लखनऊ : राजधानी लखनऊ में तमाम बिल्डिंग सैकड़ों साल पुरानी हैं. इन तमाम इमारतों के गिरने का खतरा बना हुआ है. बारिश में जर्जर इमारतें कभी भी गिर सकती हैं और कोई भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है. वर्षों पुरानी जर्जर इमारतों के लिए रिमझिम बारिश बहुत ज्यादा खतरनाक होती है. घनी आबादी के बीच खड़े जर्जर भवन हादसों को न्योता दे रहे हैंं. सैकड़ों साल पुराने इन भवनों की मियाद भी पूरी हो चुकी है. वे खंडहर की शक्ल ले चुके हैं. भवनों के कई हिस्से आए दिन टूटकर गिरते रहते हैं. बावजूद उन पर न तो भवन स्वामी का ध्यान है और न ही नगर निगम प्रशासन की नजर पड़ रही है. पहले हुई कई घटनाओं के बावजूद जिम्मेदार अफसर बेपरवाह बने हुए हैं. बीते साल रिवर बैंक काॅलोनी में जर्जर इमारत के गिरने से भी नगर निगम ने सबक नहीं लिया है.
बहरहाल अब नगर निगम प्रशासन ऐसे भवनों को चिन्हित करते हुए गिराने की कार्रवाई करेगा. निगम प्रशासन की तरफ से पूरे शहर में पुराने भवनों को चिन्हित करने और उनके खिलाफ कार्रवाई को लेकर अभियंत्रण विभाग की तरफ से रिपोर्ट तैयार कराई जा रही है. नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह के निर्देश के बाद नगर निगम के अभियंत्रण विभाग और जोनल टीम की तरफ से राजधानी में करीब 100 साल और उसके आसपास की करीब 200 से अधिक इमारतों को चिन्हित करने का काम किया गया है. साथ ही चिन्हित भवनों के मालिकों को नोटिस जारी किए गए हैं. जिससे वह लोग समय रहते अपने भवन को गिरा सकें. नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि निर्धारित समय सीमा पूरी होने के बाद नगर निगम के प्रवर्तन दस्ते की तरफ से इन जर्जर इमारतों पर बुलडोजर चलाने की कार्रवाई की जाएगी.
राजधानी के पुराने इलाकों में रकाबगंज, अमीनाबाद, वजीरगंज, कैसरबाग, ऐशबाग, आलमबाग, हुसैनाबाद, दौलतगंज जैसी जगहों पर सैकड़ों साल पुरानी बिल्डिंग खस्ताहाल हो चुकी हैं. उनमें गिरने की आशंका हमेशा बनी रहती है. यहां कई जगहों पर दुकानें भी चलती हैं. अक्सर नगर निगम के अफसर लापरवाही के चलते सिर्फ नोटिस जारी करके इतिश्री कर लेते हैं. नगर निगम ने अमीनाबाद, मौलवीगंज, वजीरगंज, ऐशबाग, राजेंद्र नगर, यहियागंज, हुसैनाबाद आलमबाग, डालीबाग, कैसरबाग, सआदतगंज, चौक, लाल कुआं, दौलतगंज, अलीगंज सहित सभी क्षेत्रों के निरीक्षण के बाद शहर की 200 से अधिक जर्जर इमारतों को चिन्हित करके मकान मालिकों को नोटिस जारी किया है.
दरअसल, नगर निगम सर्वे कर जर्जर इमारतों की सूची तैयार करता है और उन्हें नोटिस जारी कर मकान खाली करने का समय देता है. यह सूची जिला प्रशासन को भी सौंपी जाती है. जिला प्रशासन इन भवनों में रहने वालों को मरम्मत का मौका देता है. जिनमें मरम्मत की संभावना नहीं होती है, उन पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई होती है. स्थानीय निवासी विनोद यादव कहते हैं कि जर्जर हालत में जो भी इमारत हैं उनकी मरम्मत करानी चाहिए. नगर निगम और प्रशासन को ऐसी पुरानी बिल्डिंग को चिन्हित करके कार्रवाई करानी चाहिए. जिससे बारिश के समय कोई दुर्घटना न होने पाए. स्थानीय निवासी संजय कहते हैं कि सरकार और नगर निगम की जिम्मेदारी है कि जितनी भी पुरानी जर्जर बिल्डिंग हैं उन्हें मरम्मत कराकर ठीक कराना चाहिए. अगर बिल्डिंग गिरने की स्थिति में हैं तो उन्हें गिराने की कार्रवाई की जाए. जिससे बारिश के समय कोई दुर्घटना न होने पाए. पूर्व में कई बार ऐसी घटनाऐं हो चुकी हैं.