लखनऊ : निकाय चुनाव होते ही लखनऊ नगर निगम ने अजीबोगरीब फरमान सुना दिया है. नगर आयुक्त ने नगर निगम सीमा में शामिल 88 गांवों से हाउस टैक्स की वसूली के आदेश इस तर्क पर दिए हैं कि अब पार्षद दे दिया अब हाउस टैक्स लिया जाए. सबसे बड़ी बात यह है कि यूपी कैबिनेट बैठक में इस संबंध में बड़ा फैसला किया जा चुका है. नियमों के विरुद्ध नगर निगम क्षेत्र में जुड़े 88 नए गांव से लखनऊ नगर निगम ने टैक्स मांगना शुरू कर दिया है. यहां के हजारों मकानों में रहने वाले लोगों को टैक्स के संबंध में नोटिस भेजे जा रहे हैं. जबकि इस संबंध में सीधा आदेश है कि जब तक नगर निगम क्षेत्र में गांव के आए पांच साल न हो तब तक टैक्स नहीं लिया जाएगा. इसके बावजूद नोटिस भेजे जाने से लोग नाराज हैं.
अपर मुख्य सचिव रजनीश दुबे ने 19 अगस्त 2021 के आदेश को आदेश दिए थे कि उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1959 की धारा 177 निम्नलिखित प्राविधानों के अनुसार विकास कार्य पूर्ण किए बगैर हाउस टैक्स न लिया जाए और उस समय नगर निगमों को सम्बंध में जारी नोटिस को वापस लेने के निर्देश दिए गए थे. आदेश में स्प्ष्ट था कि उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1959 की धारा 177 निम्नलिखित प्राविधानों के अनुपानल किया जाए और हाउस टैक्स तभी लिया जाए या तो क्षेत्र का प्राविधानों के अनुसार सम्पूर्ण विकास हो जाए. यह नगर निगम सीमा में शामिल हुए पांच वर्ष हो जाएं, लेकिन नगर निगम लखनऊ द्वारा लगातार सरकार के आदेश का उल्लंघन किया जा रहा है. लखनऊ के 88 गांव जो नगर निगम सीमा में शामिल है. उन क्षेत्रों में नोटिस पर नोटिस भेजा जा रहा है.
लखनऊ जनकल्याण महासमिति ने मामले में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कार्रवाई मांग की है. उमाशंकर दुबे ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में लिखा है कि मामले की जांच होनी चाहिए कि तत्कालीन अपर मुख्य सचिव रजनीश दुबे के द्वारा जारी 19 अगस्त 2021 के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1959 की धारा 177 निम्नलिखित प्राविधानों के विपरीत जाकर लखनऊ के नगर निगम सीमा में शामिल 88 गांवों से कितने की जबरन हाउस टैक्स की वसूली की गई है. कौन लोग इसके लिए जिमेदार हैं. जिन्होंने सरकार के आदेश का उल्लंघन करते हुए कानून तोड़ा है.
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