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राजधानी लखनऊ में एक लाख से अधिक बच्चों ने छोड़ दी पढ़ाई - कोरोना काल में स्कूल

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक लाख से अधिक बच्चों ने कोरोना काल में पढ़ाई छोड़ दी. इनमें सरकारी स्कूलों के साथ-साथ प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे भी शामिल हैं.

students left school in corona period
लखनऊ में एक लाख से अधिक बच्चों ने छोड़ दी पढ़ाई.
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Published : Jan 21, 2021, 10:28 PM IST

लखनऊ : कोरोना काल में बच्चों ने स्कूलों से दूरी बना ली है. राजधानी में ऐसे करीब एक लाख बच्चे हैं, जिनकी पढ़ाई अभिभावकों ने बीच सत्र में ही छुड़वा दी है. इन स्टूडेंट्स में सरकारी स्कूलों के साथ प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे भी शामिल हैं. इन बच्चों में किसी के पैरेंट्स ने ऑनलाइन को सही न मानकर पढ़ाई छुड़वाई है तो कई लोगों ने कोरोना के चलते परिवारिक स्थिति बिगड़ने से बच्चों की फीस जमा न कर पाना कारण बताया है.

राजधानी के अनएडेड स्कूल एसोसिएशन के प्रेसीडेंट अनिल अग्रवाल ने बताया कि कोरोना काल में स्कूल छोड़ने वाले स्टूडेंट्स में सर्वाधिक संख्या खासतौर पर नर्सरी से पांचवीं क्लास के बच्चों की है. इन कक्षाओं के बच्चे एक-एक करके ऑनलाइन पढ़ाई से गायब होते गए हैं. उन्होंने बताया कि इन कक्षाओं में मात्र 60 से 70 प्रतिशत बच्चे ही ऑनलाइन क्लास कर रहे हैं. इनमें से कई स्टूडेंट्स के अभिभावकों ने इसलिए भी बच्चों की पढ़ाई छुड़वा दी क्योंकि उनके भाई या बहन बड़ी क्लास में पढ़ाई कर रहे हैं. इस स्थिति में पैरेंट्स सोचते हैं कि एक बच्चे को ठीक से पढ़ाओ और दूसरे को छोड़ दो. वहीं फीस को लेकर आ रही दिक्कतों के कारण भी बच्चों के नाम स्कूल से कटवाए गए हैं.

यूपी बोर्ड में कम हो गए रजिस्ट्रेशन
कोरोना काल में बोर्ड परीक्षा के लिए होने वाले रजिस्ट्रेशन की संख्या में भी गिरावट आई है. यूपी बोर्ड में 9वीं में बीते साल 50 हजार 102 स्टूडेंट्स ने रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन इस बार 46 हजार के आसपास ही बच्चों की संख्या रह गई है. वहीं 11वीं में पिछले साल करीब 52 हजार स्टूडेंट्स ने रजिस्ट्रेशन कराया था, जो अब 45 हजार के आसपास है. इसी तरह सीबीएसई बोर्ड के नौंवी और 11वीं के रजिस्ट्रेशन में भी 20 फीसदी तक की कमी दर्ज की गई है.

अगले सेशन में ही पढ़ाई कराने की कर रहे बात
बता दें कि अचानक बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई से गायब होने लगे तो स्कूलों की ओर से अभिभावकों से कॉन्टेक्ट किया गया, ताकि बच्चे ऑनलाइन क्लास में शामिल होकर फाइनल एग्जाम की तैयारी कर सकें, लेकिन इसके बाद भी पेरेंट्स अपने बच्चे को अगले सेशन में ही पढ़ाई कराने की बात कर रहे हैं. कुछ पैरेंट्स ने ये भी बोला कि अभी छोटे बच्चे हैं. अगर ये मोबाइल पर क्लास करेंगे तो इनकी आंखें खराब हो जाएंगी.

अभिभावकों ने बताया यह कारण
गोमती नगर इलाके के रहने वाले एक अभिभावक ने बताया कि उनके तीन बच्चे शहर के फेमस स्कूल में नर्सरी, 1 और 2 में पढ़ते हैं. ऑनलाइन पढ़ाई के लिए तीन मोबाइल लेना मेरे बस की बात नहीं थी. इसलिए मैंने इस साल बच्चों को घर पर पढ़ाने का निर्णय किया. वहीं अर्जुनगंज के रहने वाले एक पैरेंट्स का कहना है कि कोरोना काल में नौकरी छूट गई और ऑनलाइन क्लास के दौरान बच्चे के सिर में अक्सर दर्द होता रहता था. इसलिए बच्चे की पढ़ाई छुड़वा दी कि कहीं आंख न खराब हो जाए.

एक लाख से अधिक बच्चों ने छोड़ दी पढ़ाई
अनएडेड प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने बताया कि हम लोगों ने सभी प्राइवेट स्कूलों से स्टूडेंट्स का रिकाॅर्ड लिया है, जिसमें पता चला कि सत्र 2020-21 में करीब एक लाख से अधिक स्टूडेंट्स ने एक भी दिन क्लास नहीं की. छोटी क्लासेस के स्टूडेंट्स के लिए चल रही ऑनलाइन क्लासेस में 30 प्रतिशत से अधिक स्टूडेंट्स स्कूल छोड़ चुके हैं.

