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नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ने खोली महिलाओं पर UP के कानून व्यवस्था की पोल! - लखनऊ की ख़बर

यूपी में बेटियां सुरक्षित नहीं है. आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े सूबे में महिलाओं से संबंधित अपराध की घटनाएं बढ़ी हैं. छेड़खानी की घटनाओं में भी इजाफा हुआ है. ये हम नहीं, बल्कि यूपी पुलिस के आंकड़े कह रहे हैं. हालांकि यूपी पुलिस का इसके पीछे तर्क है कि पुलिस के आश्वासन पर महिलाएं आगे आ रही हैं. जिसकी वजह से मुकदमे ज्यादा दर्ज हो रहे हैं.

आंकड़े बयां कर रहे हकीकत!
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Published : May 21, 2021, 7:28 AM IST

लखनऊः यूपी में अपराधियों के खिलाफ सख्त और महिलाओं की सुरक्षा के लिए अपने को प्रतिबद्ध बताते वाली योगी सरकार के दावे की पोल उस वक्त खुल गई. जब खुद नेशनल क्राइम रिकॉर्ड के आंकड़े सामने आए. बात साल 2018 की करें, तो यूपी में महिलाओं से संबंधित अपराध के 59,445 मामले, साल 2019 में 59,853 मामले और साल 2020 में जनवरी से मार्च तक 11,552 मामले दर्ज कराए गए. वहीं 1090 को साल 2018 में 2 लाख 66 हजार 5 शिकायतें मिलीं. साल 2019 में 1090 को 2 लाख 79 हजार 157 शिकायतें मिलीं. साल 2019 में सामने आए कुल मामलों में 1 लाख 97 हजार 750 मामले फोन और सोशल मीडिया पर छेड़खानी के थे. साल 2020 में 1090 पर शिकायत का ये आंकड़ा करीब 2.15 लाख पहुंच गया.

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ने खोली UP के कानून व्यवस्था की पोल

पुलिस के रिकॉर्ड में दर्ज मामले

वहीं यूपी पुलिस के मुताबिक साल 2020 में छेड़खानी के 2,441 मामले सामने आए. साल 2019 में छेड़खानी के 1857, साल 2018 में छेड़खानी के 1,328, साल 2017 में 993 और साल 2016 में छेडखानी के 609 मामले दर्ज किए गए थे. यानी साल 2016 और 2020 के बीच छेड़खानी की घटनाओं में 300.82 फीसदी इजाफा हुआ है. साल 2019 और 2020 के बीच छेड़खानी की घटनाओं में 31.45 फीसदी इजाफा हुआ. जबकि एक जनवरी 2021 तक सिर्फ 4 महीने में महिला अपराधों में 21.56 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. वहीं साल 2019 में छेड़खानी के 225 मामले, 2020 में 413 और 2021 में बढ़कर 1090 घटनाएं हुई हैं, जो तीन साल के तुलनात्मक 163.92 फीसदी ज्यादा है.

चौंकाने वाले हैं एंटी रोमियो स्क्वायड की कार्रवाई

यूपी में एंटी रोमियो स्क्वायड ने लखनऊ और गौतम बुद्ध नगर कमिश्नरेट सहित 10 जोनों में की गई कार्रवाई चौंकाने वाली है. एंटी रोमियो स्क्वायड ने विद्यालयों, स्कूलों, सार्वजनिक स्थलों, चौराहों, मार्केट, मॉल, पार्क समेत 16,72,547 स्थानों पर 38,37,040 लोगों को चेक किया गया. जिसमें 15,88,992 लोगों को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया. जबकि 5074 मुकदमे पंजीकृत किए गए और 6,642 आरोपियों को जेल भेजा गया.

आंकड़े चाहे यूपी पुलिस के हों या फिर वुमेन पॉवर लाइन के सभी में छेड़खानी की घटनाओं में इजाफा ही हुआ है. लेकिन अफसर कहते हैं कि ये इजाफा जागरुकता के चलते आया है. वूमेन पावर लाइन ने कई बार जागरुकता कार्यक्रम चलाया. मिशन शक्ति अभियान की शुरुआत की गई, जिसका नतीजा ये हुआ कि महिलाओं और लड़कियों ने निडर होकर शिकायतें दर्ज करानी शुरू कीं. राह चलते छेड़खानी की घटनाओं पर तो काफी हद तक लगाम लग गई. लेकिन वर्चुअल वर्ल्ड की अनदेखी दुनिया में हो रही छेड़खानी पर लगाम लगाना शुरुआत में टेढ़ी खीर साबित हुआ.

