लखनऊ: आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधरता जा रहा है. जिसमें प्रदेश ने जोरदार छलांग लगाई है. इसी क्रम में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के 5 साल का आंकड़ा बुधवार को जारी हुआ. एनएफएचएस सर्वेक्षण हर 5 वर्ष बाद किया जाता है. इसके पहले वर्ष 2015-16 में सर्वे हुआ था.
परिवार नियोजन के प्रति बढ़ी लोगों की जागरूकता
सर्वेक्षण 2020-21 के आंकड़ों के अनुसार परिवार नियोजन के प्रति लोगों के बीच जागरूकता बढ़ी है. इसके चलते दंपति के बीच परिवार नियोजन के साधनों की उपयोगिता 45.5% से 62.4 % बढ़ गई है. वहीं प्रदेश में कुल प्रजनन दर 2.7 भी 2.4 आ गई है. मातृत्व स्वास्थ को लेकर लोग पहले से ज्यादा सतर्क हुए हैं. संस्थागत प्रसव 67.8 प्रतिशत से 83.4 प्रतिशत पहुंच गया है. 4 प्रसव पूर्व जांचें 26.4 प्रतिशत से अब 42.4 प्रतिशत होने लगी है.
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51.1 प्रतिशत से 69.6 प्रतिशत हुआ टीकाकरण का ग्राफ
वहीं बाल स्वास्थ्य में भी प्रदेश ने धमाल दिखा दिया है. छह माह की उम्र के बच्चों का स्तनपान 41.6 प्रतिशत बढ़कर 59.7 प्रतिशत हो गया है. वहीं दस्त के मरीज के मामले या संक्रमण दर 15 प्रतिशत से घटकर 5.6 प्रतिशत हुई है. ऐसा परिवर्तन यूपी में इज्जत घर निर्माण से हुआ है. यूपी में कोरोना काल में स्वास्थ्य योजनाओं को घर-घर पहुंचाने के विभिन्न जतन किए जा रहे हैं. इसका परिणाम कुल टीकाकरण का ग्राफ 51.1 प्रतिशत से 69.6 प्रतिशत हुआ है.
अधिकारियों ने दी बधाई
डॉक्टर मनोज शुक्ल, महाप्रबंधक टीकाकरण, मातृ स्वास्थ ने बताया कि मातृ स्वास्थ्य में यूपी में काफी अच्छा काम हुआ है. इसके लिए समस्त स्वास्थ्य टीम को शुभकामनाएं देता हूं. यूपी में टीकाकरण के प्रति जागरूकता बढ़ी है. वहीं टीकाकरण के कार्य में लगे सभी सदस्यों को बधाई देता हूं. एक बेहतर टीम के बदौलत ही यूपी में टीकाकरण का ग्राफ बढ़ा है. डॉक्टर वेद प्रकाश, महाप्रबंधक आरबीएसके व आरकेएसके ने बताया कि बाल स्वास्थ्य के लिए प्रदेशवासी पहले से ज्यादा संजीदा हुए हैं.
उन्होंने बताया कि नवजात की देखभाल के प्रति लोगों में पहले भ्रांतियां और संदेह व्याप्त रहता था. ऐसे में योजनाओं को व्यवहारिक रूप से लागू करने में दिक्कत आती थी लेकिन अब इसमें गिरावट आई है. बाल स्वास्थ्य से जुड़े समस्त अधिकारी, कर्मचारी और स्वास्थ्य कार्यकर्ता दोबारा बधाई के पात्र हैं.
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