजीएमयू,बलरामपुर अस्पताल में गरीब मरीजों के साथ आने वाले तीमारदारों के लिए रहने के लिए समुचित व्यवस्था की गई थी। इसके लिए यहां पर केजीएमयू व बलरामपुर में रैन बसेरे का निर्माण कराया गया था। जिससे मरीजों के साथ आने वाले तीमारदारों को दिक्कतों का सामना ना करना पड़े। लेकिन यह रैन बसेरा अभी भी कार्यप्रगति के दौर से ही नहीं निकल पाया है।





Body:यूँ तो तमाम सेवाओं का दावे और वादे किए जाते हैं। लेकिन स्वास्थ्य विभाग अभी भी सुधरने का नाम नहीं ले रहा। दरअसल ऐसा इसलिए क्योंकि केजीएमयू में पिछले दिनों तत्कालीन गृहमंत्री व वर्तमान में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के द्वारा केजीएमयू में मरीजों के साथ आने वाले तीमारदारों को बेहतर सेवाएं देने के लिए एक बेहतर कदम उठाए गया था। जिसके तहत मरीजों के साथ आने वाले तीमारदारों को किसी भी तरह की कोई दिक्कत का सामना ना करना पड़े।

केजीएमयू मे साल भर बाद भी नहीं शुरू हों पाया रैन बसेरा

उसके लिए केजीएमयू के अंदर ही शताब्दी के पास रेन बसेरे का निर्माण कराया गया। उसका उद्घाटन भी करा दिया गया। लेकिन हालात जस के तस बने हुए।ऐसा इसलिए क्योंकि जब मौके पर पहुंचे तो ट्रामा सेंटर के बाहर बने पुराने रैन बसेरे के हालात तो बद से बदतर है। इस रात में रूह कपान देने वाली ठंड में मरीजों के साथ आने वाले तीमारदार किसी तरह ठंड से खुद को बचाकर वहां पर समय बिता रहे हैं । लेकिन केजीएमयू प्रशासन इस पूरे मामले में अपनी आंखें मूंदे बैठा हुआ है। जबकि लगभग 1साल पहले राजनाथ सिंह द्वारा यहां पर नए रैन बसेरे का उद्घाटन तक कर दिया गया। लेकिन अभी तक यह नया रैन बसेरा मरीजों की साथ आने वाले तीमारदारों को नहीं मिल पा रहा है। जिसकी वजह से यहां पर आने वाले मरीजों के साथ तीमारदारों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि केजीएमयू के प्रशासन से बातचीत में उन्होंने कहा है कि व्यवस्था को जल्द दुरुस्त कर लिया जाएगा और मरीजों के साथ आने वाले तीमारदारों की दिक्कतों को दूर किया जाएगा।


बलरामपुर अस्पताल मे रैन बसेरा की कार्य गति धीमी

बलरामपुर अस्पताल में न्यू बिल्डिंग के सामने बने रैन बसेरे को तोड़ दिया गया है। अस्पताल के न्यू बिल्डिंग के नीचे एक कमरे का रैन बसेरा बना दिया गया उस कमरे की हालत यह है कि संक्रमण को दावत दे रहा है अस्पताल में आ रहे तीमारदार मजबूरन खुले में सोने को मजबूर हैं।तो वही टूटे हुए रैन बसेरे की जगह पर स्मार्ट सिटी के तहत नए रैन बसेरे बनाने की व्यवस्था शुरू की गई लेकिन छह से 8 महीने गुजर जाने के बाद भी इस रैन बसेरे की न्यू तक नहीं रखी जा सकी है।ऐसे में ठंड आ चुकी है लेकिन तीमारदार खुले में रहने को मजबूर है।इस पर भी जब हमने बलरामपुर अस्पताल के प्रशासन से बातचीत करी तो उन्होंने लापरवाही का ठीकरा कार्यदाई संस्था पर फोड़ दिया।


बाइट- डॉ सुधीर सिंह, प्रवक्ता, केजीएमयू

बाइट- डॉ राजीव लोचन, निदेशक, बलरामपुर अस्पताल






Conclusion:एन्ड
शुभम पाण्डेय
7054605976
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