असरदार रहा AFR फॉर्मूला

सेफ सिटी प्रोजेक्ट के तहत चौराहे पर बाजार में पिंक बूथ लगाए जाने लगे और 1090 ने एफएफआर फॉर्मूला अपनाया. एफएफआर फॉर्मूला यानी फैमिली फ्रेंड रिलेटिव फॉर्मूला. दरअसल, 1090 ने तय किया कि सोशल मीडिया पर लड़कियों और महिलाओं को परेशान करने वाले लोगों को काबू करने के लिए एक स्पेशल टीम बनाई जाए, जिसके लिए एक डिप्टी एसपी रैंक के अधिकारी की निगरानी में 12 पुलिसकर्मियों की एक्सपर्ट टीम तैनात की गई, जो इस फॉर्मूले पर काम करने लगी. इस फार्मूले के तहत जिस नंबर से छेड़खानी की शिकायत होती या सोशल मीडिया के जिस प्रोफाइल से परेशान किया जा रहा उसको पुलिस की ओर से दो बार सुधरने की चेतावनी दी जाती है.

इसे भी पढ़ें- सीएम योगी की सोशल मीडिया टीम के कर्मी पार्थ ने की आत्महत्या, सुसाइड नोट भी छोड़ा

पुलिस टीम की ओर से बताया जाता कि शिकायत आई है, सुधर जाओ. दो दफे चेतावनी के बाद भी अगर सुधार नहीं होता तो पुलिस उस नंबर की कॉल डिटेल निकालकर सोशल मीडिया पर उसकी प्रोफाइल के दोस्त और रिश्तेदारों तक यह मैसेज करने लगती कि आपके करीबी के इस नंबर से छेड़खानी हो रही है. इस प्रोफाइल से लड़की को परेशान किया जा रहा है. बस यही बदनामी का डर सोशल मीडिया के उन मनचलों को काबू करने का सबसे बड़ा हथियार बन गया. उत्तर प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर काम कर रही वूमेन पावर लाइन की एडीजी नीरा रावत का कहना है कि तकनीक की मदद से मौजूदा वक्त में डिजिटल वर्ल्ड से हो रही छेड़खानी की घटना पर नकेल कसी जा रही है. फर्जी नाम पते से फेसबुक इंस्टाग्राम पर प्रोफाइल बनाने वालों की पहचान करने के लिए भी ऑफेंडर आईडेंटिटी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जा रहा है.

नहीं पड़ रही दूसरी काउंसलिंग की जरूरत

एडीजी नीरज रावत की माने तो पुलिस फेक प्रोफाइल से मैसेज भेजने वालों तक भी पहुंच रही है. पति-पत्नी के झगड़ों को काउंसलिंग के जरिये सुलझाया जा रहा है. शोहदों को सुधारने के लिए एफएफआर फॉर्मूला सबसे बड़ा हथियार बन रहा है. अमूमन पहली काउंसलिंग के बाद ही आरोपी लड़की को परेशान करना बंद कर देते हैं. यही वजह है कि 1090 को दूसरी काउंसलिंग करने की जरूरत कम पड़ने लगी है. एफएफआर फॉर्मूला अपनाने के बाद भी अगर कोई नहीं सुधरता तो ऐसे लोगों को फिर स्थानीय पुलिस की मदद से जेल भी भेजा जा रहा है. तकनीक की मदद से कोशिश की जा रही है कि महिलाओं और लड़कियों को सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक सुरक्षित होने का एहसास कराया जा सके.

इसे भी पढ़ें- चुनावी रंजिश में प्रधान को गोलियों से भूना, मौके पर ही मौत

महिलाओं की सुरक्षा के लिए शुरू की कई योजनाएं

महिलाओं से संबंधी मामलों की जानकार और वरिष्ठ पत्रकार रोली खन्ना के मुताबिक महिलाओं के अपराध रोकने में सोशल सर्विलांस सिस्टम काफी मजबूत है. निर्भया कांड के बाद योगी सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए लखनऊ पुलिस के साथ वूमन पॉवर लाइन 1090 और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को मजबूत और सक्रिय करने का काम किया है. प्रदेश भर में एंटी रोमियो स्क्वायड की तैनाती के साथ सादी वर्दी में जगह-जगह महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती, यूपी 112, पेट्रोलिंग, रात्रि सुरक्षा कवच योजना और महिला हेल्प डेस्क के साथ चौराहों पर पिंक बूथ बनाने पर जोर दिया है. अब हम कह सकते हैं कि महिलाओं को डरने की जरूरत नहीं है.

