लखनऊ : शहर में नई तकनीक से हृदय रोग का इलाज शुरू हो गया है. इससे आर्टरी (धमनी) ब्लॉकेज के कई मरीजों को बाईपास सर्जरी से छुटकारा मिलेगा. तीन संस्थानों में छह मरीजों का अब तक नई विधि से इलाज हुआ.
लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के कार्डियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. भुवन चंद्र तिवारी के मुताबिक इंट्रावैस्कुलर लिथोट्रिप्सी (आईवीएल) तकनीक से आर्टरी ब्लॉकेज खोलना आसान हो गया है. बताया कि अभी तक जिन हृदय रोगियों की धमनियों में कैल्शियम अधिक जमा हो जाता था, उसके कठोर होने से सामान्य बैलूनिंग प्रक्रिया से स्टेंट डालना मुमकिन नहीं था. ऐसे करीब आठ से दस फीसद मरीजों को बाईपास सर्जरी के लिए रेफर किया जाता था. इसमें सर्जरी के खर्च के साथ-साथ तमाम रिस्क भी होते थे. वहीं, अब आईवीएल तकनीक से कैल्शियम को धमनी से हटाकर इसमें स्टेंट डाल दिया जाता है. ऐसे में नस की रुकावट दूर हो जाती है. इन मरीजों को सर्जरी से छुटकारा मिल जाता है.
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अल्ट्रासोनिक वेव से जमे कैल्शियम पर प्रहार
डॉ. भुवनचंद्र के मुताबिक संस्थान में अभी दो मरीजों का इलाज आईवीएल तकनीक से किया गया है. इसमें मरीज को पहले कैथ लैब में शिफ्ट करते हैं. उसकी नस में हल्का चीरा लगाकर वायर डाला जाता है. इसके बाद आईवीएल कैथेटर डाला जाता है. इसमें अल्ट्रासोनिक वेव की 120 साइकल होती हैं. इन वेव से धमनी में जमे कैल्शियम पर प्रहार किया जाता है. कैल्शियम की जमा परत हटते ही बैलूनिंग कर नस को फुला देते हैं. इसी दरम्यान स्टेंट सेट कर दिया जाता है. यह प्रक्रिया होने के बाद मरीज के हृदय में रक्त आपूर्ति सही तरीके से होने लगती है.
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केजीएमयू में दो मरीजों का इलाज
केजीएमयू के लारी कार्डियोलॉजी में भी आईवीएल तकनीक से इलाज होने लगा है. यहां डॉ. गौरव चौधरी, डॉ. अक्षय प्रधान ने नई तकनीक से इलाज किया. डॉ. गौरव चौधरी के मुताबिक अब तक दो मरीजों का सफल इलाज आईवीएल तकनीक से किया गया. वहीं, पीजीआई में भी इस तकनीक से हृदय रोगियों को राहत मिली. यह मरीजों के लिए काफी सुरक्षित भी है.