लखनऊ : कोरोना काल में बच्चों ने स्कूलों से दूरी बना ली है. राजधानी में ऐसे करीब एक लाख बच्चे हैं, जिनकी पढ़ाई अभिभावकों ने बीच सत्र में ही छुड़वा दी है. इन स्टूडेंट्स में सरकारी स्कूलों के साथ प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे भी शामिल हैं. इन बच्चों में किसी के पैरेंट्स ने ऑनलाइन को सही न मानकर पढ़ाई छुड़वाई है तो कई लोगों ने कोरोना के चलते परिवारिक स्थिति बिगड़ने से बच्चों की फीस जमा न कर पाना कारण बताया है.

राजधानी के अनएडेड स्कूल एसोसिएशन के प्रेसीडेंट अनिल अग्रवाल ने बताया कि कोरोना काल में स्कूल छोड़ने वाले स्टूडेंट्स में सर्वाधिक संख्या खासतौर पर नर्सरी से पांचवीं क्लास के बच्चों की है. इन कक्षाओं के बच्चे एक-एक करके ऑनलाइन पढ़ाई से गायब होते गए हैं. उन्होंने बताया कि इन कक्षाओं में मात्र 60 से 70 प्रतिशत बच्चे ही ऑनलाइन क्लास कर रहे हैं. इनमें से कई स्टूडेंट्स के अभिभावकों ने इसलिए भी बच्चों की पढ़ाई छुड़वा दी क्योंकि उनके भाई या बहन बड़ी क्लास में पढ़ाई कर रहे हैं. इस स्थिति में पैरेंट्स सोचते हैं कि एक बच्चे को ठीक से पढ़ाओ और दूसरे को छोड़ दो. वहीं फीस को लेकर आ रही दिक्कतों के कारण भी बच्चों के नाम स्कूल से कटवाए गए हैं.

यूपी बोर्ड में कम हो गए रजिस्ट्रेशन
कोरोना काल में बोर्ड परीक्षा के लिए होने वाले रजिस्ट्रेशन की संख्या में भी गिरावट आई है. यूपी बोर्ड में 9वीं में बीते साल 50 हजार 102 स्टूडेंट्स ने रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन इस बार 46 हजार के आसपास ही बच्चों की संख्या रह गई है. वहीं 11वीं में पिछले साल करीब 52 हजार स्टूडेंट्स ने रजिस्ट्रेशन कराया था, जो अब 45 हजार के आसपास है. इसी तरह सीबीएसई बोर्ड के नौंवी और 11वीं के रजिस्ट्रेशन में भी 20 फीसदी तक की कमी दर्ज की गई है.

अगले सेशन में ही पढ़ाई कराने की कर रहे बात
बता दें कि अचानक बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई से गायब होने लगे तो स्कूलों की ओर से अभिभावकों से कॉन्टेक्ट किया गया, ताकि बच्चे ऑनलाइन क्लास में शामिल होकर फाइनल एग्जाम की तैयारी कर सकें, लेकिन इसके बाद भी पेरेंट्स अपने बच्चे को अगले सेशन में ही पढ़ाई कराने की बात कर रहे हैं. कुछ पैरेंट्स ने ये भी बोला कि अभी छोटे बच्चे हैं. अगर ये मोबाइल पर क्लास करेंगे तो इनकी आंखें खराब हो जाएंगी.

अभिभावकों ने बताया यह कारण
गोमती नगर इलाके के रहने वाले एक अभिभावक ने बताया कि उनके तीन बच्चे शहर के फेमस स्कूल में नर्सरी, 1 और 2 में पढ़ते हैं. ऑनलाइन पढ़ाई के लिए तीन मोबाइल लेना मेरे बस की बात नहीं थी. इसलिए मैंने इस साल बच्चों को घर पर पढ़ाने का निर्णय किया. वहीं अर्जुनगंज के रहने वाले एक पैरेंट्स का कहना है कि कोरोना काल में नौकरी छूट गई और ऑनलाइन क्लास के दौरान बच्चे के सिर में अक्सर दर्द होता रहता था. इसलिए बच्चे की पढ़ाई छुड़वा दी कि कहीं आंख न खराब हो जाए.

एक लाख से अधिक बच्चों ने छोड़ दी पढ़ाई
अनएडेड प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने बताया कि हम लोगों ने सभी प्राइवेट स्कूलों से स्टूडेंट्स का रिकाॅर्ड लिया है, जिसमें पता चला कि सत्र 2020-21 में करीब एक लाख से अधिक स्टूडेंट्स ने एक भी दिन क्लास नहीं की. छोटी क्लासेस के स्टूडेंट्स के लिए चल रही ऑनलाइन क्लासेस में 30 प्रतिशत से अधिक स्टूडेंट्स स्कूल छोड़ चुके हैं.

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