लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने आर्थिक रूप से दुर्बल लोगों को प्रलोभन और धोखा देकर हजारों गैर मुस्लिमों का अवैध धर्मांतरण कराने के मामले में आरोपी मौलाना कलीम सिद्दीकी को जमानत दे दी है. इसके साथ ही न्यायालय ने यह भी आदेश दिया है कि मौलाना कलीम सिद्दीकी को अपने स्थानीय पुलिस थाने पर अपनी जानकारी प्रत्येक माह के पहले सप्ताह में देनी होगी. इसी के साथ न्यायालय ने मामले के ट्रायल के अलावा उत्तर प्रदेश में आने पर भी रोक लगा दी है.
यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ ने मौलाना कलीम सिद्दीकी की अपील पर सुनवाई करते हुए पारित किया. याची की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता आईबी सिंह ने न्यायालय को बताया कि इसी मामले के 2 सह अभियुक्तों की जमानत याचिका उच्चतम न्यायालय ने मंजूर कर लिया है. उन्होंने कहा कि याची को मामले में झूठा फंसाया गया है.
सरकार की ओर से उपस्थित अधिवक्ता ने इसका विरोध करते हुए न्यायालय को बताया कि अभियुक्त पर देशव्यापी अवैध धर्मांतरण कराने का गिरोह संचालित करने का आरोप है. इस गिरोह के द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर, दिव्यांगजन व औरतों को बहला-फुसलाकर, डराकर, बलपूर्वक और नाजायज दबाव डाल कर धर्मांतरण किया जा रहा था. न्यायालय ने दोनों पक्षो को सुनने के पश्चात अपने आदेश में कहा कि अभियोजन द्वारा गवाहों की एक लंबी सूची बनाई गयी है. जिसमें ट्रायल कोर्ट को मामले को निस्तारित करने में अधिक समय लगेगा.लिहाजा अभियुक्त को जमानत पर रिहा किया जाता है. इसके साथ ही यह भी आदेश दिया जाता है कि अभियुक्त को अपने स्थानीय पुलिस थाने पर अपनी जानकारी प्रत्येक माह के पहले सप्ताह में देनी रहेगी.
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