लखनऊ: नेशनल डिजास्टर रिलीफ फोर्स यानी एनडीआरएफ की ऐसी सोच है, जो कि आपदा के वक्त मोर्चे को संभालती है और जन हानि व माल हानि के नुकसान को भी कम करती है. वही जब स्थितियां सामान्य होती है तो आम जनता से लेकर पुलिस टीम व अन्य विभागों के साथ मॉक एक्सरसाइज के जरिए उन्हें ट्रेनिंग भी देती है. कोई प्राकृतिक आपदा हो या एक्सीडेंट या फिर मानव जनित आपदा, उस समय को सामान्य करने के लिए पीली ड्रेस पहने कुछ जवान पहुंचते हैं जो एनडीआरएफ के होते हैं.
एनडीआरएफ के जवानों को किस तरह दी जाती है ट्रेनिंग?
एनडीआरएफ के जवानों को किस तरह से और क्या-क्या ट्रेनिंग दी जाती है साथ ही साथ आपदा का समय न हो तो वह क्या करते हैं इन सभी विषयों पर ईटीवी भारत से लखनऊ के एनडीआरएफ डिप्टी कमांडेंट नीरज ने की खास बातचीत. डिप्टी कमांडेंट नीरज ने बताया कि एनडीआरएफ के जवानों को रेस्क्यू की ट्रेनिंग के साथ-साथ फर्स्ट एड के लिए मेडिकल ट्रेनिंग भी दी जाती है. उत्तर प्रदेश में एनडीआरएफ का मुख्यालय वाराणसी में स्थित है. साथ ही साथ जिलों में ओरिजिनल रिस्पॉन्ड सेंटर भी बनाए गए हैं. प्रदेश के किसी भी कोने से जब आपदा की सूचना आती है, तो 5 से 10 मिनट के अंदर एनडीआरएफ के जवान अपने गंतव्य और अग्रसर होते हैं.
खाली समय में स्कूल, कॉलेजों को देते हैं ट्रेनिंग
डिप्टी कमांडेंट ने बताया कि आपदा के समय तो हम तत्पर रहते ही हैं, लेकिन जब सामान्य स्थितियां होती हैं तो हम स्कूल, कॉलेजों, पुलिस विभाग, रेलवे तथा अन्य विभागों के साथ-साथ गांवों और कस्बों में जाकर लोगों को भी ट्रेनिंग देते हैं. जिससे आपदा के समय में फर्स्ट रिस्पांडर के तौर पर लोग एक दूसरे की सही तरीके से मदद कर सके और होने वाली जनहानि को पहले से ही कंट्रोल किया जा सके.
विपरीत परिस्थितियों में देवदूत बनकर मदद के लिए पहुंचने वाले एनडीआरएफ के जवान अपनी जान की परवाह किए बगैर लोगों की सहायता में जुटे रहते हैं. महामारी हो या प्राकृतिक तथा मानव जनित आपदा हर प्रकार से एनडीआरएफ के जवान सदैव तत्पर रहते हैं.