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किरायेदारों पर नहीं चलेगी मालिकों की मनमानी, लागू हुआ ऐसा कानून

मकान मालिक के साथ किरायेदार के हितों की रक्षा के लिए बनाए गये कानून को राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश नगरीय परिसर किरायेदारी विनियमन (द्वितीय) अध्यादेश-2021 के माध्यम से पूरे प्रदेश में लागू कर दिया है. ये कानून आज से पूरे प्रदेश में प्रभावी हो गया है.

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Published : Apr 19, 2021, 9:49 AM IST

Updated : Apr 19, 2021, 11:21 AM IST

किरायेदारी कानून लागू.
किरायेदारी कानून लागू.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने मकान मालिक और किरायेदारों के बीच के विवाद को समाप्त करने के उद्देश्य से बनाए गए किरायेदारी कानून को लागू कर दिया है. बता दें कि हाल में ही सरकार ने इस अध्यादेश के प्रारूप को कैबिनेट से मंजूरी दिलाई थी, जिसे मंजूरी के लिए राज्यपाल के भेजा गया था. राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद आवास विकास विभाग ने अब उत्तर प्रदेश नगरीय परिसर किरायेदार विनियमन (द्वितीय) अध्यादेश- 2021 के संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी है. ये कानून सोमवार 19 अप्रैल पूरे प्रदेश में प्रभावी हो गया है.


मकान मालिक और किरायेदार के बीच होगा अनुबंध
इस कानून के लागू होने के बाद से अब उत्तर प्रदेश में मकान मालिकों और किरायेदारों के बीच होने वाले विवाद समाप्त हो सकेंगे. मकान मालिक के साथ किरायेदार के क्या-क्या अधिकार हैं, ये इस कानून में सुरक्षित किए गए हैं. अब मकान मालिक बिना लिखित अनुबंध के अपना मकान किराए पर नहीं दे पाएंगे. 11 महीने की आवासीय किरायेदारी के मामलों में मकान मालिक को किरायेदार रखने की जानकारी किराया प्राधिकरण को देना अनिवार्य होगा.


अनुबंध बिना नहीं किराये पर नहीं दिए जाएंगे मकान या बिल्डिंग
ये कानून रेजिडेंशियल के साथ-साथ कमर्शियल बिल्डिंग में भी लागू होगा. अनुबंध के लिए भवन स्वामी, किरायेदार को अपने बारे में पूरी जानकारी और बिल्डिंग की स्थिति का ब्यौरा निर्धारित प्रोफार्मा पर किराया प्राधिकारी को देना होगा. इसमें दोनों लोगों की जिम्मेदारियों का भी उल्लेख किया जाएगा.

इसे भी पढ़ें-मकान मालिक-किरायेदार के बीच खत्म होंगे विवाद, सरकार ला रही है नया कानून

निर्धारित होगा कितना बढ़ेगा किराया
सामान्य तौर पर ज्यादातर मामलों में 11 महीने के लिए ही किरायेदारी का अनुबंध होता है. किराये का अनुबंध होने के बाद आवासीय मामले में पांच फीसद, जबकि गैर आवासीय मामले में 7 फीसद वार्षिक दर से ही किराया बढ़ाया जा सकेगा. आवासीय मामले में दो माह और अन्य मामलों में 6 माह के किराए के बराबर सिक्योरिटी धनराशि ली जा सकेगी. किरायेदारी अनुबंध की तिथि से दो माह में भवन स्वामी और किरायेदार को संयुक्त रूप से इसकी सूचना किराया प्राधिकारी को देनी होगी.


डिजिटल प्लेटफार्म पर देनी होगी सूचना
मकान मालिक द्वारा सूचना देने के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म की भी व्यवस्था इस नए कानून के अंतर्गत सुनिश्चित की गई है. हालांकि 12 महीने से कम अवधि के रेजिडेंशियल किरायेदारी के मामलों में किराया प्राधिकारी को सूचना देने की अनिवार्यता है.