लखनऊः यूपी में अपराधियों के खिलाफ सख्त और महिलाओं की सुरक्षा के लिए अपने को प्रतिबद्ध बताते वाली योगी सरकार के दावे की पोल उस वक्त खुल गई. जब खुद नेशनल क्राइम रिकॉर्ड के आंकड़े सामने आए. बात साल 2018 की करें, तो यूपी में महिलाओं से संबंधित अपराध के 59,445 मामले, साल 2019 में 59,853 मामले और साल 2020 में जनवरी से मार्च तक 11,552 मामले दर्ज कराए गए. वहीं 1090 को साल 2018 में 2 लाख 66 हजार 5 शिकायतें मिलीं. साल 2019 में 1090 को 2 लाख 79 हजार 157 शिकायतें मिलीं. साल 2019 में सामने आए कुल मामलों में 1 लाख 97 हजार 750 मामले फोन और सोशल मीडिया पर छेड़खानी के थे. साल 2020 में 1090 पर शिकायत का ये आंकड़ा करीब 2.15 लाख पहुंच गया.

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ने खोली UP के कानून व्यवस्था की पोल

पुलिस के रिकॉर्ड में दर्ज मामले

वहीं यूपी पुलिस के मुताबिक साल 2020 में छेड़खानी के 2,441 मामले सामने आए. साल 2019 में छेड़खानी के 1857, साल 2018 में छेड़खानी के 1,328, साल 2017 में 993 और साल 2016 में छेडखानी के 609 मामले दर्ज किए गए थे. यानी साल 2016 और 2020 के बीच छेड़खानी की घटनाओं में 300.82 फीसदी इजाफा हुआ है. साल 2019 और 2020 के बीच छेड़खानी की घटनाओं में 31.45 फीसदी इजाफा हुआ. जबकि एक जनवरी 2021 तक सिर्फ 4 महीने में महिला अपराधों में 21.56 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. वहीं साल 2019 में छेड़खानी के 225 मामले, 2020 में 413 और 2021 में बढ़कर 1090 घटनाएं हुई हैं, जो तीन साल के तुलनात्मक 163.92 फीसदी ज्यादा है.

चौंकाने वाले हैं एंटी रोमियो स्क्वायड की कार्रवाई

यूपी में एंटी रोमियो स्क्वायड ने लखनऊ और गौतम बुद्ध नगर कमिश्नरेट सहित 10 जोनों में की गई कार्रवाई चौंकाने वाली है. एंटी रोमियो स्क्वायड ने विद्यालयों, स्कूलों, सार्वजनिक स्थलों, चौराहों, मार्केट, मॉल, पार्क समेत 16,72,547 स्थानों पर 38,37,040 लोगों को चेक किया गया. जिसमें 15,88,992 लोगों को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया. जबकि 5074 मुकदमे पंजीकृत किए गए और 6,642 आरोपियों को जेल भेजा गया.

आंकड़े चाहे यूपी पुलिस के हों या फिर वुमेन पॉवर लाइन के सभी में छेड़खानी की घटनाओं में इजाफा ही हुआ है. लेकिन अफसर कहते हैं कि ये इजाफा जागरुकता के चलते आया है. वूमेन पावर लाइन ने कई बार जागरुकता कार्यक्रम चलाया. मिशन शक्ति अभियान की शुरुआत की गई, जिसका नतीजा ये हुआ कि महिलाओं और लड़कियों ने निडर होकर शिकायतें दर्ज करानी शुरू कीं. राह चलते छेड़खानी की घटनाओं पर तो काफी हद तक लगाम लग गई. लेकिन वर्चुअल वर्ल्ड की अनदेखी दुनिया में हो रही छेड़खानी पर लगाम लगाना शुरुआत में टेढ़ी खीर साबित हुआ.

