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लक्ष्मण टीला स्थित मंदिर-मस्जिद प्रकरण में अगली सुनवाई 6 दिसंबर को होगी - Laxman on banks of Gomti river

लक्ष्मण टीला स्थित मंदिर-मस्जिद प्रकरण में सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से दाखिल निगरानी पर 6 दिसंबर को सुनवाई होगी. वहीं, हिन्दू महासभा ने निगरानी खारिज करने की मांग की है.

न्यायालय
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Published : Nov 21, 2022, 10:23 PM IST

लखनऊ: राजधानी में गोमती नदी के किनारे लक्ष्मण टीला स्थित लॉर्ड शेष नागेश टीलेश्वर महादेव प्रकरण में निगरानी याचिका के साथ- साथ प्रार्थना पत्रों का निस्तारण करने का आदेश अपर जिला जज प्रफुल्ल कमल ने दिया है. निगरानी पर अगली सुनवाई 6 दिसंबर को होगी.

हिन्दू महासभा की ओर से शिशिर चतुर्वेदी द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र पर वकील शेखर निगम ने कहा था कि सुन्नी सेंट्रल बोर्ड ने अधिकृत निगरानीकर्ता को उनके पद से हटा दिया है. इसलिए निगरानी पोषणीय नहीं है, जबकि प्रार्थना पत्र के विरोध में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से वकील मुनव्वर सुल्तान ने कहा था कि निचली अदालत का आदेश त्रुटि पूर्ण है. लिहाजा निगरानी मंजूर कर निचली अदालत के आदेश को रद्द किया जाए. वहीं, राज्य सरकार की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता( दीवानी) रीतेश रस्तोगी द्वारा भी निगरानी का विरोध किया गया है.

वहीं, अदालत ने पक्षकारों को सुनने के बाद 21 नवंबर के लिए अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया था. हालांकि अदालत ने अपने सोमवार के आदेश में कहा है कि सभी प्रार्थना पत्रों का खंड-खंड में विचार कर निस्तारण किया जाना विधिक दृष्टि से न्यायोचित नहीं है. न्यायालय ने कहा है कि पक्षकारों की ओर से दिए गए समस्त प्रार्थना पत्रों का निस्तारण निगरानी के साथ साथ किया जाना न्याय संगत प्रतीत होता है. अदालत गुण दोष के आधार पर आगामी 6 दिसम्बर को निगरानी पर सुनवाई करेगी.

यह भी पढ़ें- लखनऊ में IPL के पांच से सात मैच कराने की तैयारी, खूब लगेंगे चौके छक्के

लखनऊ: राजधानी में गोमती नदी के किनारे लक्ष्मण टीला स्थित लॉर्ड शेष नागेश टीलेश्वर महादेव प्रकरण में निगरानी याचिका के साथ- साथ प्रार्थना पत्रों का निस्तारण करने का आदेश अपर जिला जज प्रफुल्ल कमल ने दिया है. निगरानी पर अगली सुनवाई 6 दिसंबर को होगी.

हिन्दू महासभा की ओर से शिशिर चतुर्वेदी द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र पर वकील शेखर निगम ने कहा था कि सुन्नी सेंट्रल बोर्ड ने अधिकृत निगरानीकर्ता को उनके पद से हटा दिया है. इसलिए निगरानी पोषणीय नहीं है, जबकि प्रार्थना पत्र के विरोध में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से वकील मुनव्वर सुल्तान ने कहा था कि निचली अदालत का आदेश त्रुटि पूर्ण है. लिहाजा निगरानी मंजूर कर निचली अदालत के आदेश को रद्द किया जाए. वहीं, राज्य सरकार की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता( दीवानी) रीतेश रस्तोगी द्वारा भी निगरानी का विरोध किया गया है.

वहीं, अदालत ने पक्षकारों को सुनने के बाद 21 नवंबर के लिए अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया था. हालांकि अदालत ने अपने सोमवार के आदेश में कहा है कि सभी प्रार्थना पत्रों का खंड-खंड में विचार कर निस्तारण किया जाना विधिक दृष्टि से न्यायोचित नहीं है. न्यायालय ने कहा है कि पक्षकारों की ओर से दिए गए समस्त प्रार्थना पत्रों का निस्तारण निगरानी के साथ साथ किया जाना न्याय संगत प्रतीत होता है. अदालत गुण दोष के आधार पर आगामी 6 दिसम्बर को निगरानी पर सुनवाई करेगी.

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