किरायेदारी विवाद रेंट अथॉरिटी में होंगे निस्तारित
किरायेदारी से संबंधित होने वाले विवादों को निस्तारित करने के लिए रेंट अथॉरिटी एवं रेंट ट्रिब्यूनल की व्यवस्था भी इस नए कानून के अंतर्गत बनाई गई है. एडीएम स्तर के अधिकारी किराया प्राधिकारी होंगे. वहीं जिला न्यायाधीश खुद या अपर जिला न्यायाधीश किराया अभिकरण की अध्यक्षता करेंगे. विवाद से जुड़े मामले अधिकतम 60 दिनों में निस्तारित करने की समय सीमा भी कानून में निर्धारित की गई है.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने मकान मालिक और किरायेदारों के बीच के विवाद को समाप्त करने के उद्देश्य से बनाए गए किरायेदारी कानून को लागू कर दिया है. बता दें कि हाल में ही सरकार ने इस अध्यादेश के प्रारूप को कैबिनेट से मंजूरी दिलाई थी, जिसे मंजूरी के लिए राज्यपाल के भेजा गया था. राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद आवास विकास विभाग ने अब उत्तर प्रदेश नगरीय परिसर किरायेदार विनियमन (द्वितीय) अध्यादेश- 2021 के संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी है. ये कानून सोमवार 19 अप्रैल पूरे प्रदेश में प्रभावी हो गया है.


मकान मालिक और किरायेदार के बीच होगा अनुबंध
इस कानून के लागू होने के बाद से अब उत्तर प्रदेश में मकान मालिकों और किरायेदारों के बीच होने वाले विवाद समाप्त हो सकेंगे. मकान मालिक के साथ किरायेदार के क्या-क्या अधिकार हैं, ये इस कानून में सुरक्षित किए गए हैं. अब मकान मालिक बिना लिखित अनुबंध के अपना मकान किराए पर नहीं दे पाएंगे. 11 महीने की आवासीय किरायेदारी के मामलों में मकान मालिक को किरायेदार रखने की जानकारी किराया प्राधिकरण को देना अनिवार्य होगा.


अनुबंध बिना नहीं किराये पर नहीं दिए जाएंगे मकान या बिल्डिंग
ये कानून रेजिडेंशियल के साथ-साथ कमर्शियल बिल्डिंग में भी लागू होगा. अनुबंध के लिए भवन स्वामी, किरायेदार को अपने बारे में पूरी जानकारी और बिल्डिंग की स्थिति का ब्यौरा निर्धारित प्रोफार्मा पर किराया प्राधिकारी को देना होगा. इसमें दोनों लोगों की जिम्मेदारियों का भी उल्लेख किया जाएगा.

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निर्धारित होगा कितना बढ़ेगा किराया
सामान्य तौर पर ज्यादातर मामलों में 11 महीने के लिए ही किरायेदारी का अनुबंध होता है. किराये का अनुबंध होने के बाद आवासीय मामले में पांच फीसद, जबकि गैर आवासीय मामले में 7 फीसद वार्षिक दर से ही किराया बढ़ाया जा सकेगा. आवासीय मामले में दो माह और अन्य मामलों में 6 माह के किराए के बराबर सिक्योरिटी धनराशि ली जा सकेगी. किरायेदारी अनुबंध की तिथि से दो माह में भवन स्वामी और किरायेदार को संयुक्त रूप से इसकी सूचना किराया प्राधिकारी को देनी होगी.


डिजिटल प्लेटफार्म पर देनी होगी सूचना
मकान मालिक द्वारा सूचना देने के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म की भी व्यवस्था इस नए कानून के अंतर्गत सुनिश्चित की गई है. हालांकि 12 महीने से कम अवधि के रेजिडेंशियल किरायेदारी के मामलों में किराया प्राधिकारी को सूचना देने की अनिवार्यता है.

किरायेदारी विवाद रेंट अथॉरिटी में होंगे निस्तारित
किरायेदारी से संबंधित होने वाले विवादों को निस्तारित करने के लिए रेंट अथॉरिटी एवं रेंट ट्रिब्यूनल की व्यवस्था भी इस नए कानून के अंतर्गत बनाई गई है. एडीएम स्तर के अधिकारी किराया प्राधिकारी होंगे. वहीं जिला न्यायाधीश खुद या अपर जिला न्यायाधीश किराया अभिकरण की अध्यक्षता करेंगे. विवाद से जुड़े मामले अधिकतम 60 दिनों में निस्तारित करने की समय सीमा भी कानून में निर्धारित की गई है.

Last Updated : Apr 19, 2021, 11:21 AM IST
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