असरदार रहा AFR फॉर्मूला

सेफ सिटी प्रोजेक्ट के तहत चौराहे पर बाजार में पिंक बूथ लगाए जाने लगे और 1090 ने एफएफआर फॉर्मूला अपनाया. एफएफआर फॉर्मूला यानी फैमिली फ्रेंड रिलेटिव फॉर्मूला. दरअसल, 1090 ने तय किया कि सोशल मीडिया पर लड़कियों और महिलाओं को परेशान करने वाले लोगों को काबू करने के लिए एक स्पेशल टीम बनाई जाए, जिसके लिए एक डिप्टी एसपी रैंक के अधिकारी की निगरानी में 12 पुलिसकर्मियों की एक्सपर्ट टीम तैनात की गई, जो इस फॉर्मूले पर काम करने लगी. इस फार्मूले के तहत जिस नंबर से छेड़खानी की शिकायत होती या सोशल मीडिया के जिस प्रोफाइल से परेशान किया जा रहा उसको पुलिस की ओर से दो बार सुधरने की चेतावनी दी जाती है.

इसे भी पढ़ें- सीएम योगी की सोशल मीडिया टीम के कर्मी पार्थ ने की आत्महत्या, सुसाइड नोट भी छोड़ा

पुलिस टीम की ओर से बताया जाता कि शिकायत आई है, सुधर जाओ. दो दफे चेतावनी के बाद भी अगर सुधार नहीं होता तो पुलिस उस नंबर की कॉल डिटेल निकालकर सोशल मीडिया पर उसकी प्रोफाइल के दोस्त और रिश्तेदारों तक यह मैसेज करने लगती कि आपके करीबी के इस नंबर से छेड़खानी हो रही है. इस प्रोफाइल से लड़की को परेशान किया जा रहा है. बस यही बदनामी का डर सोशल मीडिया के उन मनचलों को काबू करने का सबसे बड़ा हथियार बन गया. उत्तर प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर काम कर रही वूमेन पावर लाइन की एडीजी नीरा रावत का कहना है कि तकनीक की मदद से मौजूदा वक्त में डिजिटल वर्ल्ड से हो रही छेड़खानी की घटना पर नकेल कसी जा रही है. फर्जी नाम पते से फेसबुक इंस्टाग्राम पर प्रोफाइल बनाने वालों की पहचान करने के लिए भी ऑफेंडर आईडेंटिटी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जा रहा है.

नहीं पड़ रही दूसरी काउंसलिंग की जरूरत

एडीजी नीरज रावत की माने तो पुलिस फेक प्रोफाइल से मैसेज भेजने वालों तक भी पहुंच रही है. पति-पत्नी के झगड़ों को काउंसलिंग के जरिये सुलझाया जा रहा है. शोहदों को सुधारने के लिए एफएफआर फॉर्मूला सबसे बड़ा हथियार बन रहा है. अमूमन पहली काउंसलिंग के बाद ही आरोपी लड़की को परेशान करना बंद कर देते हैं. यही वजह है कि 1090 को दूसरी काउंसलिंग करने की जरूरत कम पड़ने लगी है. एफएफआर फॉर्मूला अपनाने के बाद भी अगर कोई नहीं सुधरता तो ऐसे लोगों को फिर स्थानीय पुलिस की मदद से जेल भी भेजा जा रहा है. तकनीक की मदद से कोशिश की जा रही है कि महिलाओं और लड़कियों को सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक सुरक्षित होने का एहसास कराया जा सके.

इसे भी पढ़ें- चुनावी रंजिश में प्रधान को गोलियों से भूना, मौके पर ही मौत

महिलाओं की सुरक्षा के लिए शुरू की कई योजनाएं

महिलाओं से संबंधी मामलों की जानकार और वरिष्ठ पत्रकार रोली खन्ना के मुताबिक महिलाओं के अपराध रोकने में सोशल सर्विलांस सिस्टम काफी मजबूत है. निर्भया कांड के बाद योगी सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए लखनऊ पुलिस के साथ वूमन पॉवर लाइन 1090 और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को मजबूत और सक्रिय करने का काम किया है. प्रदेश भर में एंटी रोमियो स्क्वायड की तैनाती के साथ सादी वर्दी में जगह-जगह महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती, यूपी 112, पेट्रोलिंग, रात्रि सुरक्षा कवच योजना और महिला हेल्प डेस्क के साथ चौराहों पर पिंक बूथ बनाने पर जोर दिया है. अब हम कह सकते हैं कि महिलाओं को डरने की जरूरत नहीं है.

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