लखनऊ: बसपा (BSP) का दामन छोड़कर कांग्रेस से जुड़े पूर्व मंत्री नकुल दुबे (Nakul Dubey) और नसीमुद्दीन सिद्दीकी (nasimuddin siddiqui) को बड़ी जिम्मेदारी दिए जाने की तैयारी है. प्रदेश के ब्राह्मण वर्ग को अपनी ओर खींचने के लिए पार्टी नकुल दुबे को आगे करने की सोच रही है. पार्टी में अंदरखाने में चर्चा है कि जातीय समीकरण को साधने के लिए नकुल दुबे और नसीमुद्दीन सिद्दीकी को वर्किंग प्रेसिडेंट तक की जिम्मेदारी दी जा सकती है.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के नतीजों के बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने पद से इस्तीफा दे दिया था. तभी से यह पद लगातार खाली चल रहा है. अभी तक पार्टी की तरफ से नए अध्यक्ष के नाम पर मुहर नहीं लगाई गई है.
यह हो सकता है फार्मूला
पार्टी के सूत्रों की मानें तो जातीय समीकरणों को साधने के लिए आला कमान उत्तर प्रदेश में अलग फार्मूला लेकर आने की तैयारी में है. इसमें, एक प्रेसिडेंट और उनके साथ 4 वर्किंग प्रेसिडेंट बनाए जा सकते हैं. इन वर्किंग प्रेसिडेंट के रूप में नसीमुद्दीन सिद्दीकी और नकुल दुबे के नामों को लेकर अंदरखाने में काफी चर्चा चल रही है. नसीमुद्दीन सिद्दीकी वर्तमान में पार्टी के मीडिया एवं कम्युनिकेशन सेल के चेयरमैन हैं. वहीं, बसपा से निष्कासित किए जाने के बाद पूर्व मंत्री नकुल दुबे ने कांग्रेस का दामन थामा था.
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कौन है नसीमुद्दीन सिद्दीकी?
नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने वर्ष 2018 में कांग्रेस का दामन थामा था. इससे पहले करीब तीन दशक तक उन्होंने बहुजन समाज पार्टी और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की सेवा की. 1991 में वह बसपा के पहले मुस्लिम विधायक बने थे. बुंदेलखंड के बांदा जिले के छोटे से गांव से निकलकर उन्होंने विधानसभा तक का सफर तय किया. 2007 में बनी बसपा की सरकार में उन्हें मिनी मुख्यमंत्री कहा जाता था.
नकुल दुबे की प्रबुद्धजनों के बीच है गहरी पैठ
नकुल दुबे यूपी की सियासत में ब्राह्मण चेहरे के तौर पर जाने जाते हैं. इनके सहारे बसपा सुप्रीमो मायावती 2007 में ब्राह्मण-दलित गठजोड़ के चलते सत्ता में काबिज हुई थीं. पेशे से अधिवक्ता नकुल दुबे की उत्तर प्रदेश के प्रबुद्धजनों के बीच गहरी पैठ है. 2007 में बसपा सरकार की कैबिनेट में नकुल दुबे कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली थी.
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